बरामदे में पढ़कर भविष्य संवार रहे कक्षा एक से तीन तक के बच्चे
अमांव के उत्क्रमित उर्दू मध्य विद्यालय में कक्षा चार से आठ तक के छात्रों की संयुक्त कक्षाएं संचालित होती हैं। कमरों की कमी के कारण, बारिश में बरामदा में पानी आने से पढ़ाई बंद हो जाती है। स्कूल में...

अमांव के उर्दू मध्य विद्यालय में कक्षा चार से आठ तक के छात्र-छात्राओं की संचालित होती हैं संयुक्त कक्षाएं, होती है परेशानी बारिश होने पर बरामदा में पानी आने से बंद हो जाती है पढ़ाई विद्यालय में ब्लैक बोर्ड, रसोई व कार्यालय के लिए कमरा नहीं (युवा पेज की लीड खबर) रामपुर, एक संवाददाता। प्रखंड के अमांव गांव स्थित उत्क्रमित उर्दू मध्य विद्यालय में कमरों की कमी का दंश छात्र-छात्राएं झेल रहे हैं। ऐसे में कक्षा एक से तीन तक के बच्चों की पढ़ाई विद्यालय के बरामदा में अलग-अलग तीन जगह और कक्षा चार से आठ तक के बच्चों को एक कमरे में संयुक्त रूप से बैठाकर शिक्षक पढ़ा रहे हैं। बच्चे ऐसी परेशानी पिछले 14 सालों से झेल रहे हैं। लेकिन, बारिश होने पर बरामदा में पढ़नेवाले बच्चों की पढ़ाई बंद हो जाती है। क्योंकि बरामदा में वर्षा का पानी चला आता है। इस विद्यालय में कक्षा एक से आठ तक के छात्रों की पढ़ाई होती है। लेकिन, यहां मात्र तीन कमरा ही है। कमरों की कमी के कारण बच्चों को पढ़ने व शिक्षकों को पढ़ाने में दिक्कत होती है। एक साथ बच्चों को पढ़ने में उनका ध्यान बंट जाता है। अतिरिक्त कमरा निर्माण कराने के लिए विद्यालय के पास जमीन भी उपलब्ध नहीं है। कक्षा दो की सान्या परवीन, रेहान अंसारी, कक्षा तीन की फरहान आलम, आमिर मियां, निखत परवीन ने बताया कि स्कूल में तीन जगहों पर बरामदे में बैठकर हमलोग पढ़ते हैं। इस कारण बच्चों एवं शिक्षकों को भी पढ़ने-पढ़ाने में काफी दिक्कत होती है। विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने बताया कि विद्यालय में ब्लैक बोर्ड भी नहीं है। इससे हमलोगों को खासकर गणित समझने में दिक्कत होती है। शिक्षकों ने बताया कि उनके विद्यालय में कमरों का अभाव है। बरामदे में पढ़नेवाले बच्चों के लिए ब्लैक बोर्ड नहीं है। बनवाने में भी परेशानी है। कमरों के अभाव में बच्चों को बरामदे में बैठकर गर्मी, बरसात व ठंड के दिनों में पढ़ना पड़ता है। गर्मी के दिनों में बच्चों को लू लगती है। बरसात के दिनों में बारिश होने पर बरामदे में पानी आ जाता है, जिससे पढ़ाई बंद करनी पड़ती है। ठंड में सर्द हवा बच्चों को परेशान करती है। शिक्षक पर्याप्त पर कमरों की कमी उत्क्रमित उर्दू मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक रमेश कुमार ने बताया कि यहां कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों की पढ़ाई होती है। विद्यालय में कुल 321 बच्चे नामांकित हैं। इन्हें पढ़ाने के लिए छह शिक्षक व छह शिक्षिका पदस्थापित हैं। कक्षा एक से तीन तक के बच्चे बरामदे में ही तीन अलग-अलग स्थानों पर बरामदे में पढ़ते हैं। विद्यालय में शिक्षक तो पर्याप्त हैं, पर कमरों की कमी काफी खलती है। बरसात में चापाकल से निकलता है गंदा पानी शिक्षकों ने बताया कि जिस कक्ष में बच्चों की पढ़ाई होनी चाहिए थी, उसमें मध्याह्न भोजन पकता है। इसके लिए किचेन अलग से नहीं बना है। दूसरे कमरे में कार्यालय है और उसी में बच्चे भी पढ़ते हैं। विद्यालय में एक चापाकल है। बरसात के दिनों में उसमें से गंदा पानी आता है। शिक्षकों ने बताया कि इस विद्यालय की चाहरदीवारी नहीं की गई है। इस वजह से पढ़ने के दौरान कभी-कभी बच्चे इधर-उधर भाग जाते हैं, जिससे परेशानी होती है। आमजन भी इधर से ही होकर आते-जाते हैं। एक नहीं कई समस्याओं से जूझ रहे बच्चे शिक्षक बाबुल हुसैन और शिक्षिका अफसाना खातून ने बताया कि यहां के बच्चे व शिक्षक कई समस्याओं से जूझते हैं। कमरों की कमी है। चहारदीवारी नहीं है। चापाकल से शुद्ध पानी नहीं मिलता है। प्रभारी प्रधानाध्यापक रमेश प्रसाद ने बताया कि इस विद्यालय की समस्याओं से कई बार विभागीय अधिकारियों को पत्र और गुरु गोष्ठी की बैठक में अवगत कराया गया। लेकिन, आज तक कोई पहल नहीं की गई। उन्होंने विद्यालय भवन को तोड़कर नए सिर से निर्माण कराने की सलाह दी है। कोट उत्क्रमित उर्दू मध्य विद्यालय की समस्या की जानकारी मिली है। नया वित्तीय वर्ष शुरू हुआ है। जिस विद्यालय में जो समस्या है उसको दूर करने के लिए प्रस्ताव लिया जाएगा। इसके बाद राशि आवंटित होने पर समस्या का समाधान किया जाएगा। तेजस्विनी आनंद, प्रभारी बीईओ फोटो- 18 अप्रैल भभुआ- 8 कैप्शन- रामपुर प्रखंड के अमांव के उत्क्रमित उर्दू मध्य विद्यालय में गुरुवार को बरामदा में बच्चों को पढ़ाते शिक्षक।
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