गेहूं की खेती के बाद खाली जमीन में मूंग लगाएं, कमाएं ज्यादा मुनाफा
खेतों को भी मिल जाती है पर्याप्त मात्रा में नाइट्रोजन: उद्यान पदाधिकारी रबी

खेतों को भी मिल जाती है पर्याप्त मात्रा में नाइट्रोजन: उद्यान पदाधिकारी रबी और खरीफ के बीच में मूंग की खेती किसानों के लिए फायदेमंद
कुर्साकांटा, निज प्रतिनिधि
जिले में गेहूं फसल की कटाई के साथ दोनी चल रही है। आम तौर पर किसान गेहूं के बाद खेतों में धान लगाते हैं। लेकिन धान की खेती शुरु होने में अभी लगभग तीन माह का समय बांकी है। ऐसे में किसान इस तीन महीने तक खेत को खाली छोड़ देते हैं। किसान गेहूं की खेती के बाद मूंग की खेती कर सकते हैं। इस खेती में कम लगात में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। मूंग एक ऐसी फसल है जो गेहूं के कटने के बाद खाली खेतों में यदि लगा दिया जाए तो धान की खेती से पहले ही फसल तैयार हो जाती है। इससे किसानों अच्छी आमदनी के साथ खेतों को पर्याप्त मात्रा में नाइट्रोजन भी मिल जाता है। खास बात यह है मुंग की फसल लगाने में लगात भी कम आती है। इस संबंध में कटिहार जिले के मनिहारी में कार्यरत प्रखंड उद्यान पदाधिकारी सुनील कुमार झा ने बताया कि मुंग एक अल्पकालिक गरमा फसल है, जो 60 से 70 दिनों में तैयार हो जाता है। इसमें बीज के अलावे खाद और पानी काफी कम मात्रा में लगता है। जबकि आमदनी काफी अच्छी होती है। सबसे खास बात यह है कि गेहूं की कटनी के बाद खाली पड़े खेतों का सदुपयोग भी हो जाता है। उन्होंने किसानों से गेहूं की कटनी के तुरंत बाद ही मूंग की खेती करने की सलाह दी है, ताकि जून तक फसल तैयार कर धान की खेती जा सके। उन्होंने कहा कि खेतों में मूंग की खेती करने से खेतों लगी मूंग की जड़ों में पाए जाने वाले राइजोबियम जीवाणु मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाता है, जिससे अगली फसल को प्राकृतिक रुप से पोषण मिलता है और फसल का उत्पादन अधिक होता है। इसके साथ ही रबी औ खरीफ के बीच में मूंग की खेती किसानों के लिए फायदेमंद मानी जाती है।
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