छठी से बारहवीं के बच्चे मंगल-बुध को एक घंटी लेंगे हेल्थ टिप्स, सिलेबस जारी
छठी से बारहवीं के बच्चे मंगल-बुध को एक घंटी लेंगे हेल्थ टिप्स, सिलेबस जारीछठी से बारहवीं के बच्चे मंगल-बुध को एक घंटी लेंगे हेल्थ टिप्स, सिलेबस जारीछठी से बारहवीं के बच्चे मंगल-बुध को एक घंटी लेंगे...

हिन्दुस्तान एक्सक्लूसिव : छठी से बारहवीं के बच्चे मंगल-बुध को एक घंटी लेंगे हेल्थ टिप्स, सिलेबस जारी शिक्षा विभाग ने स्कूलों में पढ़ाई शुरू कराने का जारी किया शिड्यूल किशोरावस्था में हो रहे मानसिक और शारीरिक बदलाव व स्वास्थ्य की देखभाल के बारे में बताया जाएगा सभी स्कूलों के दो-दो शिक्षकों को प्रशिक्षण देकर बनाया गया है आरोग्य दूत फोटो : डीईओ : हरनौत प्रखंड के सरथा हाई स्कूल में छात्रों को स्वास्थ्य की जानकारी देते प्रधानाध्यापक उदय कुमार सिंह व अन्य। बिहारशरीफ, निज संवाददाता। छठी से बाहरवीं के बच्चों को अब स्वास्थ्य की भी जानकारी दी जाएगी। उन्हें किशोरावस्था में हो रहे मानसिक और शारीरिक बदलाव के साथ ही अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों और उसकी सही से देखभाल करने के बारे में बताया जाएगा।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने सभी डीईओ को पत्र भेजकर इसे शुरू कराने का आदेश दिया है। वे स्कूल अपनी सुविधा के अनुसार मंगलवार या बुधवार को अनिवार्य रूप से एक घंटी स्वास्थ्य की पढ़ाई करेंगे। शिक्षा विभाग ने सप्ताहवार इसके लिए सिलेबस जारी किया है। इन सभी स्कूलों में दो दो शिक्षकों को प्रशिक्षण देकर स्वास्थ्य एवं आरोग्य दूत बनाया गया है। हरनौत प्रखंड के सरथा हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक उदय कुमार सिंह ने बताया कि इसके लिए विद्यालयों में स्वास्थ्य एवं आरोग्य कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसका लक्ष्य स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के जीवन कौशल, शरीरिक, मानसिक, बौद्धिक विकास के साथ ही स्वास्थ्य को बढ़ावा देना है। ताकि, उनका सर्वांगीण विकास हो। किशोरावस्था के दौरान उनके शरीर में काफी बदलाव आते हैं। साथ ही, मानसिक स्तर पर भी उनमें बदलाव दिखते हैं। ऐसे में उन्हें स्वास्थ्य व हो रहे बदलाव और इससे होने वाले प्रभाव और कुप्रभाव की जानकारी होनी चाहिए। ताकि, वे अपने स्वास्थ्य का खुद ख्याल रख सकें। इसके लिए सप्ताह में एक घंटी उन्हें पढ़ायी जाती है। हर तीन माह में एक बार स्कूल में मनाया जाता है किशोर स्वास्थ्य एवं आरोग्य दिवस : इन स्कूलों में हर तीन माह में एक बार किशोर स्वास्थ्य एवं आरोग्य दिवस भी मनाया जाता है। इसका उद्देश्य उन्हें इसके प्रति जागरूक करना है। जब बच्चे शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ रहेंगे, तभी वे बेहतर पढ़ाई-लिखाई कर सकेंगे। डॉ. एस सिद्धार्थ ने सभी प्रधानाध्यापकों व अन्य संबंधित अधिकारियों से इन गतिविधियों की सीएएचपी (व्यापक किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम) मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से हर माह रिपोर्ट भेजने को कहा है। खुद को जानना बेहद जरूरी : किसी भी व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए खुद को जानना बहुत ही जरूरी है। खासकर किशोरावस्था के दौरान उनके माता-पिता और अभिभावकों को भी इसपर ध्यान देना चाहिए। उनकी आदतों, रहन सहन में आ रहे बदलाव को नजरअंदाज न करें। बल्कि उन्हें समझाएं और स्वस्थ रहने में उनकी मदद करें। छात्रों को भी इस दौरान पोषण, स्वास्थ्य और स्वच्छता का पूरा ख्याल रखना चाहिए। ‘मैं बदल रहा हूं से शुरू होकर यह सिलेबस इन छात्रों को ऑनलाइन सुरक्षा मेरी जिम्मेदारी, हिंसा के प्रति सामूहिक प्रतिक्रिया, हिंसा, चोट और मदद लेना, हिंसा क्याा है, प्रजनन और स्वास्थ्य, एड्स की रोकथाम, मेरी आदतें मेरा स्वास्थ्य, स्वास्थ्य जीवन शैली, खून की कमी के कारण, निवारण और प्रबंधन, पोषण स्वास्थ्य और स्वच्छता, जेंडर समानता, मानसिक स्वास्थ्य व उलझनों को समझना, दूसरों की भावनाओं को समझना, कटु संबंधों से निपटने के लिए उन्हें तैयार करता है। भावनाओं पर रखें काबू, दिमाग से लें काम : उन्होंने कहा कि यह उम्र जीवन के सफर का काफी संवेदनशील पड़ाव होता है। यहीं पर बच्चे अपने शरीर और मन में हो रहे बदलाव के कारण उथल-पुथल के दौर से गुजर रहे होते हैं। आजकल इंटनेट इसे और बढ़ावा दे रहा है, जहां प्रचार-प्रसार उन्हें लुभाते हैं। इसका असर उनपर पड़ता है। ऐसे में उन्हें स्नेह से समझाएं। इंटरनेट पर अच्छे और गलत दोनों मैटेरियल परोसे जाते है। ऐसे में उनका सही मार्गदर्शन करना चाहिए। इस उम्र में भावनाओं पर काबू रखें और दिमाग से काम लें।
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