Munger Sculptors Face Crisis Traditional Artisans Struggle Amid Rising Costs and Lack of Resources बोले मुंगेर : मूर्तिकारों के लिए हो स्थायी बाजार, आसानी से मिले मिट्टी, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले मुंगेर : मूर्तिकारों के लिए हो स्थायी बाजार, आसानी से मिले मिट्टी

मुंगेर के पारंपरिक मूर्तिकार आज कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। मिट्टी की कमी, बढ़ती लागत और स्थायी बाजार की अनुपलब्धता के कारण लगभग 200 मूर्तिकार अपने पेशे को छोड़ने के लिए मजबूर हो गए हैं। सरकार की...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरFri, 11 April 2025 11:21 PM
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बोले मुंगेर : मूर्तिकारों के लिए हो स्थायी बाजार, आसानी से मिले मिट्टी

आधुनिकता की तेज रफ्तार और बदलते सामाजिक परिवेश में मुंगेर के परंपरागत मूर्तिकारों का व्यवसाय आज संकट के दौर से गुजर रहा है। कभी समाज में विशेष स्थान रखने वाले लगभग 200 से अधिक मूर्तिकार आज मिट्टी की अनुपलब्धता, लागत में बढ़ोतरी, स्थायी बाजार की कमी और सरकारी उपेक्षा के कारण अपने पुश्तैनी पेशे को छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। इनकी समस्याओं को जानने के लिए हिन्दुस्तान ने इनके साथ संवाद किया। उन्होंने खुलकर अपनी समस्याएं बताईं। 50 हजार आबादी है कुम्हार समुदाय की जिले में

02 सौ मूर्तिकार मिट्टी की मूर्ति का करते हैं निर्माण

02 हजार रुपए प्रति ट्रैक्टर आती है मिट्टी की लागत

मुंगेर की प्रसिद्ध मूर्ति निर्माण परंपरा आज सरकारी सहयोग के अभाव में दम तोड़ रही है। महंगी मिट्टी, पूंजी की कमी और मंडी के अभाव में मूर्तिकारों की हालत बद से बदतर होती जा रही है। संवाद के दौरान लल्लू पोखर निवासी मूर्तिकार शंभू पाल ने बताया कि, उन्होंने पोलो मैदान और नौवागढ़ी में डॉ भीमराव अंबेडकर और ज्योतिबा फुले की प्रतिमाएं बनाई हैं, लेकिन अब काम की स्थिति ऐसी हो गई है कि, वे दूसरे राज्यों में मजदूरी करने को मजबूर हैं। वहीं, मूर्तिकार गौरी कुमारी ने कहा कि, सरकार को चाहिए कि, वह इस पारंपरिक कार्य को बढ़ावा देने के लिए कल्याणकारी योजनाएं लाए, ताकि हम अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकें और अपने पेशे को आगे बढ़ा सकें।

मिट्टी बनी बड़ी समस्या:

मूर्तिकारों के अनुसार, मिट्टी की उपलब्धता सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। इसी तरह से जुगल पंडित ने बताया कि, मिट्टी लाने के लिए निजी जमीन का सहारा नहीं लिया जा सकता और सरकारी भूमि से मिट्टी लेने पर पुलिस और स्थानीय दबंग लोग रोक लगाते हैं। कभी-कभी तो पुलिस जुर्माना भी वसूलती है। एक ट्रैक्टर मिट्टी के लिए 2000 रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं, जिससे लागत अत्यधिक बढ़ जाती है। मूर्तिकार ललिता देवी ने कहा कि, मिट्टी की उपलब्धता ही बड़ी समस्या नहीं है, बल्कि प्रतिमा निर्माण के बाद उन्हें बेचने के लिए कोई निश्चित स्थान भी नहीं है। मजबूरी में मूर्तियों को हमें अपने दरवाजे पर ही रखनी पड़ती हैं, जिससे बिक्री में भी दिक्कत आती है। यदि सब्जी मंडी की तरह एक स्थायी मूर्ति बाजार बन जाए, तो उनकी आर्थिक स्थिति सुधर सकती है। मूर्तिकार उदय पंडित ने कहा कि, बांस, सुतली, पुआल, पेंट और पेंटिंग मशीन जैसी आवश्यक सामग्रियों की कीमतें आसमान छू रही हैं। दूसरी ओर, ग्राहकों की पसंद और मूल्य तय करने की प्रवृत्ति के चलते मूर्तियों को बार-बार बनाना पड़ता है। ऐसे में मूर्ति बनाना आज हम मूर्तिकारों के लिए आसान नहीं रह गया है। भारती महंगाई में मेहनत के अनुरूप हमें कीमत नहीं मिलता है। ऐसे में कई मूर्तिकारों ने जहां मूर्तिकारी करना छोड़ दिया है, वहीं नई पीढ़ी के युवा इसे अपना करियर बनाने से मुंह मोड़ रहे हैं। मुंगेर की मूर्तिकला एक समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर है, जिसे संरक्षण की आवश्यकता है। यदि सरकार समय रहते ठोस कदम उठाए, तो यह पारंपरिक कला फिर से अपनी चमक बिखेर सकती है और हजारों परिवारों की आजीविका का सहारा बन सकती है।

