संसार का सबसे बड़ा धन माता-पिता का आशीर्वाद : देवकीनंदन ठाकुर
बक्सर के आईटीआई मैदान में श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन देवकीनंदन ठाकुरजी ने मानव जीवन में संतों का दर्शन और भगवान की कथा का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि सच्ची शिक्षा वही है जो संस्कार दे और चरित्र...

कथा सच्ची शिक्षा वहीं है जो संस्कार दें, चरित्र निर्माण करें वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना से सबको जोड़ता है फोटो संख्या-20, कैप्सन- शुक्रवार को आईटीआई मैदान में कथा कहते देवकीनंदन ठाकुर। बक्सर, निज संवाददाता। नगर के आईटीआई मैदान में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन पूज्य देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज ने कहा कि मानव जीवन में संतों का दर्शन और भगवान की कथा का श्रवण सबसे दुर्लभ और महान कृपा है। यह केवल भाग्यशाली लोगों को ही प्राप्त होता है। संसार में धन, पद और प्रतिष्ठा का होना विशेष बात नहीं है। ये सब नश्वर हैं। धर्म के मार्ग पर चलना, अपने कर्तव्यों का पालन करना और जीवन को आध्यात्मिक दिशा में मोड़ना महत्वपूर्ण है। महाराजजी ने कहा कि रावण जैसे विद्वान, जिसे समस्त वेदों का ज्ञान था। उसका पतन इसलिए हुआ, क्योंकि उसने धर्म का पालन नहीं किया। ज्ञान, शक्ति और सामर्थ्य होने के बावजूद, जब जीवन में धर्म का अभाव होता है तो विनाश निश्चित है। सच्ची शिक्षा वहीं है जो संस्कार दें, चरित्र निर्माण करें और परिवार, संस्कृति व समाज से जोड़ कर रखे। संसार का सबसे बड़ा धन भौतिक वस्तु नहीं, बल्कि माता-पिता का आशीर्वाद है। उनके स्नेह और आशीर्वाद में वह शक्ति है जो जीवन की सबसे कठिन राहों को भी आसान बना सकता है। हमें गर्व होना चाहिए अपनी जड़ों पर, अपनी मातृभाषा पर और उस धर्म पर जो वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना से सबको जोड़ता है। कार्यक्रम में आयोजक विजय मिश्र, कल्लू राय, सौरभ तिवारी, विक्की राय, सुमित राय, श्याम राय, रोहित मिश्र, दीपक सिंह, दीपक यादव, निशु राय, विकास राय, आशु राय, अमित पाठक, अविनाश पाण्डेय, नवीन राय, अक्षय ओझा, पुटुस राय, पवन, बैजू, कौशल समेत हजारों श्रद्धालु उपस्थित रहे। इस दौरान भगवान के जयकारों से पूरा वातावरण गुंजायमान हो रहा था।
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