Increased Risk of High Blood Pressure During Pregnancy Regular Check-ups Recommended गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप से बढ़ रहा खतरा, कराएं नियमित जांच, Biharsharif Hindi News - Hindustan
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गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप से बढ़ रहा खतरा, कराएं नियमित जांच

गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप से बढ़ रहा खतरा, कराएं नियमित जांच गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप से बढ़ रहा खतरा, कराएं नियमित जांचगर्भावस्था में उच्च रक्तचाप से बढ़ रहा खतरा, कराएं नियमित जांचगर्भावस्था में...

Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफFri, 11 April 2025 09:35 PM
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गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप से बढ़ रहा खतरा, कराएं नियमित जांच

गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप से बढ़ रहा खतरा, कराएं नियमित जांच सदर अस्पताल में स्वास्थ्यकर्मियों को किया गया प्रशिक्षण मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी के लिए स्वास्थ्य विभाग की पहल फोटो : ट्रेनिंग : सदर अस्पताल में शुक्रवार को स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण देती भावना प्रिया। बिहारशरीफ, एक संवाददाता । गर्भावस्था के दौरान होने वाले उच्च रक्तचाप को लेकर शुक्रवार को सदर अस्पताल में स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षक भावना प्रिया ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान मुख्य रूप से चार तरह के उच्च रक्तचाप देखे जाते हैं। गर्भावधि उच्च रक्तचाप, प्रीक्लेम्पसिया, गंभीर प्रीक्लेम्पसिया और ईक्लेम्पसिया। गर्भावधि उच्च रक्तचाप आमतौर पर गर्भावस्था के 20वें सप्ताह के बाद होता है। इसमें रक्तचाप तो बढ़ता है, लेकिन पेशाब में प्रोटीन नहीं पाया जाता। इससे महिलाओं को सिरदर्द, हल्का सूजन और थकावट जैसी समस्याएं होती है। समय पर जांच और दवाओं से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी लाना तथा गर्भवती महिलाओं में समय पर बीमारी की पहचान और उसका इलाज किया जाना है। उन्होंने बताया कि प्रीक्लेम्पसिया की स्थिति में उच्च रक्तचाप के साथ पेशाब में प्रोटीन की उपस्थिति पाई जाती है। गंभीर प्रीक्लेम्पसिया में ये लक्षण और अधिक तीव्र हो जाते हैं और मां-बच्चे दोनों के लिए खतरा बढ़ जाता है। ईक्लेम्पसिया इस स्थिति का सबसे गंभीर रूप है। इसमें गर्भवती महिला को दौरे पड़ सकते हैं और जान का खतरा भी हो सकता है। उच्च रक्तचाप के कारण गर्भनाल में रक्त प्रवाह हो सकता है बाधित : खास तौर पर गर्भवती महिलाओं में इस बीमारी को लेकर बताया गया कि उच्च रक्तचाप के कारण गर्भनाल में रक्त प्रवाह बाधित हो सकता है। इससे भ्रूण को आवश्यक पोषण और ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है। इससे गर्भस्थ शिशु का विकास रुक सकता है, समय से पहले प्रसव या मृत प्रसव जैसी स्थितियां भी हो सकती हैं। यदि समय पर इलाज न हो, तो स्थिति जानलेवा भी हो सकती है। कई बार महिलाएं लक्षणों को मामूली समझकर नजरअंदाज कर देती हैं। लेकिन, लगातार सिरदर्द, आंखों में धुंधलापन, पेट दर्द या अत्यधिक सूजन जैसे लक्षण दिखे, तो उन्हें गंभीरता से लें। तुरंत जांच करवाकर इलाज करवाएं। नियमित एएनसी जांच, रक्तचाप की निगरानी, पेशाब की जांच और संतुलित आहार इस बीमारी की पहचान और रोकथाम में सहायक होते हैं। मौके पर शिल्पा दुबे, नितिन कुमार और मंगेश कुमार व अन्य मौजूद थे।

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