मुजफ्फरपुर को छोड़ 37 जिलों में छात्रों के नाामांकन में अप्रत्याशित गिरावट
मुजफ्फरपुर को छोड़ 37 जिलों में छात्रों के नाामांकन में अप्रत्याशित गिरावटमुजफ्फरपुर को छोड़ 37 जिलों में छात्रों के नाामांकन में अप्रत्याशित गिरावटमुजफ्फरपुर को छोड़ 37 जिलों में छात्रों के नाामांकन...

हिन्दुस्तान एक्सक्लूसिव : मुजफ्फरपुर को छोड़ 37 जिलों में छात्रों के नाामांकन में अप्रत्याशित गिरावट बीईपी के एसपीडी ने दी डीईओ को चेतावनी, कहा-15 तक दूर करें समस्या नामांकन कम होने से जीईआर, एनईआर व छीजन मामले में होती है फजीहत फोटो : स्टूडेंट्स : बिहारशरीफ के स्कूल में पढ़ते बच्चे। बिहारशरीफ, कार्यालय संवाददाता। मुजफ्फरपुर को छोड़ 37 जिलों में छात्रों के नाामांकन में अप्रत्याशित गिरावट आयी है। इसके कारण बिहार शिक्षा परियोजना (बीईपी) के स्टेट प्रोजेक्ट डायरेक्टर (एसपीडी) ने 37 जिलों के डीईओ को चेतावनी दी है। साथ ही, कहा है कि वे हर हाल में 15 अप्रैल तक समस्या का समाधान करें। नामांकन कम होने से जीईआर (ग्रॉस इनरॉलमेंट रेसियो यानि कुल नामांकन दर) व एनईआर (नेट इनरॉलमेंट रेसियो यानि शुद्ध नामांकन दर) व छीजन मामले में फजीहत होती है। यू-डायस के 2024-25 व 2023-24 की तुलना से स्पष्ट होता है कि विद्यालय में नामांकित बच्चों की संख्या में वर्ष 2024-25 में अप्रत्याशित गिरावट आयी है। शैक्षणिक सत्र 2023-24 में यू-डायस के अनुसार प्री प्राइमरी से बारहवीं कक्षाओं तक में दो करोड़ 12 लाख 77 हजार 546 विद्यार्थी नामांकित थे। जबकि, सत्र 2024-25 में हय आंकड़ा एक करोड़ 92 लाख 44 हजार 879 रह गया है। इस तरह, 20 लाख 32 हजार 667 बच्चों का कम नामांकन हुआ है। यह कमी 9.55 फीसदी है, जो शिक्षा विभाग को चिंता में डाल दिया है। क्या है कारण : नामांकन कम होने का कारण बच्चों का बीच में पढ़ाई छोड़ना यानि छीजन है। यह विभाग के लिए शर्मनाक स्थिति बनाता है। वहीं दूसरी ओर, शिक्षा का अधिकार अधिनियम की अवहेलना भी होती है। हर हाल में पहली से बाहरवीं में पढ़ने वाले बच्चों को बीच में पढ़ाई न छोड़ने वाला वातावरण बनाना है। करें समीक्षा : एसपीडी ने सभी डीईओ को स्पष्ट रूप से कहा है कि मामले की बारीकी से समीक्षा करें। यह पता लगाएं कि शिथिलता किस स्तर पर बरती गयी है। जिला से लेकर प्रखंड व स्कूल स्तर तक के हालात को गंभीरता से लेकर नामांकन के आंकड़े को बढ़ायें। यह सुनिश्चित करें कि पहली से बारहवीं में पढ़ने वाला कोई बच्चा बीच में पढ़ाई छोड़कर काम-धंधा अथवा अन्य कार्य में तो नहीं जुटा हुआ है। नालंदा में 4.82, तो शेखपुरा में 14.24 फीसदी गिरावट : 4 अप्रैल को की गयी समीक्षा से तैयार आंकड़े के अनुसार नालंदा में सत्र 2023-24 में छह लाख आठ हजार 807 विद्यार्थी नामांकित थे। जबकि, सत्र 2024-25 में यह आंकड़ा पांच लाख उन्नासी हजार 490 है। इस तरह 29 हजार 317 विद्यार्थियों के कम नामांकन से 4.82 फीसदी गिरावट आयी है। इसी तरह, शेखपुरा जिले में सत्र 2023-24 में एक लाख 63 हजार 576 विद्यार्थी नामांकित थे। जबकि, सत्र 2024-25 में यह आंकड़ा एक लाख 40 हजार 283 है। इस तरह, 23 हजार 293 विद्यार्थियों के कम नामांकन से 14.24 फीसदी गिरावट आयी है। वैसे जिले जहां सबसे अधिक नामांकन में गिरावट (फीसदी में): सारण : 24.38 पूर्वी चंपारण : 23.52 गोपालगंज : 20.55 अरवल : 18.78 जहानाबाद : 17.69 वैसे जिले जहां सबसे कम नामांकन में गिरावट (फीसदी में): खगड़िया : 1.66 वैशाली : 1.82 सुपौल 2.13 पटना : 2.29 औरंगाबाद : 2.65 अधिकारी बोले : नामांकन में कमी आने की कई वजहें होती हैं। हमें यह ध्यान रखना है कि सूबे का कोई भी बच्चा बीच में पढ़ाई न छोड़े। पहली से बारहवीं कक्षाओं के बीच अगर कोई पढ़ाई छोड़ता है, तो स्थानीय स्तर पर उसके अभिभावक से मुलाकात कर फिर से स्कूल में लाने का प्रयास करना है। अजय यादव, एसपीडी, बीईपी
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