बोले कटिहार: स्थानांतरण-पदस्थापन के लिए बने नियमावली, नौकरी हो स्थायी
कटिहार जिले के पंचायत सचिवों की स्थिति बेहद खराब है, जहाँ 231 पंचायतों का कार्य केवल 84 सचिव संभाल रहे हैं। सचिवों ने अपनी मांगों में स्थायी नियुक्ति, समय पर वेतन, और गृह जिले में पदस्थापना की मांग की...

पंचायत सचिवों की अनसुनी पीड़ा ओमप्रकाश अम्बुज, देवाशीष गुप्ता कटिहार जिले में पंचायत सचिवों की स्थिति बदहाल है। पूरे जिले की 231 पंचायतों की जिम्मेदारी महज 84 पंचायत सचिव निभा रहे हैं, जिससे काम का दबाव और अव्यवस्था बढ़ गई है। इनमें से केवल चार सचिव ही कटिहार जिले के निवासी हैं। सचिवों की मांग है कि उन्हें जिला कैडर के तर्ज पर गृह जिले में पदस्थापित किया जाए और उनकी सेवा शर्तों को स्थायी, सुरक्षित और सम्मानजनक बनाया जाए। सचिव संघ ने नौ सूत्री मांगों के साथ सरकार से वेतन, भत्ता, पदोन्नति और तकनीकी संसाधन जैसे मुद्दों पर त्वरित कार्रवाई की मांग की है।
कटिहार जिले की पंचायत व्यवस्था इन दिनों गंभीर संकट से गुजर रही है। पूरे जिले की 231 पंचायतों की जिम्मेदारी मात्र 84 पंचायत सचिवों के कंधों पर है। परिणामस्वरूप योजनाओं के क्रियान्वयन से लेकर प्रशासनिक कामकाज तक हर क्षेत्र में अव्यवस्था और दबाव बढ़ गया है। इतना ही नहीं, इन 84 में से केवल चार सचिव ही कटिहार जिले के मूल निवासी हैं। बाकी सचिवों की पदस्थापना अन्य जिलों से हुई है। पंचायत सचिव संघ की स्पष्ट मांग है कि सचिवों को जिला कैडर के तर्ज पर अपने गृह जिला में पदस्थापित किया जाए, जिससे वे बेहतर समन्वय और सेवा दे सकें। कटिहार जिला पंचायत सचिव संघ के अध्यक्ष चंद्र देव कापरी ने कहा कि यह बेहद विडंबनापूर्ण है कि एक सचिव को दो से तीन पंचायतों का भार संभालना पड़ रहा है। यह न तो प्रशासनिक दृष्टि से उचित है और न ही व्यावहारिक। इससे योजनाओं की गुणवत्ता और समय सीमा दोनों प्रभावित हो रही हैं। संघ ने अपनी नौ सूत्री मांगों को लेकर सरकार से शीघ्र कार्रवाई की मांग की है। इनमें सचिवों का स्थानांतरण-पदस्थापन नियमावली बनाना, ग्रेड-पे 2800 करना, प्रोन्नति की उम्र सीमा समाप्त करना, सेवा सम्पुष्टि अभियान चलाना, 2000 रुपये यात्रा भत्ता देना, एसीपी/एमएसीपी का लाभ देना, पदोन्नति हेतु पद चिन्हित करना, कार्यालय अवधि के बाद की रैंडम जांच बंद करना, और ठेकेदारी कार्य से मुक्त करना शामिल है। पंचायत सचिवों का कहना है कि न तो उन्हें आवश्यक तकनीकी संसाधन मिलते हैं, न ही वेतन समय पर। कई पंचायतों में कार्यालय तक नहीं हैं, जहां वे बैठकर काम कर सकें। इसके बावजूद वे योजनाओं के क्रियान्वयन में जुटे हैं। संघ ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द मांगों पर अमल नहीं हुआ, तो सचिव आंदोलन की राह पर उतरने को मजबूर होंगे। उनका कहना है कि सचिवों को जब तक सम्मान, स्थायीत्व और संसाधन नहीं मिलेंगे, तब तक गांवों में विकास की असली रफ्तार नहीं लौट सकती। 40% ग्रेड पे की मांग में वृद्धि करने पर अडिग है पंचायत सचिव 84 में से केवल चार सचिव हैं कटिहार जिले के निवासी 2.75 औसतन पंचायत का काम संभाल रहा है एक सचिव शिकायतें: 1. कई-कई महीने बीत जाते हैं, लेकिन समय पर वेतन नहीं मिलता। 2. एक सचिव पर दो से तीन पंचायतों का कार्यभार डाल दिया गया है। 3. वर्षों की सेवा के बाद भी स्थायी नियुक्ति नहीं मिली है। 4. कंप्यूटर, प्रिंटर, इंटरनेट जैसी सुविधाएं पंचायत कार्यालयों में नहीं हैं। 5. अधिकतर सचिवों की नियुक्ति उनके गृह जिले से बाहर कर दी गई है। सुझाव: 1. जिला कैडर व्यवस्था लागू हो - सचिवों को उनके गृह जिले में नियुक्त किया जाए। 