Labours migrating from Bihar after their village included in nagar panchayat blocking MNREGA scheme jobs गांव के गांव शहर बने तो मनरेगा का काम हो गया बंद, फिर पलायन को मजबूर हुए मजदूर, Bihar Hindi News - Hindustan
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गांव के गांव शहर बने तो मनरेगा का काम हो गया बंद, फिर पलायन को मजबूर हुए मजदूर

  • पंचायतों के नगर पंचायत बनने या नगर निकाय में शामिल होने के बाद उस गांव में दर्ज मजदूरों को मनरेगा का काम मिलना बंद हो जाता है। मनरेगा के काम सिर्फ पंचायतों में ही मिल सकते हैं।

Ritesh Verma हिन्दुस्तान टीम, पटनाFri, 21 March 2025 02:27 PM
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गांव के गांव शहर बने तो मनरेगा का काम हो गया बंद, फिर पलायन को मजबूर हुए मजदूर

बिहार के कई ग्रामीण इलाकों के शहरों में शामिल होने के बाद मनरेगा मजदूरों के पास काम का संकट हो गया है। एक अनुमान के अनुसार राज्य भर में ऐसे मजदूरों की संख्या 4 लाख से अधिक है। अकेले मुजफ्फरपुर में ऐसे श्रमिकों की संख्या करीब 40 हजार है। राज्य में 350 से अधिक ग्राम पंचायतें शहरी क्षेत्र में शामिल हो गई हैं। यही कारण है कि नगर निकायों की संख्या 141 से बढ़कर 261 हो गयी है। मनरेगा के तहत काम ग्रामीण क्षेत्रों के श्रमिकों को ही मिल सकता है। नगर बनने के बाद इन मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है। बिहार में अभी 8053 ग्राम पंचायतें हैं। 4 साल पहले यह संख्या 8400 से अधिक थी।

बिहार में मनरेगा योजना के तहत 90 लाख श्रमिकों के जॉब कार्ड बने हुए हैं। वर्तमान में करीब 10 लाख श्रमिकों को इस योजना से काम दिया जा रहा है। मनरेगा में काम मांगने पर ही काम मिलता है। अलग-अलग जिलों की बात करें नवादा शहर में ही पांच हजार श्रमिक ऐसे हैं, जिनका गांव अब शहर हो गया है। नवादा की ग्राम पंचायत रजौली को नगर पंचायत का दर्जा मिल गया है।

कैमूर की नवगठित तीन नगर पंचायत हाटा, रामगढ़ और कुदरा के करीब तीन हजार मजदूरों को मनरेगा से काम नहीं मिल पा रहा है। गोपालगंज की हथुआ नगर पंचायत में भी सात हजार मजदूर काम नहीं मिलने से तंगी से गुजर रहे हैं। बक्सर में तीन नगर पंचायत बनने से मनरेगा के तहत होने वाले काम रोकने का खामियाजा मजदूरों को उठाना पड़ रहा है। काम-धंधे की तलाश में मजदूर काफी संख्या में पलायन कर रहे हैं।

औरंगाबाद में देव और बारुण को नगर पंचायत का दर्जा मिला है, जिससे लगभग दो हजार मनरेगा मजदूर संकट का सामना कर रहे हैं। सीवान के गुठनी, बड़हरिया, गोपालपुर, हसनपुरा, आंदर के नगर पंचायत बनने से दो हजार लोग प्रभावित हुए हैं।

ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा है कि गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम के माध्यम से हाशिये पर खड़े परिवारों को जीविका में शामिल किया जा रहा है। ऐसे मनरेगा मजदूरों के परिवार को सरकार जीविका से जोड़ेगी और रोजगार के लिए उन्हें सहायता देगी। मंत्री ने बताया कि मनरेगा की योजना सिर्फ ग्रामीण क्षेत्र के लिए है। गांवों के शहर में शामिल होने पर मजदूरों के पहले से बने जॉब कार्ड खुद ही निरस्त हो जाते हैं।