NEET PG : नीट पीजी में काउंसलिंग से पहले बतानी होगी फीस, सीट ब्लॉक करने पर मिलेगी कड़ी सजा
सुप्रीम कोर्ट ने सीट रोकने पर सख्त दंड देने का आदेश दिया, जिसमें सिक्योरिटी जब्त करना, भविष्य की नीट-पीजी परीक्षाओं से अयोग्य घोषित करना और दोषी कॉलेज को काली सूची में डालना शामिल है।

सुप्रीम कोर्ट ने पीजी मेडिकल कोर्स एडमिशन में बड़े पैमाने पर सीट ब्लॉक करने के चलन पर चिंता व्यक्त की है। इसे रोकने के लिए कोर्ट ने सभी निजी और डीम्ड विश्वविद्यालयों को राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा, स्नातकोत्तर (नीट पीजी) के लिए काउंसलिंग से पहले फीस का खुलासा करना अनिवार्य कर दिया है। जस्टिस जेबी पारदीवाला और आर महादेवन की पीठ ने हाल ही में पारित अपने फैसले में सीट ब्लॉक करने पर कड़े दंड का आदेश दिया। इसके तहत सीट ब्लॉक करने वाले छात्रों की सुरक्षा जमा राशि (सिक्योरिटी डिपॉजिट) जब्त की जाएगी। साथ ही उन्हें भविष्य की नीट-पीजी परीक्षाओं के लिए से अयोग्य घोषित किया जाएगा।
मिलीभगत के दोषी कॉलेज को काली सूची में भी डाला जाएगा। पीठ ने कहा है कि मेडिकल कॉलेजों में सीट रोकने की कुप्रथा सीट की वास्तविक उपलब्धता को विकृत कर देती है। इसकी वजह से छात्रों के बीच असमानता को बढ़ावा मिलता है। यह प्रक्रिया को योग्यता के बजाय संयोग-आधारित बना देती है। कोर्ट ने यह फैसला यूपी सरकार और चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक, लखनऊ की ओर से दाखिल याचिका पर दिया है। इसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा 2018 में पारित एक फैसले को चुनौती दी गई थी।
कुप्रथा पर रोक के लिए दिशा-निर्देश
- अखिल भारतीय कोटा और राज्य स्तरीय राउंड को संरेखित करने और सिस्टम में सीट ब्लॉक से रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सिंक्रनाइज काउंसलिंग कैलेंडर लागू करना होगा।
- सभी निजी/डीम्ड विश्वविद्यालयों द्वारा ट्यूशन, छात्रावास, कॉसन मनी और विविध शुल्क का विवरण देते हुए प्री-काउंसलिंग शुल्क का खुलासा करना होगा।
- राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के तहत एक केंद्रीकृत शुल्क विनियमन ढांचा स्थापित करना होगा।
- नए प्रवेश के लिए काउंसलिंग को फिर से खोले बिना भर्ती उम्मीदवारों को बेहतर सीटों पर स्थानांतरित करने के लिए राउंड दो के बाद अपग्रेड विंडो की अनुमति दी जाए।
- मल्टी-शिफ्ट नीट-पीजी परीक्षाओं में पारदर्शिता के लिए अंकों, उत्तर कुंजी और सामान्यीकरण सूत्र प्रकाशित हो।
- कई सीटों पर कब्जा करने और गलत बयानी को रोकने के लिए आधार-आधारित सीट ट्रैकिंग लागू हो।
- नियम या अनुसूची के उल्लंघन के लिए अवमानना या अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत राज्य प्राधिकरणों और संस्थागत डीएमई खाताधारक को जवाबदेह ठहराएं।
- पात्रता, मॉप-अप राउंड, सीट वापसी और शिकायत समयसीमा पर मानक नियमों के लिए सभी राज्यों में एक समान परामर्श आचरण संहिता अपनाएं।
- परामर्श डेटा, अनुपालन और प्रवेश निष्पक्षता के वार्षिक ऑडिट के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के तहत एक तृतीय-पक्ष निगरानी तंत्र बनाएं।
पारदर्शिता की कमी और कमजोर नीति से समस्या
जस्टिस पारदीवाला द्वारा लिखे गए फैसले में कहा गया है कि सीट ब्लॉक करना न सिर्फ गलत काम नहीं है, बल्कि यह पारदर्शिता की कमी और कमजोर नीति प्रवर्तन के साथ-साथ प्रणालीगत खामियों को भी दर्शाता है। पीठ ने कहा कि नीट-पीजी काउंसलिंग प्रक्रिया को स्नातकोत्तर मेडिकल सीटों के आवंटन के लिए एक पारदर्शी, योग्यता-आधारित राष्ट्रीय तंत्र के रूप में माना गया था, लेकिन समय के साथ यह व्यापक सीट ब्लॉकिंग की सुविधा के लिए जांच के दायरे में आ गया है। पीठ ने कहा कि नियामक निकायों ने इस तरह की कचादार को हतोत्साहित करने और तकनीकी नियंत्रण शुरू किए हैं, लेकिन समन्वय, वास्तविक समय की दृश्यता और समान प्रवर्तन की मुख्य चुनौतियां काफी हद तक अनसुलझी हैं।