नालंदा डीएम का मिला प्रधानमंत्री पुरस्कार 2023
नालंदा डीएम का मिला प्रधानमंत्री पुरस्कार 2023नालंदा डीएम का मिला प्रधानमंत्री पुरस्कार 2023नालंदा डीएम का मिला प्रधानमंत्री पुरस्कार 2023

नालंदा डीएम का मिला प्रधानमंत्री पुरस्कार 2023 जिले के समग्र विकास के लिए सर्वश्रेष्ठ कार्य निष्पादन के लिए नवाजे गये शशांक शुभंकर फोटो : पीएम डीएम : नई दिल्ली के विज्ञान भवन में सोमवार को प्रधानमंत्री पुरस्कार 2023 के साथ नालंदा डीएम शशांक शुभंकर। बिहारशरीफ, कार्यालय संवाददाता। नालंदा डीएम शशांक शुभंकर को सोमवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में प्रधानमंत्री पुरस्कार 2023 से नवाजा गया। यह पुरस्कार उन्हें जिले के समग्र विकास के लिए सर्वश्रेष्ठ कार्य निष्पादन के लिए दिया गया है। पुरस्कार पाने के बाद ‘हिन्दुस्तान से डीएम शशांक शुभंकर ने कहा-‘वैसे तो मैं सर्वदा ही जिले के विकास में पूरी तन्मयता से काम करता रहा हूं। लेकिन, इस क्षमता को और तेजी व सटिक तरीके से उपयोग कर जिले के विकास में और अधिक योगदान देने का भरसक प्रयास करूंगा। 17वें सिविल सेवा दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अवार्ड देते हुए कहा कि इस साल हम अपने संविधान का 75वां वर्ष बना रहे हैं और ये सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वी जयंती का भी साल है। 21 अप्रैल 1947 को सरदार वल्लभभाई पटेल ने आप सभी को (सिविल सेवा कर्मियों को) ‘स्टील फ्रेम ऑफ इंडिया कहा था। उन्होंने स्वतंत्र भारत की ब्यूरोक्रेसी की नई मर्यादाएं तय की थीं। एक ऐसा सिविल सर्वेंट, जो राष्ट्र की सेवा को अपना सर्वोत्तम कर्तव्य माने। जो लोकतांत्रिक तरीके से प्रशासन चलाए, जो ईमानदारी, अनुशासन और समर्पण से भरा हुआ हो। जो देश के लक्ष्यों के लिए दिन-रात काम करे। आज जब हम विकसित भारत बनाने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं, तो सरदार वल्लभभाई पटेल की ये बातें और ज़्यादा प्रासंगिक हो जाती हैं। मैं आज सरदार साहब के विजन को नमन करता हूं और उनको भावभीनी श्रद्धांजलि भी देता हूं। उनके विजन को धरातल पर उतारने में आपसब (ब्यूरोक्रेसी) अहम भूमिका निभाते हैं। कुछ समय पहले मैंने लाल किले से कहा था कि आज के भारत को आने वाले एक हजार साल की नींव को मजबूत करना है। एक हिसाब से देखें तो एक हजार साल की सहस्त्राब्दी में पहले 25 साल बीत गए हैं। ये नई शताब्दी का 25वां साल है और नए मिलेनियम यानी नई सहस्त्राब्दी का भी 25वां साल है। हम आज जिन नीतियों पर काम कर रहे हैं, जो निर्णय ले रहे हैं, वो एक हजार साल का भविष्य तय करने वाले हैं। हमारे शास्त्रों में कहा गया है-‘यथा हि एकेन चक्रेण न रथस्य गतिर्भवेत्। एवं पुरूषकारेण विना दैवं न सिध्यति॥-यानी जैसे एक चक्र से रथ नहीं चल सकता है, उसी प्रकार बिना मेहनत के सिर्फ भाग्य के भरोसे सफलता नहीं मिलती। विकसित भारत के हमारे लक्ष्य के लिए भी विकास रथ के हर चक्र को मिलकर चला है, दृढ़ प्रतिज्ञ होकर हर दिन, हर क्षण इस लक्ष्य के लिए काम करना है, लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जीना है, जिन्दगी खपानी है।
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