Royal Bhutan Monastery Completed in Rajgir Inauguration in December रॉयल भूटान मॉनेस्ट्री का निर्माण पूरा, दिसंबर में होगा उद्घाटन, Biharsharif Hindi News - Hindustan
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रॉयल भूटान मॉनेस्ट्री का निर्माण पूरा, दिसंबर में होगा उद्घाटन

रॉयल भूटान मॉनेस्ट्री का निर्माण पूरा, दिसंबर में होगा उद्घाटनरॉयल भूटान मॉनेस्ट्री का निर्माण पूरा, दिसंबर में होगा उद्घाटनरॉयल भूटान मॉनेस्ट्री का निर्माण पूरा, दिसंबर में होगा उद्घाटनरॉयल भूटान...

Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफTue, 8 April 2025 11:08 PM
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रॉयल भूटान मॉनेस्ट्री का निर्माण पूरा, दिसंबर में होगा उद्घाटन

रॉयल भूटान मॉनेस्ट्री का निर्माण पूरा, दिसंबर में होगा उद्घाटन बोधगया के बाद राजगीर में बिहार की दूसरी मॉनेस्ट्री नीतीश सरकार ने भूटान को राजगीर में ढाई एकड़ जमीन दी थी दान भारत और भूटान के सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक होगी यह है यह रॉयल भूटान मॉनेस्ट्री फोटो : रॉयल भूटान : राजगीर में ढाई एकड़ जमीन पर बनकर तैयार रॉयल भूटान मॉनेस्ट्री। राजगीर, निज संवाददाता/अनूप कुमार। अंतरराष्ट्रीय पर्यटन एवं सर्व-धर्मसम्भाव की नगरी राजगीर में भारत-भूटान मैत्री का प्रतीक निर्माणाधीन रॉयल भूटान बौद्ध मठ (मॉनेस्ट्री) का निर्माण पूरा हो गया है। इसे विश्व स्तरीय आधारभूत संरचना के अंतर्गत निर्मित किया गया है, जो भारत और भूटान की सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक है। इसका उद्घाटन दिसम्बर में कराने की तैयारी चल रही है। इस भूटान मॉनेस्ट्री के निर्माण के लिए वर्ष 2009 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भूटान को राजगीर में ढाई एकड़ भूमि दान दी थी। बाद में इस भूटान बौद्ध मठ का शिलान्यास मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 11 नवंबर 2018 को भूटान की महारानी एचएच 70 जी खेनपो की उपस्थिति में किया था। बोधगया के बाद भगवान बुद्ध की अति प्रिय स्थली राजगीर में बिहार का यह दूसरा रॉयल भूटान बौद्ध मठ (मंदिर) है। इसकी ऊंचाई 70 फीट है। मंदिर में भगवान बुद्ध की 10 फीट की प्रतिमा है। इसके अलावा भूटान के धर्मगुरु और बौद्ध धर्म के संस्थापक पद्मसंभव (रिनपोछे) और जबदरूंग (संदूम) की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। ये सारी प्रतिमाएं मिट्टी से बनायी गयी हैं। प्रतिमा निर्माण में रूई और विशेष प्रकार के रसायनों का प्रयोग मिट्टी के साथ किया गया है। मूर्ति पर विशेष प्रकार का लेप और प्राकृतिक पेंट का उपयोग कर उसे सुंदर आकार दिया गया है। निर्माण पर हुए हैं 40 करोड़ खर्च : मंदिर के निर्माण पर 40 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। मंदिर बहुत ही भव्य है। इसमें एक साथ 200 से अधिक लामा बैठकर पूजा कर सकेंगे। इसके साथ ही, मंदिर परिसर में दो गेस्ट हाउस भी बनाए गए हैं। पहले गेस्ट हाउस में 52 कमरे और डोरमेट्री है। वहीं दूसरा गेस्ट हाउस अति विशिष्ट वीवीआईपी लोगों के लिए है। इसमें 22 कमरे और डॉरमेट्री बनाए गए हैं। सबसे ऊपरी भाग पर स्वर्ण शिखर : भूटान बौद्ध मॉनेस्ट्री और दोनों गेस्ट हाउस सहित पूरे परिसर को भूटान की बौद्ध परंपरा के अनुकूल सजाया-संवारा गया है। इसमें भूटानी इंजीनियर