Mauryachak Supasang High School From Glory to Struggles Amid Teacher Shortage विद्यालय के विद्यार्थी कई विभागों में बड़े पदों पर हुए तैनात फिर भी इंटर के विज्ञान संकाय में शिक्षक नहीं, Biharsharif Hindi News - Hindustan
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विद्यालय के विद्यार्थी कई विभागों में बड़े पदों पर हुए तैनात फिर भी इंटर के विज्ञान संकाय में शिक्षक नहीं

विद्यालय के विद्यार्थी कई विभागों में बड़े पदों पर हुए तैनात फिर भी इंटर के विज्ञान संकाय में शिक्षक नहींविद्यालय के विद्यार्थी कई विभागों में बड़े पदों पर हुए तैनात फिर भी इंटर के विज्ञान संकाय में...

Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफSat, 12 April 2025 10:56 PM
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विद्यालय के विद्यार्थी कई विभागों में बड़े पदों पर हुए तैनात फिर भी इंटर के विज्ञान संकाय में शिक्षक नहीं

गौरव से गर्दिश तक 17 : मौर्याचक सुपासंग हाई स्कूल : विद्यालय के विद्यार्थी कई विभागों में बड़े पदों पर हुए तैनात फिर भी इंटर के विज्ञान संकाय में शिक्षक नहीं ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से 1951 में शुरू कराया था 10 खपरैल कमरों में विद्यालय हॉस्टल में रहकर विद्यार्थी शिक्षकों की देख-रेख में करते थे पढ़ाई, पेयजल का एकमात्र साधन था कुआं विद्यालय में पढ़ाई कर कई विद्यार्थियों ने देश-दुनिया में बनायी अपनी पहचान फोटो : सुपासंग हाई स्कूल : रहुई प्रखंड का मौर्याचक सुपासंग हाई स्कूल का भवन। बिहारशरीफ, हिन्दुस्तान संवाददाता। रहुई प्रखंड मुख्यालय से आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है मौर्याचक-सुपासंग हाई स्कूल। ग्रामीणों ने वर्ष 1951 में आपसी सहयोग से विद्यालय का निर्माण कराया था। सरकार ने वर्ष 1953 में इस विद्यालय को मान्यता प्रदान की थी। बताया जाता है कि आरंभ में छठी कक्षा की विद्यार्थियों सें पढ़ाई शुरू करायी गयी थी। 250 विद्यार्थी व 12 शिक्षकों से विद्यालय संचालन का शुरुआत की गयी थी। करीब 55 विद्यार्थी हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करते थे। विद्यार्थियों को रहने के लिए छात्रावास की सुविधा उपलब्ध करायी गयी थी। पेयजल की सुविधा के लिए स्कूल के बगल में दो कुआं था। इस विद्यालय ने देश-दुनिया को कई होनहार दिये। कई विद्यार्थियों ने कई क्षेत्रों में अपनी पहचान बनायी। लेकिन, वर्तमान में शिक्षकों की कमी का दंश झेल रहा है। बताया जाता है कि इस विद्यालय में मैट्रिक की पढ़ाई 1980 से शुरू करायी गयी थी। जबकि, इंटर की पढ़ाई के लिए बोर्ड ने वर्ष 2014 ने मान्यता दी। विद्यालय का अस्तित्व : स्थानीय ग्रामीणों व बुद्धिजीवियों ने वर्ष 1951 में इस इलाके के बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए विद्यालय स्थापित करने की रणनीति बनायी। ताकि, बच्चों को पढ़ाई करने के लिए दूरदराज नहीं जाना पड़े। विद्यालय निर्माण के लिए बुद्धिजीवी व समाजसेवी छोटे प्रसाद ने भूमि उपलब्ध करायी। ग्रामीणों के आपसी सहयोग से 10 खपरैल कमरों का निर्माण कराया गया था। शिक्षकों को गुरुजनों के मार्गदर्शन में शिक्षा ग्रहण कर सकें। विद्यालय प्रशासन ने हॉस्टल की शुरुआत करायी थी। शिक्षकों व विद्यार्थियों के लिए भोजन के लिए मेस की सुविधा उपलब्ध करायी गयी थी। ताकि, विद्यार्थी