महुआ के फूल गांवों में आजीविका का साधन
महुआ के फूलों की खुशबू से चानन के ग्रामीणों के चेहरे खिल उठे हैं। सभी उम्र के लोग सुबह से महुआ चुनने में जुट जाते हैं। महुआ से अच्छी आमदनी होती है और यह कई बीमारियों के इलाज में भी मददगार है। महुआ के...

चानन, निज संवाददाता। देहाती किशमिश के नाम से मशहूर महुआ के फूलों की खुशबू से ग्रामीणों के चेहरे खिल उठे हैं। चानन के पहाड़ी इलाके में इन दिनों महुआ की खुशबू फैली हुई है। ग्रामीण अल सुबह से ही खेतों और जंगलों में महुआ पेड़ों के नीचे गिरे फूलों को इकटठा करने में जुट जाते हैं। वर्तमान में छोटे बच्चे से लेकर बूढ़े-बुजुर्ग तक परिवार के सभी लोग सुबह से ही महुआ चुनने में लग जाते हैं। महुआ के फूल को बेचकर अच्छी आमदानी होती है। चानन के पहाड़ी इलाके कुंदर, गोपालपुर के अलावा कजरा के जंगल में महुंआ के पेड़ बड़े पैमाने पर हैं।महुआ के फूल से कई प्रकार के स्वादष्टि व्यंजन जैसे -खीर, हलवा, लड्डू, इत्यादि बनाए जाते हैं। कुछ लोग महुआ के पेड़ को बटर ट्री के नाम से भी जानते हैं। महुआ का पेड़ तना, छाल, फूल और पत्तियां सभी काफी फायदेमंद होते हैं। शरीर में खून की कमी, पेट संबंधी समस्या, सर्दी, जुकाम जैसी कई बीमारियों में महुआ का काफी उपयोग आज भी होता है।
महुआ के फूल से कई प्रकार की बीमारियों का इलाज संभव: प्रभारी बीएओ अजीत कुमार सिंह ने कहा कि महुआ के फूल से लेकर तना, छाल, और पत्तियां सभी काफी गुणदायक होते हैं। महुआ के फूल शरीर में हीमोग्लोबिन की संख्या बढ़ाते हैं। ब्रेस्टफीडिंग में दक्कित होने पर दूध के साथ महुआ फूल का सेवन काफी कारगर होता है। महुआ को पीसकर, उसके रस को छानकर उसके मश्रिण को पीने से खांसी, बलगम जैसी समस्याओं से राहत मिलेगी। महुआ के फूलों का उपयोग पेय प्रदार्थ बनाने, खाने में, औषधीय उपयोग के साथ ही पशुओं के चारे में काफी इस्तेमाल किया जाता है। इन्हें पाचन, तनाव और अन्य स्वास्थ्य समास्याओं के निराकरण में भी लाभकारी माना जाता है। इसके फूल पशुओं के खिलाए जाते हैं।
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