राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम बन रहा बच्चों की सुरक्षा का कवच
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम बन रहा बच्चों की सुरक्षा का कवच राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम बन रहा बच्चों की सुरक्षा का कवच

किशनगंज, एक प्रतिनिधि। आरबीएसके की टीम द्वारा जिले में बच्चों का नियमित जांच, रोगों की पहचान, तत्काल उपचार, आवश्यकता पड़ने पर रेफरल तथा नि:शुल्क इलाज जैसी सुविधाएं बच्चों को जीवन के आरंभिक चरण में ही सुरक्षित कर रही हैं। खासकर ग्रामीण व पिछड़े क्षेत्रों के स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र और अस्पतालों में जाकर यह टीम बाल स्वास्थ्य सुधार में लगी हुई है। सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने कहा कि जिलाधिकारी विशाल राज के निर्देशन में जिले में बच्चों के स्वास्थ्य की नियमित जांच की जा रही है, जिससे बाल्यकाल में ही गंभीर रोगों की पहचान कर मुफ्त इलाज सुनिश्चित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा आरबीएसके के तहत अप्रैल 2024 से मार्च 2025 तक जिले में 52 हजार 624 बच्चों की स्वास्थ्य जांच की गई है इसमें स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र और नवजात प्रसव केंद्रों पर बच्चों की जांच शामिल है। इनमें से कई बच्चों में जन्म दोष, पोषण की कमी, बीमारियां और विकास में देरी आदि समस्याएं पाई गईं। उन्होंने कहा कि बचपन सुरक्षित तो भविष्य उज्ज्वल इसी सिद्धांत पर आधारित है आरबीएसके जिले में एक एक पहल बनकर उभर रहा है। उन्होंने कहा बचपन को स्वस्थ बनाना किसी समाज की नींव को मजबूत करना होता है। इसी सोच के साथ आरबीएसके जिले में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। यह कार्यक्रम न केवल बच्चों की व्यापक स्वास्थ्य जांच कर उन्हें स्वस्थ जीवन की दिशा में अग्रसर कर रहा है, बल्कि उनके भीतर छिपे संभावित स्वास्थ्य खतरों की भी समय रहते पहचान कर रहा है। पहले तिमाही में 27,440 जांच: वर्ष 2025 के पहले तिमाही (जनवरी से मार्च) में 27 हजार 440 बच्चों की जांच की गई। इसमें नवजात शिशु, आंगनबाड़ी केंद्र और स्कूलों में बच्चों को कवर किया गया। जिसमे 3 हजार 724 नवजात का जांच,आंगनबाड़ी केंद्रों में 10 हजार 668, स्कूलों में13 हजार 048 इस दौरान सबसे अधिक त्वचा, कान और दांत संबंधी संक्रमण पाए गए। इनका मौके पर ही इलाज किया गया या जरूरत अनुसार रेफर किया गया। गंभीर बीमारियों की पहचान कर कराया गया इलाज: जनवरी से मार्च 2025 में 262 बच्चों में गंभीर बीमारियों की पहचान हुई है,जिसमे जन्म दोष 8, पोषण की कमी13, बीमारियां: 210,विकास में देरी:31, इनमें से 467 बच्चों को इलाज उपलब्ध कराया गया, जिनमें 422 का उपचार मौके पर ही किया गया और 45 बच्चों को उच्च केंद्रों पर रेफर किया गया। बाल हृदय रोग और क्लब फुट के बच्चों को मिला जीवनदान: जिले में जन्मजात हृदय दोष और क्लब फूट जैसी गंभीर स्थितियों वाले बच्चों की पहचान कर और अन्य संस्थानों में रेफर कर मुफ्त इलाज कराया गया। ऐसे मामलों में माता-पिता को आर्थिक राहत और बच्चों को जीवन की नई शुरुआत मिली। आरबीएसके के तहत 32 तरह की बीमारियों की जांच नि:शुल्क की जाती है। इसमें क्लब फूट (पैरों का टेढ़ापन), क्लैफ्ट लिप एवं पैलेट (कटा होंठ/तालु), हृदय संबंधी जन्मजात दोष (हृदय में छेद ) प्रमुख हैं। इस माह क्लब फूट और जन्मजात हृदय दोष से पीड़ित कई बच्चों का सफलतापूर्वक उच्च केंद्रों पर इलाज भी करवाया गया है। ब्लॉकवार बेहतरीन प्रदर्शन, सबसे आगे ठाकुरगंज और दिघलबैंक: ठाकुरगंजमें 17 हजार 253 बच्चों की जांच, 26 बच्चों में जन्म दोष, दिघलबैंक में 6 हजार 162 बच्चों की जांच, 208 रोगों की पहचान, किशनगंज में 4 हजार 181 बच्चों की जांच, 575 बच्चों को मौके पर इलाज किया गया है।
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