Grand Shri Ram Katha Explained The Bond of Love Between Lord Ram and Bharat सहरसा: भगवान राम और भरत मिलन प्रसंग सुन भक्त हुए भावुक, Araria Hindi News - Hindustan
Hindi NewsBihar NewsAraria NewsGrand Shri Ram Katha Explained The Bond of Love Between Lord Ram and Bharat

सहरसा: भगवान राम और भरत मिलन प्रसंग सुन भक्त हुए भावुक

सहरसा में सनातन श्री नारायण सेवा संस्थान द्वारा आयोजित भव्य श्रीराम कथा के सातवें दिन केवट प्रसंग की व्याख्या की गई। कथा वाचक रामनयन जी महाराज ने भगवान राम और भरत के प्रेम को दर्शाते हुए यह बताया कि...

Newswrap हिन्दुस्तान, अररियाTue, 25 March 2025 05:25 PM
share Share
Follow Us on
सहरसा: भगवान राम और भरत मिलन प्रसंग सुन भक्त हुए भावुक

सहरसा, नगर संवाददाता सनातन श्री नारायण सेवा संस्थान के तत्वधान में कन्या उच्च विद्यालय नलकूप परिषर पूरब बाजार सहरसा में चल रही भव्य श्रीराम कथा सातवें दिन केवट प्रसंग का व्याख्या किया गया। कथा वाचक रामनयन जी महाराज ने राम-भरत मिलाप का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि महाराज भरत ने चित्रकूट यात्रा के लिए सम्पूर्ण अयोध्यावासियों को तैयार कर लिया। राजतिलक की सामग्री लेकर गुरुदेव की अनुमति से भरत सभी के साथ भगवान की खोज में चल पड़े। इस प्रसंग से यह सीख मिलती है कि जन्म जन्मांतर से भटके हुए जीव को तब तक परम शान्ति नहीं मिल सकती जब तक कि वह भगवान की खोज न करें। मार्ग की अनेक बाधाओं को पार करते हुए श्रीभरत चित्रकूट तक पहुंचे। सच्चे साधक के मार्ग में अनेक बाधाएं आती है किन्तु राम प्रेम के बल पर वह सम्पूर्ण बाधाओं को पार कर लेता है।भाई-भाई के प्रेम को दर्शन कराने के लिए ही श्रीराम और भरत जी के मिलन का प्रसंग आया। चित्रकूट में श्रीभरत की श्रीराम प्रेममयी दशा को देखकर वहां के पत्थर भी पिघलने लगे। भगवान ने भरत के आग्रह को स्वीकार करते हुए चित्रकूट की सभा में उन्हीं को निर्णय करने के लिए कहा तो भरत ने भगवान को वापस अयोध्या लौटने के लिए प्रार्थना की तथा स्वयं मित्रता के वचन को मानकर वनवासी जीवन बिताने का संकल्प लिया किन्तु भगवान को यह स्वीकार नहीं था। दोनों भाई एक दूसरे के लिए सम्पत्ति और सुखों का त्याग करने के लिए आतुर थे और विपत्ति को अपनाना चाहते थे। आज तो भाई भाई की सम्पत्ति को हड़पना चाहता है। यदि भाई भाई की विपत्ति को बांटने लगे तो संसार भर के परिवारों की समस्याओं का समाधान हो सकता है। श्रीराम-भरत के प्रेम से संदेश लेना चाहिए।भरत ने भगवान की चरण पादुकाओं को सिंहासनारूख किया और चौदह वर्ष तक उनकी सेवा की। श्रीभरत ने भाई का भाग कभी स्वीकार नहीं किया बल्कि अपना भाग भी भगवान को देकर सदैव दास बनकर उनकी सेवा करते रहे। भगवान श्रीराम चरण में रहकर वनवासी-तपस्वी जीवन व्यतीत करते है किन्तु भरत नंदीग्राम में रहकर भी सम्पूर्ण नियमों का पालन करते हुए भी सम्पूर्ण अयोध्यावासियों का ध्यान भी रखते हैं।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।