2. वेतन भुगतान की समयबद्ध व्यवस्था बने - हर महीने तय तिथि पर वेतन मिले। 3. प्रत्येक पंचायत में एक सचिव की नियुक्ति हो - कार्यभार संतुलित किया जाए। 4. पदोन्नति की स्पष्ट नीति बने - योग्य सचिवों को समय पर उच्च पदों पर पदोन्नति मिले। 5. पंचायत कार्यालयों में बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित हों - ताकि काम प्रभावी ढंग से हो सके इनकी भी सुनें सरकार को हमारी मेहनत और जिम्मेदारी का सम्मान करना चाहिए। हम बिना संसाधन के भी योजनाएं लागू करते हैं, लेकिन अधिकार और स्थायीत्व से वंचित हैं। नौ सूत्री मांगें हमारी बुनियादी ज़रूरतें हैं, जिन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। फोटो - 01 चंद्र देव कापरी हमारी सबसे बड़ी मांग है कि हर पंचायत में एक सचिव की नियुक्ति हो। एक साथ तीन पंचायतों का भार उठाना नाइंसाफी है। सरकार अगर पंचायतों का विकास चाहती है, तो सचिवों को प्राथमिकता देनी होगी। फोटो - 02 प्रिंस कुमार कटिहार जैसे जिले में चार स्थानीय सचिव होना दुखद है। जिला कैडर नीति लागू होनी चाहिए। हमें अपने जिले में काम करने का अधिकार मिलना चाहिए, ताकि हम बेहतर तालमेल से काम कर सकें। फोटो - 03 उत्तम कुमार जब तक वेतन समय पर नहीं मिलेगा, काम में उत्साह नहीं रहेगा। सचिवों को हर महीने तय तारीख पर वेतन मिलना चाहिए। हम भी परिवार चलाते हैं, हमारी जरूरतें भी हैं। फोटो - 04 अर्जुन कुमार कुशवाहा काम के साथ-साथ मानसिक प्रताड़ना झेलना पड़ता है। कार्यालय समय के बाद भी जांच और दबाव से हम परेशान हैं। यह रवैया बंद होना चाहिए, तभी सचिव खुलकर सेवा दे सकेंगे। फोटो- 05 जयप्रकाश विश्वास आज पंचायत सचिवों के पास स्थायीत्व नहीं है, न ही भविष्य की कोई सुरक्षा। एसीपी व एम एसीपी जैसी योजनाएं लागू की जाएं ताकि हमें भी सम्मानजनक सेवा जीवन मिल सके। फोटो- 06 मोहम्मद निरशाद सरकार को चाहिए कि सचिवों की प्रोन्नति की उम्र सीमा समाप्त करे। जो लोग वर्षों से सेवा दे रहे हैं, उन्हें आगे बढ़ने का अवसर मिलना चाहिए। फोटो- 07 दिलीप कुमार पंडित हमारा काम कागजों में नहीं, ज़मीन पर दिखता है। योजनाओं को क्रियान्वित करने वाले हम ही हैं, फिर भी सबसे उपेक्षित हैं। यह अन्याय कब तक चलेगा? फोटो- 08 धर्मराज पासवान हम चाहते हैं कि सेवा सम्पुष्टि अभियान जल्द चलाया जाए। वर्षों की सेवा के बाद भी स्थायीत्व न मिलना सरकार की उदासीनता दिखाता है। फोटो- 09 राजेश कुमार मंडल यात्रा भत्ता मांगना कोई विलासिता नहीं है। सचिवों को रोज़ गांव-गांव घूमना पड़ता है, जिसमें निजी पैसे खर्च होते हैं। सरकार यह भत्ता दे तो काम और बेहतर हो। फोटो- 10 दीनबंधु कुमार सरकार यदि ग्राम स्तर पर योजनाएं सफल बनाना चाहती है तो सचिवों की स्थिति मजबूत करनी होगी। हमारे बिना पंचायत व्यवस्था अधूरी है। फोटो- 11 भवेश कुमार हम सचिव हैं, लेकिन कई बार हमें ठेकेदार जैसा व्यवहार करना पड़ता है। हमें अभिकर्ता के कार्यों से मुक्त किया जाए ताकि हम अपने असली काम पर ध्यान दे सकें। फोटो- 12 सौगंध कुमार प्रशासन की बेरुखी के कारण पंचायत सचिवों का मनोबल टूट रहा है। अगर सरकार जल्द निर्णय नहीं लेती तो सचिवों का बड़ा आंदोलन होना तय है। फोटो- 13 सुरेश लकड़ा हम चाहते हैं कि पंचायत भवनों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। बिना कंप्यूटर, बिजली और इंटरनेट के काम करना आज के दौर में मजाक बन गया है। फोटो- 14 अमरदीप मंडल हम किसी पद या रुतबे की नहीं, बल्कि अधिकार और गरिमा की लड़ाई लड़ रहे हैं। सचिवों को अधिकार और सुविधा दोनों मिलनी