बोले कटिहार : रोजगार के अभाव में बर्बाद हो रही प्रतिभा, पलायन कर रहे जिले के युवा
कटिहार जिले में शिक्षा का स्तर सुधार रहा है, लेकिन पढ़े-लिखे युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है। डिग्री प्राप्त करने के बाद भी सरकारी या निजी क्षेत्र में अवसर नहीं हैं, जिससे युवा शहरों की ओर पलायन कर...
कटिहार जिले में शिक्षा का स्तर धीरे-धीरे बेहतर हो रहा है, लेकिन पढ़े-लिखे युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार नहीं मिल पा रहा है। डिग्री लेने के बाद भी युवाओं को न तो सरकारी नौकरियां मिल रही हैं और न ही निजी क्षेत्र में ठोस अवसर। ऐसे में वे मजबूरी में दूसरे शहरों का रुख कर रहे हैं। जिले में औद्योगिक विकास, प्रोफेशनल ट्रेनिंग और स्वरोजगार की ठोस व्यवस्था न होने से यह पलायन लगातार बढ़ रहा है। अगर समय रहते उपाय नहीं किए गए, तो जिले की प्रतिभा बाहर जाकर वहीं बस जाएगी। जिले का जो विकास होना चाहिए नहीं हो पाएगा।
संवाद के दौरान जिले के शिक्षित बेरोजगार युवाओं ने अपनी परेशानी बताई। 20 हजार से अधिक युवा हर साल करते हैं स्नातक 05 वर्षों में 1.25 लाख युवा गये जिले से बाहर 45 हजार से अधिक है पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या कटिहार जिले में शिक्षा का स्तर भले ही बीते वर्षों में बेहतर हुआ हो, लेकिन शिक्षित युवाओं को जिले में टिकाए रखना अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। स्नातक और परास्नातक की डिग्रियां हासिल करने के बाद भी युवाओं को जिले में नौकरी नहीं मिल रही है। नतीजा यह है कि बड़ी संख्या में युवा पटना, रांची, दिल्ली और बेंगलुरु जैसे शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। जिले के शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक के युवाओं की सबसे बड़ी शिकायत यही है कि यहां पढ़ाई के बाद आगे बढ़ने का कोई रास्ता नहीं दिखता। न निजी क्षेत्र में पर्याप्त अवसर हैं और न ही सरकारी भर्तियों में नियमितता। प्राइवेट स्कूल, कोचिंग संस्थान या छोटी दुकानें, इन तक ही सीमित हैं यहां के अवसर। ऐसे में पढ़े-लिखे युवाओं को या तो घर पर बैठना पड़ता है, या फिर किसी बड़े शहर की ओर रुख करना पड़ता है। रोजगार की तलाश में युवा करते हैं पलायन : ग्रामीण इलाकों में तो स्थिति और भी जटिल है। वहां के शिक्षित युवा न केवल रोजगार की तलाश में शहर की ओर आते हैं, बल्कि अगर स्थानीय स्तर पर रोजगार का विकल्प नहीं मिलता तो बाहर जाना उनकी मजबूरी बन जाती है। इसके बावजूद कई युवा आर्थिक तंगी के कारण बाहर भी नहीं जा पाते और कुंठा में जीते रहते हैं। सरकार की तरफ से चलाई जा रही योजनाएं-जैसे स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड, उद्यमिता योजनाएं या कौशल विकास केंद्र आदि जमीनी स्तर पर कमजोर क्रियान्वयन के कारण प्रभावी नहीं हो पा रही हैं। कई युवाओं का कहना है कि योजना की जानकारी तो है, लेकिन प्रक्रिया इतनी जटिल है कि आधे लोग आवेदन ही नहीं कर पाते। जिले में उद्योग-धंधे लगाने की जरूरत : शिक्षा तो मिल रही है, लेकिन रोजगार का रास्ता अभी भी बंद है। जिले में न तो कोई बड़ा उद्योग है, न ही सूचना प्रौद्योगिकी या अन्य उभरते क्षेत्रों की इकाइयां। यही कारण है कि हर साल जिले से हजारों की संख्या में युवा पढ़ाई या नौकरी के लिए बाहर चले जाते हैं, और उनमें से बहुत कम ही लौटते हैं। अगर समय रहते स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर नहीं बढ़ाए गए, तो कटिहार की यह प्रतिभा धीरे-धीरे जिले से पूरी तरह गायब हो जाएगी। शिकायतें : 1. पढ़ाई पूरी करने के बाद भी रोजगार का कोई ठोस साधन नहीं मिलता। 