Farmers in Katihar Shift to Nutrient-Rich Millets Amid Climate Change Challenges पोषण और मुनाफे की नई राह खोजते हुए मोटे अनाज की ओर लौटते किसान, Katihar Hindi News - Hindustan
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पोषण और मुनाफे की नई राह खोजते हुए मोटे अनाज की ओर लौटते किसान

पोषण और मुनाफे की नई राह खोजते हुए मोटे अनाज की ओर लौटते किसान पोषण और मुनाफे की नई राह खोजते हुए मोटे अनाज की ओर लौटते किसान पोषण और मुनाफे की नई राह

Newswrap हिन्दुस्तान, कटिहारMon, 5 May 2025 02:18 AM
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पोषण और मुनाफे की नई राह खोजते हुए मोटे अनाज की ओर लौटते किसान

कटिहार। जलवायु परिवर्तन और रासायनिक खेती के बढ़ते खर्च ने कटिहार के किसानों को अब वैकल्पिक फसलों की ओर सोचने को मजबूर कर दिया है। जिले के बारसोई, आजमनगर, कुरसेला एवं कोढ़ा प्रखंड के कुछ किसान अब धान और मक्का की पारंपरिक खेती से हटकर मोटे अनाज, खासकर ज्वार और बाजरा की ओर लौट रहे हैं। ये फसलें न सिर्फ पोषण से भरपूर हैं, बल्कि खेती में लागत भी कम आती है। कटिहार के आजमनगर प्रखंड के किसान रामप्रवेश यादव बताते हैं कि बाजरे की खेती में न धान जितना पानी चाहिए, न खाद की जरूरत होती है। एक एकड़ में लागत भी आधी आती है और बाजार में अच्छा दाम मिल रहा है।

कटिहार के खेतों में यह बदलाव धीमे-धीमे शुरू हो चुका है। जहां कभी सिर्फ धान और मक्का की बात होती थी, अब पोषण और मुनाफे की नई राह पर मोटे अनाज किसानों की उम्मीद बन रहे हैं। ज्वार बाजरा की बढ़ने लगी है मांग ज्वार और बाजरा की मांग खासकर शहरों में स्वास्थ्य जागरूक उपभोक्ताओं के बीच तेजी से बढ़ रही है। आर्गेनिक स्टोर और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर इन अनाजों की बिक्री बढ़ी है, जिससे किसानों को नई उम्मीद दिख रही है। कुरसेला के एक युवा किसान सूरज मंडल ने पिछले साल एक एकड़ में ज्वार की खेती की थी। उन्होंने बताया, कृषि विज्ञान केंद्र से बीज और तकनीकी सहायता मिली। हमने जो अनाज उगाया, उसे स्थानीय मंडी में ही 25 रुपये किलो के हिसाब से बेचा, जो मक्का से कहीं बेहतर है। इस सफलता को देखते हुए इस साल सूरज मंडल ने तीन एकड़ में मोटे अनाज की बुआई की है। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक पंकज कुमार का कहना है कि मोटे अनाज जलवायु सहनशील होते हैं। इनका उत्पादन कम पानी और कम रसायन में हो सकता है। साथ ही ये पोषण की दृष्टि से भी बेहतर हैं। केंद्र की ओर से किसानों को प्रशिक्षण और बीज वितरण जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं। खरीद और प्रोसेसिंग की है कमी हालांकि अभी मोटे अनाज की खरीद और प्रोसेसिंग को लेकर ग्रामीण स्तर पर आधारभूत ढांचे की कमी है, लेकिन जिला कृषि विभाग ने इसे बढ़ावा देने की योजना बनाई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि सही मार्गदर्शन और बाजार सहयोग मिले, तो मोटे अनाज की खेती से किसान आत्मनिर्भर बन सकते हैं। फोटो कैप्शन। कटिहार- 01 जिले के कोढ़ा प्रखंड के मूसापुर में लहलहाते ज्वार बाजरा के पौधे

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