Farmers Face Water Shortage for Rice Seedling Amidst Irrigation Issues बिचड़ा डालने के लिए सोन उच्च स्तरीय में नहीं छोड़ा पानी, Bhabua Hindi News - Hindustan
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बिचड़ा डालने के लिए सोन उच्च स्तरीय में नहीं छोड़ा पानी

भभुआ जिले में किसानों को धान के बिचड़े के लिए 400 क्यूसेक पानी की आवश्यकता है, लेकिन मूसाखांड़ बांध से पानी नहीं मिल रहा है। 25 मई से रोहिणी नक्षत्र के दौरान धान का बिचड़ा डालने की तैयारी की जा रही है,...

Newswrap हिन्दुस्तान, भभुआWed, 21 May 2025 09:20 PM
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बिचड़ा डालने के लिए सोन उच्च स्तरीय में नहीं छोड़ा पानी

जिले में 14 हजार हेक्टेयर में बिचड़ा डालने के लिए चाहिए 400 क्यूसेक पानी मूसाखांड़ बांध से भी नहीं मिला पानी, 25 मई से किसान डालेंगे धान का बिचड़ा (पेज चार की बॉटम खबर) भभुआ, हिन्दुस्तान संवाददाता। कम लागत में अधिक पैदावार के लिए विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वन एवं किसानों को जागरूक कर रहा शासन-प्रशासन सिंचाई व्यवस्था को लेकर सुस्त दिख रहा है। 25 मई से रोहिणी नक्षत्र शुरू हो रहा है। रोहिणी नक्षत्र में शुरू होते ही किसान खेतों में धान का बिचड़ा डालने का कार्य प्रारंभ करेंगे। लेकिन, सिंचाई विभाग द्वारा धान का बिचड़ा डालने के लिए अभी तक सोन उच्च स्तरीय नहर में पानी नहीं छोड़ा गया है।

इसको लेकर कैमूर के किसान चिंतित हैं। कृषि विभाग द्वारा कैमूर जिले में इस बार 1.41 लाख हेक्टेयर भूमि में धान की रोपनी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इतनी भूमि में रोपनी करने के लिए किसानों को 14 हजार हेक्टेयर भूमि में बिचड़ा डालना है। बिचड़ा डालने के लिए किसानों को फिलहाल सोन उच्च स्तरीय नहर में 400 क्यूसेक पानी की आवश्यकता है। सिंचाई विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, सोन उच्च स्तरीय मुख्य नहर एवं इससे जुड़ी विवरणियों से नहर से करीब 36 हजार हेक्टेयर भूमि में सिंचाई होती है। इधर, किसानों का कहना है कि अगर सोन उच्च स्तरीय नहर में समय पर पानी नहीं पहुंचा तो हम किसानों को डीजल पंप, मोटर व समरसेबल चलाकर धान का बीज डालना पड़ेगा। करौदी के किसान त्रिवेणी पांडेय, सुखारीपुर के श्रीकांत पांडेय, मींव के राजेश सिंह, पसाई के अभय सिंह व सेमरिया के अशोक श्रीवास्तव ने बताया कि डीजल पंप व मोटर चलाकर धान का बिचड़ा डालने में जेब का पैसा खर्च करना पड़ेगा। मूसाखांड़ बांध से भी नहीं छोड़ गया पानी भभुआ। रोहिणी नक्षत्र में धान का बिचड़ा डालने के लिए उत्तर प्रदेश के मूसाखांड़ बांध से भी कैमूर की कर्मनाशा मुख्य नहर में पानी नहीं छोड़ा गया। मिली जानकारी के अनुसार, कर्मनाशा मुख्य नहर से चांद व दुर्गावती प्रखंड के सैकड़ों हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है। खरीफ सीजन में यूपी के मूसाखांड़ बांध से कैमूर की कर्मनाशा मुख्य नहर में करीब 200 क्यूसेक पानी छोड़ने का करार है। बताया जाता है कि इस नहर में बांध से कभी भी समय पर पानी नहीं छोड़ा गया है। घंटों डीजल चलाने पर खेत में भर रहा पानी भभुआ। भीषण गर्मी के कारण जलस्तर खिसक गया है। ऐसे में किसानों को डीजल पंप व समरसेबल चलाकर धान का बिचड़ा डालने में काफी परेशानी होगी। धरवार के किसान जितेंद्र पांडेय, सपनौतिया के दीनदयाल दुबे, सीवों के रविन्द्र सिंह व भैरोपुर के संजय सिंह ने बताया कि गर्मी के कारण पानी का लेयर नीचे चला गया है। उक्त किसानों ने बताया कि घंटों डीजल पंप व समरसेबल चलाने पर खेत में पानी भर रहा है। नहर में पानी नहीं आया तो धान का बिचड़ा डालने में काफी परेशानी होगी। कोट रोहिणी नक्षत्र में धान का बिचड़ा डालने के लिए 25 मई से सोन उच्च स्तरीय नहर में पानी छोड़ने की मांग की गई है। जल संसाधन विभाग द्वारा एक जून से नहर में पानी छोड़ा जाना था। हरिनाथ बैठा, कार्यपालक अभियंता, सिंचाई विभाग फोटो- 21 मई भभुआ- 6 कैप्शन- रामपुर प्रखंड में बेलांव के पास बुधवार को सूखी पड़ी सोन उच्च स्तरीय नहर।

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