2. सरकारी योजनाओं का लाभ लेने की प्रक्रिया बेहद कठिन और लंबी होती है। 3. निजी संस्थानों में काम तो मिलता है, लेकिन मेहनत के मुकाबले पारिश्रमिक बहुत कम होता है। 4. जिले में किसी भी प्रकार का उद्योग या व्यवसायिक केंद्र विकसित नहीं हो सका है। 5. बेरोजगारी के कारण युवाओं में निराशा और मानसिक तनाव बढ़ रहा है। सुझाव : 1. जिले में कारखाने, लघु उद्योग और सेवा केंद्र स्थापित किए जाएं, जिससे युवाओं को काम मिले। 2. सरकारी योजनाओं को सरल, पारदर्शी और समयबद्ध बनाया जाए। 3. विद्यालयों और महाविद्यालयों में ही व्यावसायिक शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण की व्यवस्था हो। 4. कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा दिया जाए ताकि ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को भी अवसर मिले। 5. स्वरोजगार शुरू करने के इच्छुक युवाओं को प्रारंभिक सहायता और मार्गदर्शन दिया जाए। इनकी भी सुनें कटिहार में पढ़ाई तो हो रही है, लेकिन आगे क्या करना है, इसका कोई रास्ता नहीं दिखता। न रोजगार है, न कोई प्रशिक्षण केंद्र। हर साल युवा बाहर जा रहे हैं। जिले में ही कुछ करने का मन है, पर माहौल नहीं है। -साहिल हमने डिग्री तो ले ली, लेकिन काम नहीं मिल रहा। न कोई उद्योग है, न रोजगार केंद्र। सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन प्रतियोगिता बहुत कठिन है। गांव में बैठकर समय बर्बाद हो रहा है। -छोटू कुमार जिले में पढ़ाई के बाद सबसे बड़ी चुनौती है रोजगार। कोई योजना लागू भी होती है तो सिर्फ कागज़ पर। हमें बाहर जाकर छोटा-मोटा काम करना पड़ता है। अगर यही हाल रहा, तो गांव के पढ़े-लिखे लोग भी मजदूरी करेंगे। -रवि कुमार कटिहार में पढ़ाई करने के बाद नौकरी मिलना सपना जैसा है। बहुत कोशिश की, लेकिन ना कोई स्थायी काम है, ना सम्मानजनक आमदनी। बाहर जाकर काम करना मजबूरी बन गया है। सरकार को कुछ करना चाहिए। -श्याम कुमार हर साल सैकड़ों युवा पढ़कर खाली बैठ जाते हैं। काम नहीं मिलने से तनाव बढ़ता है। कुछ तो निराश होकर पलायन कर जाते हैं। अगर जिले में रोजगार के साधन होते तो कोई बाहर नहीं जाता। -सोहन कुमार हमारे पास शिक्षा है, पर काम नहीं है। न योजना का लाभ मिल रहा, न कोई मार्गदर्शन मिल रहा है। जिले में अगर कुटीर उद्योग या सेवा केंद्र खुले, तो युवा पलायन नहीं करेंगे। -सुमन कुमार सरकारी योजनाओं की बहुत बात होती है, लेकिन गांव तक उसका लाभ नहीं पहुंचता। रोजगार पाने के लिए पटना और दिल्ली जाना पड़ता है। कटिहार में ऐसा कोई माहौल नहीं है जहां युवा टिक सके। -रंजीत कुमार हम चाहते हैं कि अपने जिले में ही कुछ करें, लेकिन अवसर नहीं हैं। न कौशल केंद्र हैं, न वित्तीय सहायता। पढ़ने के बाद भी बेरोजगार रहना मजबूरी है। बाहर जाने का ही एक रास्ता बचता है। -सुमित कुमार शिक्षा लेने के बाद काम की तलाश में भटकना पड़ता है। छोटे शहरों में नौकरी की संभावनाएं बहुत कम हैं। यदि स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षण और रोजगार की सुविधा हो, तो बहुत से लोग यहीं रुकेंगे। -रोहन कटिहार में पढ़ाई होती है, लेकिन भविष्य अंधकार में है। कोई मार्गदर्शन नहीं, कोई रोजगार नहीं। सरकारी योजनाएं भी आधी-अधूरी हैं। कुछ करना चाहते हैं तो बाहर जाना