शिकायत

1. मिट्टी की उपलब्धता में होती है कठिनाई।

2. सरकारी भूमि से मिट्टी निकालने पर स्थानीय करते हैं विरोध।

3. पुलिस और खनन विभाग द्वारा बाधाएं आती हैं।

4. प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियों से परंपरागत मूर्तियों की बिक्री में कमी आई है।

5. स्थायी बाजार का अभाव होने से मूर्तियां नहीं बिकतीं।

सुझाव

1. मिट्टी की आपूर्ति के लिए कुम्हारों के लिए विशेष क्षेत्र चिह्नित किए जाएं।

2. सस्ती दर पर मिट्टी की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।

3. पर्यावरण अनुकूल मिट्टी की मूर्तियों को बढ़ावा मिले।

4. खेतों और नदी किनारे से मिट्टी निकालने की अनुमति दी जाए।

5. सब्जी मंडी की तर्ज पर मूर्तिकारों के लिए स्थायी बाजार की स्थापना हो।

सुनें हमारी बात

मूर्तिकारों के परिवार को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार देने पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। इससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकेगी।

-मीरा देवी

मूर्तिकारों को सरकारी जमीन से निःशुल्क मिट्टी खुदाई की अनुमति दी जाए तथा उद्यमी योजना के तहत 10 लाख रुपये तक का ऋण दिया जाए।

-इंदु देवी

नगर निगम प्रशासन द्वारा मूर्तिकारों के लिए स्थायी स्थान सुनिश्चित किया जाए, जिससे प्रतिमाओं की बिक्री आसानी से हो सके।

-ललिता देवी

मिट्टी कला आयोग का गठन किया जाए, जिससे मूर्तिकारों को अनुदान पर ऋण और सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने में सुविधा हो।

-लखन पंडित

हमें 2000 रुपये प्रति ट्रैक्टर की दर से मिट्टी लानी पड़ती है। रास्ते में पुलिस भी परेशान करती है और उचित मूल्य पर मिट्टी उपलब्ध नहीं हो पाती।

-जुगल पंडित

मेहनत और खर्च के अनुपात में इस व्यवसाय से आमदनी नहीं हो पाती। हमें परिवार चलाने के लिए अन्य कार्य भी करने पड़ते हैं।

-छोटू कुमार

हमारे पास रोजगार का अन्य कोई साधन नहीं है। समुचित आमदनी नहीं होने के बावजूद हम मजबूरी में इस कार्य को कर रहे हैं।

-मंजू देवी

हमारे कई लोग यह व्यवसाय छोड़कर बेहतर रोजगार की तलाश में अन्य स्थानों पर चले गए और आज बेहतर जीवन जी रहे हैं।

-ममता पंडित

हम मजबूरी में इस कार्य को कर रहे हैं। इससे परिवार चलाना भी मुश्किल हो रहा है। सामान्य दिनों में यदि हम अन्य काम न करें तो भूखे रहना पड़ता है।

-प्रमिला देवी

प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों में रसायन होते हैं, जिससे नदी और पोखर प्रदूषित होते हैं। इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगना चाहिए।