चाहिए। फोटो- 15 निधिर मंडल नियमावली और नीति के अभाव में सचिवों की स्थिति अस्थिर है। सरकार अगर पारदर्शिता चाहती है, तो पहले सचिवों की स्थिति मजबूत करे। फोटो- 16 शंभू शरण पोद्दार हम हर आपदा में, हर मौके पर मैदान में रहते हैं। चाहे चुनाव हो या टीकाकरण, सचिव सबसे पहले पहुंचते हैं। फिर भी हमें सबसे कम महत्व दिया जाता है। फोटो- 17 विष्णु देव रविदास पंचायत सचिवों को वह दर्जा और सुविधा नहीं मिली जिसकी वे हकदार हैं। अब वक्त आ गया है कि हमारी मांगों पर सरकार गंभीरता से विचार करे। फोटो- 18 सुमित कुमार सोनू हमारे पास समय है, समर्पण है, पर संसाधन नहीं। जब तक सरकार सचिवों को संसाधन और सुविधा नहीं देगी, तब तक योजनाएं अधूरी ही रहेंगी। फोटो- 19 आशुतोष कुमार हम काम करते हैं, परिणाम देते हैं, फिर भी हर बार हाशिए पर रखे जाते हैं। अब पंचायत सचिव अपनी आवाज़ बुलंद करेंगे और अधिकार लेकर रहेंगे। फोटो- 20 बलराम कुमार ------------------ जिम्मेदार पंचायत सचिव ग्रामीण विकास की रीढ़ हैं और उनकी समस्याएं वाजिब हैं। उन्होंने कहा कि सचिवों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए ताकि एक पंचायत पर एक सचिव नियुक्त हो सके। ग्रेड-पे, सेवा स्थायीत्व, पदोन्नति और तकनीकी संसाधनों की मांग पूरी तरह जायज है। सरकार को चाहिए कि सचिवों के लिए स्थानांतरण और पदस्थापन की स्पष्ट नीति बनाए और उन्हें गृह जिला में कार्य करने का अवसर दे। मैं इस मुद्दे को विधान परिषद में उठाऊंगा और संबंधित विभाग से सचिवों की मांगों पर शीघ्र कार्रवाई करने की मांग करूंगा। फोटो - 21 अशोक कुमार अग्रवाल, विधान पार्षद, कटिहार 06- B K-22-अपनी पीड़ा को बयां करते कटिहार जिले के पंचायत सचिव 06-B K-23-समाहरणालय के आगे धरना प्रदर्शन करते पंचायत सचिव संघ के सदस्य (फाइल फोटो) 06-B K- 24 हल्का प्रखंड में अवस्थित पंचायत सरकार भवन मोबाइल व्यापार पर संकट की मार, राहत पैकेज की मांग तेज कटिहार, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि मोबाइल रिटेल व्यापार में आई गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स की बढ़त और भारी छूट नीति ने स्थानीय दुकानदारों की कमर तोड़ दी है। 22 अप्रैल को बोले कटिहार के तहत प्रकाशित प्रमुख खबर के बाद अब व्यापारियों में चिंता और गहरी हो गई है। व्यापारियों का कहना है कि लगातार घाटे, बैंक लोन और घटते ग्राहक विश्वास के चलते वे आर्थिक और मानसिक रूप से टूट रहे हैं। कटिहार जैसे प्रमुख व्यापारिक ज़िले में सैकड़ों परिवार अब जीविका की तलाश में जूझ रहे हैं। स्थानीय दुकानदारों का आरोप है कि ई-कॉमर्स कंपनियों को मिल रही छूट और एक्सक्लूसिव ऑफर की नीति असमान प्रतिस्पर्धा को जन्म दे रही है। हम टैक्स भरते हैं, लाइसेंस लेते हैं, फिर भी ऑनलाइन के आगे टिक नहीं पा रहे हैं ऐसा एक दुकानदार ने कहा। व्यापारियों ने सरकार से मांग की है कि ई-कॉमर्स और रिटेल व्यापार के बीच समानता सुनिश्चित की जाए। साथ ही, छोटे व्यापारियों के लिए विशेष राहत पैकेज और मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग जैसी सुविधाएं दी जाएं। कटिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने ठोस कदम नहीं उठाए, तो न सिर्फ सैकड़ों परिवार उजड़ जाएंगे, बल्कि सरकारी राजस्व को भी भारी नुकसान होगा। सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस पहल नहीं हुई है, जिससे नाराज व्यापारी जल्द ही चरणबद्ध आंदोलन की तैयारी में हैं। 06-B K-25-मोबाइल दुकान के काउंटर पर एक्का दुक्का ग्राहक
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