ही पड़ता है। -आफताब रज़ा जिले के युवाओं को अगर मौके मिलें तो वे पलायन नहीं करेंगे। पर यहां न तो उद्योग हैं, न प्रशिक्षण केंद्र। बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। पढ़ाई के बाद रोजगार नहीं मिले तो शिक्षा का क्या लाभ? -कुलदीप कुमार मैंने दो बार प्रतियोगी परीक्षा दी, लेकिन चयन नहीं हुआ। प्राइवेट काम में पैसा कम और अस्थिरता ज्यादा है। अगर सरकार छोटे कारोबार के लिए सहयोग दे तो हम यहीं रहकर कुछ कर सकते हैं। -संजीत कुमार कटिहार में रोजगार की भारी कमी है। महाविद्यालयों में पढ़ाई तो होती है, लेकिन आगे का रास्ता नहीं दिखता। सरकार को चाहिए कि जिले में उद्योग लगाए और युवाओं के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करे। -रंजन कुमार हमारे जैसे हजारों युवाओं को हर साल बाहर जाना पड़ता है। शिक्षा पूरी करने के बाद भी जिले में टिकना मुश्किल होता है। अगर स्थानीय स्तर पर अवसर दिए जाएं, तो बहुत कुछ बदला जा सकता है। -रोहित कुमार मैंने स्नातक किया है, लेकिन रोजगार के लिए अब शहर छोड़ना पड़ेगा। यहां नौकरी की कोई स्थिर व्यवस्था नहीं है। गांव में रहकर कुछ शुरू करना चाहा, लेकिन सहयोग नहीं मिला। -अमित कुमार सरकार ने कई योजनाओं की घोषणा की, पर लाभ बहुत कम लोगों को मिलता है। जिले में ऐसा कोई माहौल नहीं है कि हम कुछ नया शुरू कर सकें। पढ़ने के बाद खाली बैठना बहुत दुखद है। -अमन बोले जिम्मेदार जिले में रोजगार सृजन की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। कौशल विकास केंद्र, स्वयं सहायता समूह, और युवा उद्यमी योजना जैसी योजनाओं को तेजी से लागू किया जा रहा है। उन्होंने स्वीकार किया कि योजनाओं के क्रियान्वयन में कुछ अड़चनें हैं, लेकिन उनका समाधान प्राथमिकता पर किया जा रहा है। उद्योगों को आमंत्रित करने के लिए ज़मीन और अनुदान की प्रक्रिया सरल बनाई जा रही है। युवाओं से अपील की गई कि वे योजना का लाभ उठाने के लिए आगे आएं। तारकिशोर प्रसाद, पूर्व डिप्टी सीएम सह सदर विधायक, कटिहार ---- बोले कटिहार असर खुले में गिट्टी-बालू बेचने वालों को लगाई फटकार, जुर्माना कटिहार, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। कटिहार में वायु प्रदूषण को लेकर हिन्दुस्तान अखबार में 30 अप्रैल को प्रकाशित रिपोर्ट कटिहार की सांसों में घुला जहर का असर देखने को मिला है। रिपोर्ट के प्रकाशन के दो दिन बाद ही 2 मई को खनन विभाग के अधिकारियों और पुलिस पदाधिकारियों की संयुक्त टीम ने कुरसेला स्थित स्टेट हाईवे 77 के किनारे खुले में गिट्टी-बालू बेचने वालों पर कार्रवाई की। अधिकारियों ने निर्माण सामग्री को खुले में भंडारित कर बेचने वाले आधा दर्जन से अधिक व्यवसायियों को कड़ी फटकार लगाई और तत्काल जुर्माना लगाया। इसके साथ ही निर्देश दिया गया कि बिना वैध लाइसेंस निर्माण सामग्री का भंडारण व विक्रय न करें। टीम ने यह भी स्पष्ट किया कि आगे से खुले भंडारण या धूल उड़ने की स्थिति में कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह कार्रवाई स्थानीय नागरिकों के लिए राहत की खबर बनी, जिन्होंने प्रदूषण से हो रही तकलीफ के खिलाफ प्रशासनिक कदमों की मांग की थी। हालांकि अभी यह शुरुआत भर है, और शहर के अन्य इलाकों में भी इसी तरह की नियमित निगरानी और कार्रवाई की जरूरत बनी हुई है। स्थानीय लोगों ने इस पहल का स्वागत करते हुए इसे सही दिशा में पहला कदम बताया है।
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