बदलते मौसम में मौसमी बीमारियों की बढ़ी संभावना
बदलते मौसम में मौसमी बीमारियों की बढ़ी संभावना

लखीसराय, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। लगातार पांच दिन से तापमान में हो रहे उतार-चढ़ाव के कारण मौसमी बीमारी की भी संभावना बढ़ गई है। ऐसे में हर आयु वर्ग के लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति विशेष सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है। ऐसे मौसम में कई तरह की बीमारी की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। इस मौसम में जहां सर्दी-खांसी, बुखार समेत अन्य मौसमी बीमारी के साथ टायफाइड का खतरा भी है। इसलिए ऐसे मौसम में हर आयु वर्ग के लोगों को टायफाइड से बचाव के लिए विशेष सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है। सदर अस्पताल में तैनात चिकित्सक डॉ राज अभय ने बताया कि टायफाइड होने के वैसे तो सामान्यतः कई कारण हैं। मगर मुख्य रूप से दूषित पानी और भोजन का सेवन होता है। इसलिए इस बीमारी से बचाव के लिए सभी लोग को शुद्ध पेयजल और भोजन का सेवन करना चाहिए। साफ-सफाई का भी ख्याल रखना जरूरी है। गर्मी और बरसात के मौसम में पानी व भोजन का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। ऐसे मौसम में टायफाइड यानी मियादी बुखार के मरीज अधिक मिलते हैं। टायफाइड साल्मोनेला टाइपी नामक बैक्टीरिया से फैलने वाला एक गंभीर रोग है। यह बैक्टीरिया दूषित पानी एवं संक्रमित भोजन में पनपता है। गंदे परिवेश वाली जगह पर टायफाइड फैलने की संभावना अधिक होती है।
टायफाइड के कारण लिवर हो सकता है प्रभावित
डॉ राज अभय ने बताया कि दूषित पानी व संक्रमित भोजन के सेवन से व्यक्ति मियादी बुखार से ग्रसित हो जाता है। टायफाइड के कारण लिवर में सूजन हो जाती है। ऐसे में साफ पानी और भोजन का ध्यान रखना जरूरी है। सब्जियों का सही से नहीं धोना, शौचालय का इस्तेमाल नहीं होना और खुले में मलमूत्र त्याग करना, खाने से पहले हाथों को नहीं धोना आदि कई कारणों से टायफाइड हो सकता है। तेज बुखार के साथ दस्त व उल्टी होना, बदन दर्द रहना, कमजोरी और भूख नहीं लगना टाइफाइड के प्रमुख लक्षण हैं। इसके साथ ही पेट, सिर और मांसपेशियों में भी दर्द रहता है।
पाचन तंत्र को बुरी तरह से करता है प्रभावित
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ कुमार अमित की माने तो टायफाइड पाचन तंत्र को बुरी तरह प्रभावित करता है। खून की जांच कर इसका पता लगाया जाता है। बच्चों तथा गर्भवती महिला में बुखार के लंबे समय तक रहने पर तुरंत चिकित्सीय परामर्श लेना चाहिए। टायफाइड होने पर मरीज को पूरी तरह आराम करना चाहिए। उन्हें ऐसे भोजन दिये जाने चाहिए जो आसानी से पचाया जा सके। पीने के लिए उबाले हुए पानी को ठंडा कर दें। रोगी को मांस-मछली का सेवन नहीं करने दें। अधिक से अधिक तरल पदार्थ लेना बेहतर है। भोजन में हरी सब्जियां, दूध व पाचन तंत्र को बेहतर बनाए रखने वाले भोजन लें। ताजे मौसमी फल का सेवन करें।
बार-बार टायफाइड होना गंभीर बात
डॉ राज अभय की माने तो चाय, कॉफी तथा अन्य कैफिन युक्त पदार्थ, रिफाइंड और फास्ट फूड और अधिक तेल मसाले वाले भोजन से दूरी बनाए। इसके अलावा घी, तेल, गरम मसाला व अचार व गर्म तासीर वाले भोजन से परहेज करें। सही तरीके से इलाज नहीं होने और अधिक समय तक टायफाइड रहने से व्यक्ति काफी कमजोर हो जाता है। बार-बार टायफाइड का होना गंभीर है। जो पहले कभी टायफाइड शिकार हो चुके हैं। उन्हें खास तौर पर सतर्क रहना चाहिए।
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