Three Sacred Water Kunds Dry Up in Rajgir Concerns for Tourism and Groundwater Depletion विश्वप्रसिद्ध ब्रह्मकुंड क्षेत्र के 3 कुंड बंद, तो सप्तधारा की धाराएं भी पड़ने लगीं कुंद, Biharsharif Hindi News - Hindustan
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विश्वप्रसिद्ध ब्रह्मकुंड क्षेत्र के 3 कुंड बंद, तो सप्तधारा की धाराएं भी पड़ने लगीं कुंद

विश्वप्रसिद्ध ब्रह्मकुंड क्षेत्र के 3 कुंड बंद, तो सप्तधारा की धाराएं भी पड़ने लगीं कुंदविश्वप्रसिद्ध ब्रह्मकुंड क्षेत्र के 3 कुंड बंद, तो सप्तधारा की धाराएं भी पड़ने लगीं कुंदविश्वप्रसिद्ध ब्रह्मकुंड...

Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफTue, 27 May 2025 11:51 PM
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विश्वप्रसिद्ध ब्रह्मकुंड क्षेत्र के 3 कुंड बंद, तो सप्तधारा की धाराएं भी पड़ने लगीं कुंद

विश्वप्रसिद्ध ब्रह्मकुंड क्षेत्र के 3 कुंड बंद, तो सप्तधारा की धाराएं भी पड़ने लगीं कुंद जानकारों ने बताया-बोरिंग की संख्या बढ़ने से भू-गर्भ जल का अधिक दोहन बन रहा कारण राजगीर में हैं 21 कुंड और 52 धाराएं पर्यटन व्यवसाय पर प्रतिकूल असर पड़ने के आसार से लोगों की बढ़ी चिंता फोटो: राजगीर कुंड : राजगीर ब्रह्मकुंड परिसर में सूखा मार्कंडेय कुंड। राजगीर, निज प्रतिनिधि मंजीत प्रभाकर। पर्यटक व धार्मिक नगरी राजगीर में गर्म जल के कुंड खासकर ब्रह्मकुंड आकर्षण का केन्द्र है। लेकिन, विश्वप्रसिद्ध ब्रह्मकुंड क्षेत्र के मार्कंडेय, व्यास, और गंगा-जमुना कुंडों की धाराएं पूरी तरह सूख चुकी हैं। जबकि, सप्तधारा की अधिकतर धाराएं कुंद पड़ने लगी हैं।

ऐसे में पर्यटन व्यवसाय पर प्रतिकूल असर पड़ने के आसार से लोगों की चिंता बढ़ गयी है। जानकारों ने बताया कि बोरिंग की संख्या बढ़ने से भू-गर्भ जल का अधिक दोहन इसका मुख्य कारण बन रहा है। मलमास, राजगीर महोत्सव, विश्वशांति स्तूप वार्षिकोत्सव, प्रकाश पर्व, मकर संक्रांति मेला सरीखे मुख्य आयोजनों को छोड़ भी दिये जाएं, तो सालाना दो करोड़ से अधिक सैलानी यहां आते हैं। उनके कार्यक्रमों में कुंड स्नान जरूर शामिल होता है। ऐसे में शहर की आर्थिक हालात के चरमराने की नौबत बनने की आशंका बढ़ने लगी है। स्थानीय व्यवसायियों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंचने लगी हैं। क्या होगा असर : धाराओं के सूखने से पर्यटकों की संख्या में कमी आ सकती है। रोजगार पर भी असर पड़ सकता है। अगले साल 17 मई से 15 जून तक मलमास मेला लगेगा। यह समय भी गर्मी का होगा। कुंड सूख गये तो मलमास मेला में पहुंचे श्रद्धालु स्नान से वंचित रह जाएंगे। मलमास में कुंड स्नान का बड़ा महत्व है। कुंडों के बंद होने से अगले साल होने वाले मलमास मेला पर असर पड़ सकता है। कारण और उपाय : अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के महामंत्री डॉ. धीरेन्द्र उपाध्याय व पंडा कमेटी के सचिव विकास उपाध्याय की मानें तो कुंड परिसर के आसपास बोरिंग की भरमार है। कुंडों की धाराएं बंद होने का सबसे बड़ा कारण यही है। कई साल पहले जिला प्रशासन के सहयोग से गर्म जल उगलने वाली कई बोरिंग बंद करायी गयी थीं। प्रशासन को फिर से ऐसा अभियान चलाना होगा। वैभारगिरि स्थित बेल्वाडोब तालाब की उड़ाही होने के बाद कुछ समय तक सभी धाराएं सामान्य हो गयी थीं। ऐसी मान्यता है कि इसी तालाब से कुंडों में पानी आता है। 5 साल पहले भी सूखे थे कुंड : पांच साल पहले भी कई कुंडों की धाराएं बंद हो गयी थीं। उसके बाद बेल्वाडोब तालाब की उड़ाही करायी गयी थी। लेकिन, यह नाकाफी साबित हुई। न बोरिंग बंद हुईं न उच्चस्तरीय टीम से इसकी जांच करायी गयी। नगर पमरिषद की मुख्य पार्षद जीरो देवी ने बताया कि प्रशासन को एहतियातन कदम शीघ्र उठाना चाहिए। कुंड ही राजगीर की पहचान है। अधिकारी बोले : राजगीर के गर्मकुंड काफी प्राचीन हैं। इसके कारण यहां की काफी महत्ता है। ऐसे में प्राचीन धरोहर को बचाने का हरसंभव प्रयास किया जाएगा। आशीष नारायण, एसडीओ, राजगीर

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