शिक्षकों का वेतन एक प्रखंड से और संचालन दूसरे से, युवा लीड
मामला कुटुंबा-नवीनगर का आवासीय विद्यालय का संचालन कुटुंबा प्रखंड के स्कूल में कुटुंबा के दो स्कूलों के नाम में कन्या, पर दोनों स्कूलों में स

कुटुंबा और नवीनगर प्रखंड के कई स्कूल शिक्षा विभाग की विरोधाभासीय कार्यशैली से कई स्कूलों में समस्या उत्पन्न हो रही है। कुटुंबा प्रखंड का मिडिल स्कूल दुधमी और नवीनगर प्रखंड का उर्दू प्राइमरी स्कूल राजपुर, दोहरे प्रबंधन की समस्या से जूझ रहे हैं। दुधमी स्कूल के शिक्षकों को वेतन कुटुंबा प्रखंड से मिलता है लेकिन शैक्षणिक गतिविधियों का संचालन नवीनगर प्रखंड के बीआरसी से होता है। इसके विपरीत राजपुर स्कूल का संचालन कुटुंबा बीआरसी से होता है लेकिन वेतन नवीनगर प्रखंड से दिया जाता है। इस दोहरे प्रबंधन के कारण दोनों स्कूल संसाधनों और सुविधाओं से वंचित हैं। शिक्षक कभी-कभी इस स्थिति का फायदा उठाते हुए अनुपस्थिति का बहाना बनाते हैं, दावा करते हैं कि वे दूसरे प्रखंड के बीआरसी गए थे।
इस व्यवस्था से दोनों स्कूल उपेक्षित रहते हैं क्योंकि प्रखंड अपनी प्राथमिकता अपने क्षेत्र के स्कूलों को देते हैं। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि दुधमी स्कूल का शैक्षणिक संचालन कुटुंबा और राजपुर का नवीनगर प्रखंड से हो। डीपीओ दयाशंकर सिंह ने बताया कि नियोजन इकाई और पंचायत परिसीमन के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है। अब नियोजित शिक्षक विशिष्ट हो चुके हैं और नियोजन इकाई जिला स्तर की हो गई है। जल्द ही इस समस्या का समाधान कर लिया जाएगा। ------------------------------------------------------------------------------------------------ महाराजगंज मिडिल स्कूल : संसाधनों का टकराव कुटुंबा प्रखंड के मिडिल स्कूल महाराजगंज में नवीनगर प्रखंड का नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय छात्रावास संचालित हो रहा है, जिससे महाराजगंज स्कूल की शैक्षणिक गतिविधियां बाधित हो रही हैं। वर्तमान में छात्रावास का कार्यभार भी महाराजगंज स्कूल के हेडमास्टर सत्यनारायण रजक संभाल रहे हैं। सवाल उठता है कि नवीनगर प्रखंड में कोई अन्य संसाधन-संपन्न स्कूल इस छात्रावास के लिए क्यों नहीं चुना गया? जानकारी के अनुसार नवीनगर के मिडिल स्कूल, बेला में आवासीय छात्रावास का भवन तैयार है। जिला स्तरीय अधिकारियों को इस मुद्दे पर कई बार सूचित किया गया लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। डीपीओ ने बताया कि छात्रावास का भवन बनकर तैयार है, लेकिन अभी विभाग को हैंडओवर नहीं हुआ है। भवन हैंडओवर होते ही छात्रावास को बेला मिडिल स्कूल के नए भवन में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। ------------------------------------------------------------------------------------------------ कन्या मिडिल स्कूल : नाम और व्यवस्था में विरोधाभास कुटुंबा प्रखंड के दो स्कूल, कन्या मिडिल स्कूल कुटुंबा और कन्या मिडिल स्कूल हनेया, नामकरण के विरोधाभास से जूझ रहे हैं। नाम से लगता है कि ये केवल बालिकाओं के लिए हैं, लेकिन दोनों स्कूलों में सह-शिक्षा की व्यवस्था है और छात्र-छात्राएं दोनों पढ़ते हैं। इस भ्रामक नामकरण के कारण छात्रों को स्कूल का नाम बताते समय शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है, और लोग उनकी हंसी उड़ाते हैं। यदि ये कन्या स्कूल हैं, तो केवल बालिकाओं का नामांकन क्यों नहीं होता? और यदि सह-शिक्षा है, तो नाम से ‘कन्या शब्द क्यों नहीं हटाया जाता? डीपीओ ने बताया कि इन स्कूलों की स्थापना कन्या स्कूल के रूप में हुई होगी, लेकिन सरकारी दिशा निर्देशों के अनुसार, प्रोजेक्ट कन्या हाई स्कूल को छोड़कर सभी स्कूलों को सह-शिक्षा के लिए खोल दिया गया है। चूंकि नाम पहले से चला आ रहा है, इसलिए इसमें बदलाव नहीं किया गया।
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