-उदय पंडित

मिट्टी की कीमतें बहुत बढ़ गई हैं। खनन विभाग और पुलिस मिट्टी लाने में बाधा पहुंचाते हैं, जिससे हमें कठिनाई होती है।

-गौरी कुमारी

सरस्वती पूजा और विश्वकर्मा पूजा के बाद मूर्तियों के खरीदार नहीं मिलते, जिससे भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

-सीताराम पंडित

मिट्टी से बनी मूर्तियों और अन्य सामग्री के लिए बाजार उपलब्ध कराया जाए, ताकि मूर्तियां सालभर बिकती रहें।

-मुरारी कुमार

यहां से बनी कई प्रतिमाएं मुंगेर सहित अन्य जिलों में ऑर्डर पर भेजी जाती हैं। पूरा परिवार मिलकर दिन-रात काम करता है, फिर भी मजदूरी नहीं निकल पाती। अब यह घाटे का सौदा हो गया है।

-गौतम पंडित

मौसम की अनुकूलता भी मूर्तिकारों के लिए बड़ी चुनौती है, क्योंकि ठंड में मिट्टी की मूर्तियां सूख नहीं पातीं, जिससे नुकसान होता है।

-मृत्युंजय कुमार पंडित

प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों ने मिट्टी की मूर्तियों के व्यवसाय को प्रभावित किया है, जिससे कई मूर्तिकारों को काम नहीं मिल पा रहा है।

-अजय पंडित

बोले जिम्मेदार

कुम्हारों की समस्या मेरे संज्ञान में नहीं थी। नगर निगम में अभी बजट सत्र चल रहा है। बजट सत्र के बाद मूर्तिकारों की समस्याओं पर ध्यान दिया जाएगा। उनकी जो समस्याएं होंगी, उसे दूर करने का प्रयास किया जाएगा।

-कुमकुम देवी, महापौर, मुंगेर नगर निगम, मुंगेर

मुंगेर के मूर्तिकारों की समस्याओं से संबंधित कोई भी मामला अभी तक मेरे संज्ञान में नहीं आया है। मूर्तिकार मुझे आकर मिलें और अपनी समस्याओं से संबंधित आवेदन दें। निश्चित रूप से उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा। जितनी जल्दी वे मिलेंगे उतनी जल्दी उनकी समस्याओं का समाधान होगा।

-अवनीश कुमार सिंह, जिलाधिकारी, मुंगेर,

बोले मुंगेर असर

लघु सिंचाई विभाग को मिला नया भूखंड

मुंगेर, एक संवाददाता। मुंगेर किला परिसर स्थित जर्जर भवन में किराए पर संचालित लघु सिंचाई विभाग को अब नया भवन एवं अपनी जमीन मिलने का रास्ता साफ हो गया है। अपने हिन्दुस्तान समाचार- पत्र में बीते 4 फरवरी को बोले मुंगेर अभियान के तहत लघु सिंचाई विभाग कार्यालय के जर्जर भवन एवं उसके निर्माण लिए जिला प्रशासन द्वारा पिछले कई वर्षों से की जा रही जमीन की मांग के बावजूद अभी तक जमीन उपलब्ध नहीं करने को लेकर प्रकाशित खबर हुई थी। इसका असर हुआ है। जिला प्रशासन ने इस खबर पर संज्ञान लेते हुए विभाग को पूरबसराय स्थित दिलीप धर्मशाला के सामने नगर निगम की 50 डिसमिल जमीन उपलब्ध करा दी है। ज्ञात हो कि विभाग के पास भवन निर्माण के लिए पहले से लगभग साढ़े तीन करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध थी, जिसका अब उपयोग संभव हो सकेगा और विभाग के कार्यालय का निर्माण शुरू हो सकेगा। विभाग के कर्मचारियों ने इस पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि कार्यालय पूरी तरह से जर्जर था। बैठने में भी डर लगता था। अब जमीन मिलने से कार्यालय के अपने भवन के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। कर्मचारी इस प्रगति से पूरी तरह से खुश हैं। हिन्दुस्तान का भी आभार व्यक्त किया है।

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