अंग्रेज कमिश्नर से नहीं डरे महात्मा गांधी, 108 साल पहले आज ही के दिन चंपारण सत्याग्रह की नींव पड़ी
- महात्मा गांधी का मुजफ्फरपुर में आगमन चम्पारण जाने के क्रम में 10-11 अप्रैल 1917 की रात में हुआ। 108 साल पहले मुजफ्फरपुर में आज के ही दिन पहली बार महात्मा गांधी आए थे। यहीं से चंपारण सत्याग्रह का उन्होंने पहला कदम बढ़ाया था।
दक्षिण अफ्रीका में लंबा संघर्ष कर रंगभेदी सरकार को घुटनों पर लाने के बाद गांधी जी भारतीय मानस में भी औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ संघर्ष के प्रतीक के रूप में उभरे। भारत के राजनीतिक हृदयस्थलों से दूर, बिहार के आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े जिले में भी गांधी की धमक उनके आगमन से पूर्व ही पहुंच चुकी थी। महात्मा गांधी का मुजफ्फरपुर में आगमन चम्पारण जाने के क्रम में 10-11 अप्रैल 1917 की रात में हुआ। 108 साल पहले मुजफ्फरपुर में आज के ही दिन पहली बार महात्मा गांधी आए थे। यहीं से चंपारण सत्याग्रह का उन्होंने पहला कदम बढ़ाया था।
प्रो. अशोक अंशुमन (अवकाशप्राप्त) पूर्व विभागाध्यक्ष, इतिहास विभाग, एलएस कॉलेज और डॉ. गौतम चंद्रा सहायक प्राध्यापक, विवि इतिहास विभाग बताते हैं कि गांधी से गलत व्यवहार करने के कारण कमिश्नर को तब फटकार लगी थी। 1917 में आए गांधी चार दिन तक मुजफ्फरपुर में रुके थे। तिरहुत कमिश्नर ने कहा था कि गांधी जी के जाने से चंपारण में शांति भंग हो सकती है।
बापू से मिलने को आतुर था चंपारण
प्रो. अंशुमन बताया कि उस समय चम्पारण के देहातों में यह बात आग की तरह फैल रही थी कि गांधी जी यहां जल्द ही आने वाले हैं। इसी क्रम में चम्पारण के पुलिस अधीक्षक ने अपनी 10 अप्रैल की रिपोर्ट में यह लिखा था कि सात अप्रैल को ही भारी संख्या में लोग गांधी के स्वागत के लिए बेतिया रेलवे स्टेशन पहुंच चुके थे। एक ओर चम्पारणवासियों की गांधी से मिलने की प्रबल आतुरता थी, तो वहीं दूसरी ओर स्थानीय प्रशासन काफी सशंकित था और हरसंभव इस प्रयास में था कि गांधी जी चम्पारण नहीं आ पाएं।
गांधी जी और कमिश्नर की तल्ख मुलाकात
इतिहासकार डॉ. गौतम चंद्रा, इस विषय पर शोध करने वाले आफाक आजम कहते हैं कि मुजफ्फरपुर आगमन के बाद 13 अप्रैल को तिरहुत कमिश्नर एल एफ मॉर्सहेड से गांधी जी की एक औपचारिक मुलाकात तल्ख माहौल में हुई थी, जिसमें गांधी जी ने चम्पारण जाने के कारण पर प्रकाश डालते हुए इस बात पर जोर दिया कि वे इस यात्रा को मानवीय मिशन के रूप में देख रहे हैं और उनका उद्देश्य रैयतों और नीलहों के संबंधों के बारे में जानकारी लेने तक ही सीमित है। उनका मकसद अशांति फैलाने का नहीं है।
तिरहुत कमिश्नर ने गांधी जी से मूलरूप में दो प्रश्न किये। प्रथम कि वे किस हैसयित से चम्पारण जाने का इरादा रखते हैं, और दूसरा कि क्या कोई अजनबी वहां की परिस्थितिओं को समझ सकता है? बैठक लगभग बेनतीजा समाप्त हुई। गांधी जी ने उसी शाम एक पत्र के माध्यम से कमिश्नर को पुनः यह आश्वासन दिया कि वे पूर्णतः शांति से वहां अपना काम करंगे। हालांकि तिरहुत कमिश्नर ने उसी दिन चम्पारण के कलेक्टर को यह निर्देश दिया की गांधी के वहां जाने से शांति व्यस्था भंग होने की प्रबल सम्भावना है। इसलिए उन्हें चम्पारण से वापस भेजने को मजबूर किया जाये। गांधी जी तीन बार मुजफ्फरपुर आए थे। आखिरी बार 1934 में आए थे।