birth and death certificate will made in gram panchayat जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने में अब नहीं होगा टेंशन, ग्राम पंचायतों में बनेंगे; नीतीश सरकार का प्लान, Bihar Hindi News - Hindustan
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जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने में अब नहीं होगा टेंशन, ग्राम पंचायतों में बनेंगे; नीतीश सरकार का प्लान

बिहार में हर साल 30 लाख से अधिक बच्चों का जन्म प्रमाणपत्र बनाया जाता है। सबसे अधिक शहरी क्षेत्र में प्रमाण पत्र बनवाए जा रहे हैं। ग्रामीण इलाके के लोग इस मामले में शहरी लोगों से पीछे हैं। इसीलिए ग्रामीण इलाके में सुविधाजनक तरीके से काम हो इसके लिए पंचायत स्तर पर ही व्यवस्था कराई जा रही है।

Nishant Nandan हिन्दुस्तान, शैलेश कुमार सिंह, पटनाTue, 13 May 2025 07:49 AM
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जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने में अब नहीं होगा टेंशन, ग्राम पंचायतों में बनेंगे; नीतीश सरकार का प्लान

बिहार में अब ग्राम पंचायतों में भी जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र बनाए जाएंगे। पंचायत सचिव को प्रमाणपत्र बनाने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इस दिशा में काम शुरू कर दिया गया है। प्रमाणपत्र बनवाने के लिए प्रखंड कार्यालय नहीं जाना पड़े इसके लिए सभी पंचायत सरकार भवन में ऐसी सुविधा होगी।इस संबंध में अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशालय की ओर से पहल शुरू है। तीन स्तरों पर व्यवस्था होगी। पंचायत सरकार भवन में जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने को अलग से काउंटर के लिए विचार हो रहा है। यहां पंचायत सचिव के स्तर से प्रमाणपत्र जारी होंगे।

आवेदन भी पंचायत सरकार भवन में ही जमा होंगे। सत्यापन के बाद पंचायत सचिव के स्तर से ही दोनों प्रमाणपत्र निर्गत होंगे। ट्रायल के तौर पर प्रदेश की सभी पंचायतों में ग्राम विकास शिविर लग रहा है, जिसमें जिन बच्चों को अभी तक जन्म प्रमाणपत्र नहीं बना है उसे अभियान के तौर पर किया जा रहा है।

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पहले प्रखंड सांख्यिकी कार्यालय से बनते थे प्रमाण पत्र

पहले प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी के स्तर से प्रमाणपत्र बनाने की व्यवस्था थी। अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशालय ने पाया है कि इसमें आमलोगों को दिक्कत हो रही है। लोगों को प्रखंड कार्यालय जाना पड़ता था। प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी के कार्यालय में आवेदकों की अधिकता होने से समय पर निपटारा नहीं हो पा रहा था। लोग भी परेशान थे। प्रखंड स्तर पर एक ही काउंटर रहता था। इससे लोगों की भीड़ लगी रहती थी। ऐसी भी शिकायत आने लगी थी कि जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने वाले दलालों की सक्रियता प्रखंड कार्यालयों में अधिक हो गई है।

शहरी क्षेत्र में रजिस्ट्रार कार्यालय में होगी सुविधा

शहरी क्षेत्र में जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र की जिम्मेवारी रजिस्ट्रार की होगी। हालांकि इस पर भी कई लोगों ने आपत्ति की है। लोगों का कहना है कि नगर निगम, नगर परिषद और नगर पंचायत में रजिस्ट्रार के यहां लोगों को प्रमाण पत्र बनवाने में काफी दिक्कत हो रही है। इसीलिए यहां भी वार्ड स्तर पर प्रमाणपत्र बनवाने की व्यवस्था हो।

सूबे में हर साल 30 लाख बच्चों का बनता है सर्टिफिकेट

बिहार में हर साल 30 लाख से अधिक बच्चों का जन्म प्रमाणपत्र बनाया जाता है। सबसे अधिक शहरी क्षेत्र में प्रमाण पत्र बनवाए जा रहे हैं। ग्रामीण इलाके के लोग इस मामले में शहरी लोगों से पीछे हैं। इसीलिए ग्रामीण इलाके में सुविधाजनक तरीके से काम हो इसके लिए पंचायत स्तर पर ही व्यवस्था कराई जा रही है। सबसे अधिक पटना जिले में जन्म प्रमाणपत्र बनवाए जाते हैं।

यहां हर साल औसतन दो लाख बच्चों का प्रमाणपत्र बनवाया जा रहा है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि पिछले वर्षों में पटना जिले में बच्चों के प्रमाणपत्र बनवाने वालों की संख्या में वृद्धि हुई है। सबसे अधिक अक्टूबर से जनवरी के बीच प्रमाण पत्र बनवाए जा रहे हैं जब बच्चों का स्कूलों में दाखिले की प्रक्रिया शुरू होती है।

प्रमाण पत्र की जिम्मेदारी

जन्म के 30 दिन के अंदर के बच्चों का : पंचायत सचिव

जन्म के एक माह से एक साल के अंदर : प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी की अनुशंसा पर

जन्म के एक साल बाद के बच्चों का : बीडीओ की अनुशंसा पर

अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशालय, के निदेशक विद्यानंद सिंह ने कहा कि पंचायत स्तर पर जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र बनाने के लिए पंचायत सचिव को जिम्मेदारी सौंपने की दिशा में काम चल रहा है। सांख्यिकी निदेशालय की ओर से इस संबंध में निर्णय ले लिया गया है तथा इसकी स्वीकृति के लिए राज्य सरकार को जल्द भेजा जाएगा।

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