Memorial Procession for Brave Ahir Soldiers of Rezangla War Reaches Khagaria खगड़िया पहुंचा रेजांगला रज कलश यात्रा का जत्था, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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खगड़िया पहुंचा रेजांगला रज कलश यात्रा का जत्था

1962 के रेजांगला युद्ध में शहीद हुए वीर अहीर सैनिकों की स्मृति में यादव महासभा द्वारा आयोजित रज कलश यात्रा खगड़िया पहुँची। यह यात्रा 13 अप्रैल को छपरा से शुरू होकर 18 नवंबर को दिल्ली में संपन्न होगी।...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरWed, 23 April 2025 06:35 PM
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खगड़िया पहुंचा रेजांगला रज कलश यात्रा का जत्था

खगड़िया, एक प्रतिनिधि। 1962 के रेजांगला युद्ध में शहीद हुए वीर अहीर सैनिकों की स्मृति में अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा द्वारा आयोजित पवित्र रज कलश यात्रा बुधवार को खगड़िया पहुंची। यह यात्रा गाठ 13 अप्रैल को छपरा से प्रारंभ होकर विभिन्न राज्यों से गुजरते हुए आगामी 18 नवंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर में विशाल प्रदर्शन और धरने के साथ सम्पन्न होगी। खगड़िया आगमन के अवसर पर, भारतवर्षीय ब्रह्मर्षि यादव संघ के जिलाध्यक्ष एवं यादव महाशक्ति संगठन के प्रतिनिधि प्रफुल्ल चंद्र घोष के नेतृत्व में सैनिक लाइन होटल, नन्कूमंडल टोला में जोरदार स्वागत कार्यक्रम आयोजित किया गया। कलश यात्रा में सम्मिलित लोगों में किरन यादव( हैदराबाद) राष्ट्रीय संयोजक अर्जुन यादव कन्नौज (राष्ट्रीय मिडिया प्रभारी) अभिषेक यादव (मैनपूरी)अजय यादव चालक एंव सभा के बिहार प्रभारी अरविंद कुमार यादव को आदरपूर्वक फूल माला पहनाकर स्वागत किया गया।

इस अवसर पर वीर प्रकाश यादव, मौसम कुमार गोलू, राहुल कुमार बटेश्वर यादव,गीता कुमार यादव धर्मदेव यादव बच्ची यादव शंकर यादव पांडव यादव मालिक यादव सहित अनेक गणमान्य नागरिक, समाजसेवी,एंव युवावर्ग की उपस्थित रहीं। सभी ने वीर अहीर सैनिकों के अदम्य साहस, देशभक्ति व बलिदान को नमन करते हुए "अहीर रेजिमेंट हक़ है हमारा" जैसे जयघोष लगाए। इस अवशर पर श्री घोष ने कहा कि 18 नवंबर 1962 को लद्दाख के रेजांगला दर्रे पर, 13 कुमाऊं रेजिमेंट की 'सी' कंपनी के 120 अहीर (यादव)सैनिकों ने 3000 से अधिक चीनी सैनिकों के विरुद्ध वीरता से लड़ते हुए अंतिम सांस तक युद्ध किया। इस युद्ध में 114 भारतीय सैनिक शहीद हुए, जबकि अनुमानित 1300 चीनी सैनिक मारे गए। मेजर शैतान सिंह को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया, और कई अन्य सैनिकों को वीरता पुरस्कार प्राप्त हुए। इस अद्वितीय बलिदान के बावजूद, अहीर समुदाय की लंबे समय से मांग रही है कि उनके नाम पर एक पूर्ण 'अहीर रेजिमेंट' का गठन किया जाए, ताकि उनके योगदान को उचित मान्यता मिल सके। यह मांग विशेष रूप से हरियाणा, बिहार, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के अहीरवाल क्षेत्र में गूंज रही है।

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