New Teachers and Principals in Bihar Schools Face Diminished Respect and Challenges प्रधानाध्यापकों को मिले राजपत्रित का दर्जा और शिक्षकों को समय पर वेतन की दरकार, Bagaha Hindi News - Hindustan
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प्रधानाध्यापकों को मिले राजपत्रित का दर्जा और शिक्षकों को समय पर वेतन की दरकार

बिहार के माध्यमिक विद्यालयों में नये शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति हुई है। नवनियुक्त प्रधानाध्यापकों को राजपत्रित पदाधिकारी का दर्जा नहीं मिलने से उनका मान-सम्मान घट गया है। शिक्षकों का कहना...

Newswrap हिन्दुस्तान, बगहाTue, 15 April 2025 02:01 AM
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प्रधानाध्यापकों को मिले राजपत्रित का दर्जा और शिक्षकों को समय पर वेतन की दरकार

 

जिले में बड़ी संख्या में माध्यमिक विद्यालयों में नये शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति हुई है। इन शिक्षकों का कहना है कि नवनियुक्त प्रधानाध्यापकों को वह सम्मान नहीं मिल रहा है, जिसके वे हकदार हैं। बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास कर आने के बावजूद उन्हें राजपत्रित पदाधिकारी का दर्जा नहीं मिल सका है। शिक्षकों के अनुसार, इस बार उनकी नियुक्ति गैर राजपत्रित पदाधिकारी के रूप में हुई है। इससे प्रधानाध्यापकों के मान-सम्मान में कमी आई है। माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष मो. सनाउल्लाह खान ने कहा कि शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों के समक्ष आज सबसे ज्यादा विश्वसनीयता की कमी हो गई है। पहले जैसा मान-सम्मान हाई स्कूल के शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों को नहीं मिल रहा है। नवनियुक्त प्रधानाध्यापकों में अमित कुमार मिश्रा, शंभू पांडे बताते हैं कि पहले के जमाने में शहर और गांव में प्रधानाध्यापकों की एक अलग पहचान होती थी। लोग काफी मान सम्मान का भाव उनके प्रति रखते थे लेकिन आज हमें कोई मान-सम्मान नहीं मिल रहा है। आम नौकरी की तरह हमारी भी एक नौकरी रह गई है। माध्यमिक शिक्षक राजीव कुमार पाठक बताते हैं कि आज के डिजिटल युग में शिक्षकों को विद्यालय पहुंचकर पहले हाजिरी बनानी पड़ती है। समय पर शिक्षकों काे वेतन नहीं मिलता है। राकेश कुमार ने कहा कि कई लोगों का प्राण जेनरेट नहीं होने के कारण समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा है। इधर रहमत यासमीन का कहना था कि शिक्षकों को अब रिसर्च और डेवलपमेंट के क्षेत्र में प्रयोग करने की छूट मिलनी चाहिए ताकि वह बच्चों को और आगे बढ़ा सकें। जब तक रिसर्च और डेवलपमेंट की छूट नहीं मिलेगी, बच्चे बेहतर नहीं कर पाएंगे और हमारा मान सम्मान पहले जितना नहीं मिल पाएगा।

