सुपौल: सुप्रीम कोर्ट को लेना चाहिए स्वत संज्ञान
सुपौल के भगवानजी पाठक ने तेलंगाना में 400 एकड़ जंगल को आईटी पार्क के लिए नष्ट करने की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने इसे प्रकृति के प्रति अन्यायपूर्ण कार्रवाई कहा और सुप्रीम कोर्ट से...

सुपौल। कोसी कंसोर्टियम के समन्वयक भगवानजी पाठक ने तेलंगाना के हैदराबाद यूनिवर्सिटी के कांचा जंगल में आईटी पार्क निर्माण के लिए 400 एकड़ जंगल को आधुनिक मशीने लगाकर नष्ट किये जाने की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। सरकार के इस रवैये से सैकड़ों बरस से प्रकृति की गोद में संजोए गए जीव-जंतु व पेड़-पौधों की आज खुलेआम बलि चढ़ाई जा रही है। सरकार के इस अन्यायपूर्ण हरकत व प्रकृति विरोधी कार्य पर सुप्रीम कोर्ट स्वतः संज्ञान लेना चाहिए और समाज क़ो भी आगे आना चाहिए तभी प्रकृति की सुरक्षा संभव है। सड़कों पर आंदोलन करने वालों के खिलाफ तेलंगाना पुलिस की बर्बरता असहनीय हैव निंदनीय है. पेड़ों की कटाई और वन्यजीवों की हत्या पूरी तरह से प्रकृति व पर्यावरण के लिए केवल चिंता की बात नहीं ये संपूर्ण प्राणियों के लिए आत्मघाती कदम है। प्रकृति व पर्यावरण के साथ अनमोल वन्य प्राणियों के साथ कातिलाना कार्रवाई है।
इस आईटी पार्क निर्माण के लिए 400 एकड़ जंगल को नष्ट कर लाखों पेड़ों की कटाई हो चुकी है। वनों की कटाई के दौरान मोर, हिरन, हाथी और अन्य वन्यजीवों की निर्मम हत्या की जा रही है।
जो अत्यंत ही प्राकृतिक विरोधी है. मानव और मानव वेतर प्राणी की सुरक्षा हम सबों की जिम्मेदारी है. जल जंगल जमीन को बचाने के लिए जो भी साथी संघर्ष कर रहे हैं उन्हें अपनी आवाज बुलंद करनी होगी. विकास के नाम पर विनाश की छूट नहीं दी जा सकती है।
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