पढ़ाई पर ही ध्यान केन्द्रित रख सकें। बताया जाता है कि विद्यालय भवन व खेल मैदान के लिए करीब सात एकड़ भूमि उपलब्ध करायी गयी थी। विद्यालय के प्रथम प्राचार्य सरयुग प्रसाद सिंह बनाए गये थे। शिक्षकों व विद्यार्थियों के पानी की व्यवस्था के लिए दो कुएं का निर्माण कराया गया था। विद्यालय की उपलब्धियां : ग्रामीणों ने बताया कि ईं. सुनील कुमार इसी विद्यालय से हाई स्कूल की पढ़ाई की थी। हरनौत विधानसभा के विधायक बने। वर्तमान में जदयू के राष्ट्रीय महासचिव के पद पर कार्यरत हैं। शहर के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. नरेन्द्र कुमार हड्डी रोग विशेषज्ञ इसी विद्यालय में हाई स्कूल की पढ़ाई की थी। इसी विद्यालय के होनहार विद्यार्थी मनोज कुमार वर्तमान में सीएम सचिवालय में डिप्टी कलेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। इसी विद्यालय के छात्र सत्येन्द्र कुमार अमेरिका में इंजीनियर हैं। इसी विद्यालय के छात्र रहे डॉ. अमरेन्द्र कुमार उतर प्रदेश के अयोध्या धाम में वरीय सर्जन के रूप में कार्य कर रहे हैं। इन विद्यार्थियों के अलावा कई विद्यार्थी देश-दुनिया के कई विभागों में कई पदों पर विराजमान हैं। खेल मैदान : प्राचार्य डॉ. अवधेश प्रसाद मेहता ने बताया कि खेल मैदान व्यवस्थित है। इस विद्यालय के विद्यार्थी वॉलीबॉल में राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में विद्यालय का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। योग में इसी विद्यालय के छात्र सौरव आर्य राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में विद्यालय का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। खेल शिक्षक के मार्गदर्शन में विद्यार्थियों को खेलकूद करायी जाती है। 92 फीसदी रिजल्ट : प्राचार्य ने बताया कि इस विद्यालय में मैट्रिक व इंटर परीक्षा में 90 फीसदी विद्यार्थी सफलता हासिल कर रहे हैं। पढ़ाई-लिखाई के साथ खेलकूद समेत कई विधाओं में विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। वर्तमान व्यवस्था : प्राचार्य ने बताया कि इस विद्यालय में 35 कमरे हैं। नौवीं में 184, दसवीं में 339 ग्यारहवीं में 210 व बारहवीं कक्षा में भी 210 विद्यार्थी पढ़ाई करते हैं। हाई स्कूल में विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए 11 तो प्लस-टू विद्यालय में महज चार शिक्षक कार्यरत हैं। इंटर में विज्ञान संकाय के विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए एक भी शिक्षक नहीं हैं। जबकि, कला संकाय में अर्थशास्त्र, गृह विज्ञान, हिन्दी, अंग्रेजी समेत कई विषयों के शिक्षक नहीं हैं। विद्यालय में भौतिकी, रसायन शास्त्र व जीवविज्ञान के लिए अलग अलग व्यवस्थित प्रयोगशाला की व्यवस्था है। सुसज्जित पुस्तकालय, आईसीटी लैब, स्मार्ट क्लास की सुविधा है। बोले प्राचार्य : विद्यालय के पुराने गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है। शिक्षकों की कमी की वजह से विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना चुनौती बना हुआ है। इंटर में विज्ञान संकाय में शिक्षकों की पदस्थापन करा दिया जाये तो विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में सहूलियत होगी। अवधेश कुमार मेहता, प्राचार्य, मौयाचक-सुपासंग हाई स्कूल

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