रामबाबू और राजेश प्रसाद बताते हैं कि शिक्षकों से गैर शैक्षणिक काम कराया जाता है, इसका हम विरोध करते हैं। ज्यादातर जनगणना आदि के काम में हमें लगाकर शिक्षण कार्य को बाधित किया जाता है। इससे छात्र-छात्राओं की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रभावित होती है। इसके बाद समाज के लोगों द्वारा कहा जाता है कि जब शिक्षक पढ़ाते ही नहीं है तो बच्चों को शिक्षा मिलेगी कैसे? लेकिन वह यह नहीं देख पाते कि शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य कराकर उन्हें पठन-पाठन से दूर कर दिया जाता है। मोतीचंद और बृजेश कुमार पांडे बताते हैं कि आजकल के बच्चे डिजिटल युग में बदमाश हो चुके हैं। कई शिक्षक इस पेशा को दबाव के कारण ही छोड़ देना चाहते हैं। इधर हाजिरी समय पर बनाने को लेकर भी शिक्षकों पर दबाव रहता है। समय पर नहीं बनाने पर हाजिरी कट जाने और वेतन कट जाने का दबाव रहता है। इस कारण शिक्षक जल्दबाजी में विद्यालय आते हैं। माध्यमिक शिक्षक संघ के सचिव रामेश्वर सिंह बताते हैं कि पहले के शिक्षक खुद पढ़ाई कर के बच्चों को पढ़ाते थे। आजकल दबाव बना दिया गया है कि शिक्षक सिर्फ हाजिरी बनाने और कोरम पूरा करने में ही व्यस्त रहते हैं। इससे बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है।

प्रस्तुति -गौरव कुमार

प्रान बनाने के बाद वेतन देने की तेज होगी प्रक्रिया

सभी शिक्षकों को प्रान बनवाने का निर्देश दे दिया गया है। प्रान बनाने के बाद वेेतन देने की आगे की प्रक्रिया को तेज कर दिया गया है। जिन शिक्षकों का प्रान नहीं बना है उनका बनने के बाद वेतन जारी करने की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। इसके अलावा वेतन संबंधी जो भी पूर्व बकाया है उस मामलों का निबटारा किया जा रहा है। प्रान नहीं बनने के कारण कुछ शिक्षकों का वेतन नहीं मिल पाया था। ऐसे में अब काफी कम शिक्षक ही बचे हुए हैं। प्रक्रिया पूरी होते ही समस्या का निबटारा कर दिया जायेगा। जहां तक हाजिरी का सवाल है सभी शिक्षकों को ऑनलाइन मोड में हाज़िरी बनानी है। इसके लिए ई शिक्षा कोष के माध्यम से निगरानी रखी जा रही है। इसमें कोई रियायत नहीं दी जा सकती है। गायब होने पर कार्रवाई होगी।

कुमार अनुभव, डीपीओ स्थापना

सुझाव

1. शिक्षकों को समय से वेतन दिया जाए ताकि उन्हें अपने परिवार का भरण-पोषण करने में कठिनाई नहीं हो।

2. प्रधानाध्यापक को फिर से राजपत्रित श्रेणी का अधिकारी बनाया जाए, इससे उनका मान सम्मान बढ़ सके ।

3. शिक्षकों और प्रधानाध्यापक को बच्चों को डांट-फटकार करने की छूट मिले। इससे अनुशासन बना रहेगा।

4. सरकारी शिक्षकों को भी समय पर प्रमोशन मिलना चाहिए। स्थानांतरण की समस्या का समाधान होना चाहिए।

5. शिक्षकों को समय हाजिरी बनाने का दबाव है। इस व्यवस्था को आसान बनाया जाए।

शिकायतें

1. शिक्षकों को शिक्षण संग विभिन्न प्रशासनिक, जनगणना, चुनाव ड्यूटी आदि के कार्य भी सौंपे जाने से परेशानी होती है।

2. नवनियुक्त प्रधानाध्यापकों को गैर राजपत्रित श्रेणी में नियुक्ति उनके मान सम्मान में कमी है।

3. शिक्षकों को अपेक्षाकृत कम वेतन दिया जाता है और समाज में भी उनके प्रति सम्मान की कमी देखने को मिलती है।

4. डिजिटल शिक्षा के युग में भी शिक्षक संसाधनों, प्रशिक्षण की कमी या तकनीकी दक्षता की कमी के कारण पिछड़ जाते हैं।

5.छात्रों में अनुशासन की कमी, शिक्षकों के प्रति सम्मान की भावना में गिरावट व डिजिटलाइजेशन से छात्र भटक रहे हैं।

 

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