द्वारा विशेष तौर पर नक्काशी की गयी है। मंदिर के सबसे ऊपरी भाग पर स्वर्ण शिखर की स्थापना की गई है, जो दूर से ही देखने में काफी सुंदर और आकर्षक लगती है। इस तरह से राजगीर के पर्यटन क्षेत्र में एक और अध्याय जुड़ने वाला है। चारों कोनों पर चार संरक्षकों की प्रतिमाएं : मंदिर के सभी चारों कोनों पर चारों दिशाओं में चार संरक्षक राजा की प्रतिमाएं स्थापित की गयी हैं। माना जाता है कि ये संरक्षक बुद्ध के शुरुआती अनुयायियों में से हैं और वे संरचना की रक्षा करते हैं। उत्तर के राजा (पीले रंग के) एक विशाल सिंहासनधारी देवता हैं, जिनका चेहरा बहुत ही रोबिला है। उनके दाहिने हाथ में विजय पताका है और बाएं हाथ में रत्न-उल्टी करने वाला नेवला है। इन्हें विश्रवण धन का देवता कहा जाता है। यह मंदिर के उत्तरी कोण पर स्थापित है। संरक्षक राजा-धृतराष्ट्र : पूर्व का संरक्षक राजा-धृतराष्ट्र (सफेद रंग का) अपनी आंखें बंद करके वीणा पर धुन बजाते हुए इन्हें दिखाया गया है। बौद्ध धर्म में इन्हें संगीत का देवता माना जाता है। मंदिर के पूर्वी कोन पर इनकी प्रतिमा है। दक्षिण के संरक्षक राजा (नीले रंग में) को ठोड़ी पर लाल रंग की दाढ़ी में दिखाया गया है और वे मियान में तलवार रखे हुए हैं। भूटान में इन्हें कवचधारी विरुधका के नाम से जाना जाता है। इन्हें विनम्रता का प्रतीक देवता माना जाता है। मंदिर के दक्षिणी कोने पर इनकी प्रतिमा लोगों को लुभाएगी। पश्चिम का संरक्षक राजा: पश्चिम का संरक्षक राजा (लाल रंग का) अपने बाएं हाथ में एक स्तूप और अपने दाहिने हाथ में एक हरा सांप थामे इन्हें दिखाया गया है। इन्हें विरुपाक्ष भूमि और पृथ्वी का रक्षक देवता माना जाता है। इनकी प्रतिमा मंदिर के पश्चिम कोन पर लगायी गयी है। बागों को सजाया जा रहा : बौद्ध मंदिर के पुजारी शेरव ने बताया कि मंदिर का निर्माण पूरा हो गया है। अब सिर्फ बाग लगाने का काम बाकी है। यह काम जल्द ही शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राजगीर में भगवान बुद्ध ज्ञान प्राप्ति के पूर्व तथा ज्ञान प्राप्ति के बाद भी पहुंचे थे। यहां वर्षों तप, साधना और कई वर्षावास किए। यहां कई ऐसे रमणीक स्थल हैं, जहां के कोने-कोने में भगवान बुद्ध का संदेशों की अनुगूंज सुनाई देती है। जिसे देखने, सुनने और आभास करने के लिए विश्व भर के बौद्ध धर्मावलंबी यहां आते हैं। यहां भूटानी बौद्ध मंदिर की स्थापना होना भूटान के लिए एक गर्व की बात है। अतिथि देवो भव: का कायल है पूरा विश्व : उन्होंने कहा कि बोधगया, नालन्दा और राजगीर के विभिन्न पर्यटक व बौद्ध स्थल काफी सुंदर और मनोहारी है। और उसमें भी यहां के लोगों का अतिथि देवो भव: का मधुर व्यवहार बरबस ही मन मोह लेता है। यहां के अतिथि देवो भव: का पूरा विश्व कायल है। उन्होंने बताया कि भारत के लोग काफी संख्या में भूटान के विभिन्न क्षेत्रों में शिरकत कर रहे हैं। बिहार से भी काफी संख्या में लोग भूटान में हैं। जबकि बोधगया में भी भूटानी बौद्ध मंदिर हैं। जहां सलाना भूटान के तीर्थयात्रियों का आवागमन जारी रहता है। उन्होंने कहा कि राजगीर में इस मंदिर का उद्घाटन हो जाने के बाद यह आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा। तब यहां भी भूटान तीर्थ यात्रियों का आगमन लगातार होता रहेगा। पर्यटन बढ़ने से यहां के स्थानीय लोगों को भी काफी लाभ होगा।

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