दो दिन अमावस्या, 27 की सुबह वट सावित्री पूजन करना उत्तम
दो दिन अमावस्या, 27 की सुबह वट सावित्री पूजन करना उत्तम दो दिन अमावस्या, 27 की सुबह वट सावित्री पूजन करना उत्तम

छह दिन बाद वट सावित्री पूजा है। शुद्ध अमावस्या में वट सावित्री पूजा करना उत्तम और विशेष फलदायक होता है। इस बार अमावस्या दो दिन के फेर में फंसा है। 26 और 27 मई दोनों दिन अमावस्या है। 26 मई की दोपहर बाद से शुरू होकर 27 मई की सुबह तक है। पंचागों के अनुसार 26 मई की सुबह 10:30 से लेकर 12 बजे के बीच अमावस्या शुरू होगी। 27 मई की सुबह 8:30 बजे तक रहेगी। 26 की सुबह तो चतुदर्शी होगी और 27 मई की सुबह अमावस्या है। इसलिए उदयातिथि व शुद्ध अमावस्या को लेकर 27 मई को वट सावित्री पूजन विशेष फलदायक होगा।
26 मई को नहाय-खाय। हृषीकेश व महावीर के अनुसार 26 की सुबह 10:54 से लेकर 27 की सुबह 8:32 तक अमावस्या आचार्य नवीनचंद्र मिश्र वैदिक ने बताया कि शुद्ध अमावस्या में वट सावित्री पूजा होती है। औदयिक अमावस्या में सुबह से वट पूजन करना उत्तम होता है। बताया कि इस बार हृषिकेश व महावीर पंचांग के अनुसार अमावस्या 26 मई की सुबह 10:54 से शुरू होकर दूसरे दिन 27 मई की सुबह 8:32 दिन तक है। अन्नपूर्णा के अनुसार 26 मई की सुबह 10:33 से शुरू होकर 27 की सुबह 8:31 तक, आदित्य के अनुसार 26 की सुबह 11:05 से आरम्भ होकर 27 की सबुह 8:31, मिथिला के अनसुार 26 की सुबह 11:2 से शुरू होकर 27 की सुबह 8:38 और मार्तण्ड पंचांग के अनुसार 26 मई की दोपहर 12:12 से 27 मई की सुबह 8:32 तक अमावस्या है। इस तरह 26 मई को उपवास और 27 की सुबह व्रत की पूजा करना उत्तम होगा। पूजा के दौरान सुहागिन महिलाएं सुनेंगी सावित्री की कथा व्रत की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए आचार्य नवीन चंद्र मिश्र ‘वैदिक ने बताया कि सुहागिन महिलाएं अखंड सौभग्य की कामना को लेकर गहरी आस्था के साथ व्रत करते हैं। पूजन के दौरान महिलाएं सावित्री की कथा सुनती हैं। पूजा में वट वृक्ष के तने में कच्चा सूत लपटते हुए प्रदक्षिणा की जाती है। फेरी देने में मुकुनदाना, मूंगफली का दाना, फल, जौ, सिन्दूर गाठ आदि का प्रयोग किया जा सकता है। पूजन के बाद सुहाग की सामग्री और एक पंखा दान करने करने उत्तम होता है। पंखे से लेकर साड़ी तक हो रही बिक्री वट सावित्री की तैयारी में महिलाएं जुटी हैं। साड़ी और शृंगार सामग्री की खरीदारी शुरू है। गया शहर के केपी रोड, बजाजा रोड, जीबी रोड स्थित साड़ी की छोटी-बड़ी दुकानों महिलाओं की भीड़ दिख रही है। इसके साथ ही गन्नी व गया मार्केट में शृंगार सामग्री की खरीदारी से रौनक बढ़ी हुई है। व्रत को लेकर ए एन रोड में ताड़ के पंखे तैयार हो रहे हैं। चौक-चौराहों से हाथ के पंखों के साथ दान सामग्री की अस्थायी दुकानें खुल गई हैं। व्रत के दो दिन पहले भीड़ अधिक होगी।
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