नीली जर्सी पाने की राह में मैदान का रोड़ा, संसाधन मिले तो लाएंगे मेडल
मधुबनी जिले में क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। खिलाड़ियों को अभ्यास करने के लिए मैदान नहीं मिल रहा है, जिससे उनका विकास प्रभावित हो रहा है। जिला प्रशासन ने क्रिकेट...
मधुबनी । क्रिकेट हमारे देश में सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि एक जुनून है। यह वह मैदान है जाहं एक साधारण खिलाड़ी अपनी मेहनत और हुनर के दम पर इतिहास रच सकता है। मगर जब कोई खिलाड़ी मैदान तक ही न पहुंच पाए तो फिर वह इतिहास कैसे लिखेगा? हमारे जिले में आज क्रिकेट के प्रति उत्साह तो खूब है, लेकिन अफसोस,इस उत्साह को दिशा देने के लिए बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। शहरी क्षेत्र में लगभग 300 उभरते क्रिकेटर हैं, जो कठिन परिश्रम और हुनर के बल पर अपने सपनों को आकार देने में लगे हैं, लेकिन मैदान, पिच, चेंजिंग रूम, प्रशिक्षण केंद्र, प्रैक्टिस नेट और प्रशिक्षित कोच जैसी सुविधाओं की अनुपलब्धता उनके जुनून के बीच बाधा बन जाती है।
मैदान का न होना, शुरुआत से ही रुकावट : सबसे बड़ी मूलभूत समस्या यह है कि जिले में एक भी ऐसा क्रिकेट मैदान नहीं है जहां खिलाड़ी नियमित और व्यवस्थित रूप से अभ्यास कर सकें। युवा खिलाड़ी खेतों, स्कूल ग्राउंड या खाली मैदान में अभ्यास करने को मजबूर हैं, जहां न पिच होती है, न बाउंड्री और न ही सुरक्षा के कोई मानक। इससे न केवल खेल की गुणवत्ता पर असर पड़ता है, बल्कि खिलाड़ियों की सुरक्षा भी खतरे में रहती है। क्याेंकि गड्ढे वाली जमीन पर फील्डिंग के दाैरान गिरने का खतरा बना रहता है।
खिलाड़ी साैरभ, सुमित, केशव आदि कहते हैं कि जहां वे प्रतिदिन अभ्यास करते हैं, वहां हल्की सी बारिश होते ही पानी भर जाता है, जिससे कई दिनों तक अभ्यास पूरी तरह बाधित हो जाता है। ऐसी स्थिति में उनका संघर्ष दोगुना हो जाता है। खिलाड़ियों का कहना है कि उन्होंने कई बार जिला प्रशासन से क्रिकेट इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की मांग की, लेकिन आज तक कोई ठोस पहल नहीं की गई।
प्रतियोगिताओं का अभाव: प्रतियोगिताओं से खिलाड़ियों को अनुभव, आत्मविश्वास और पहचान मिलती है। जिले में साल भर में मुश्किल से एक-दो स्थानीय टूर्नामेंट होते हैं, इनका स्तर भी अपेक्षाकृत कम होता है। नतीजतन, खिलाड़ियों को बाहर के बड़े टर्नामेंट में खेलने का माैका नहीं मिल पाता और एक्सपोजर सीमित रह जाता है। प्रतियोगिता से प्रतिश्पर्धा की भावना पनपती है और खिलाड़ियों को और बेहतर करने की इच्छा होती है, इसलिए जरूरी है कि क्रिकेट प्रतियोगिताओं का प्रशासनिक और निजी स्तर पर बढ़ोतरी हो, ताकि खिलाड़ियों का एक्सपोजर बढ़े।
कोचिंग और मार्गदर्शन का अभाव: खिलाड़ियों को निखारने के लिए एक कुशल कोच की जरूरत होती है। जिले में प्रशिक्षित कोच की भारी कमी है। खिलाड़ियों को तकनीकी गलतियों को सुधारने, रणनीति समणझने और मानसिक मजबूती पाने के लिए मार्गदर्शन नहीं मिल पाता है। इससे वे आगे के स्तर पर प्रतियोगिताओं में पिछड़ जाते हैं।
प्रतिभा का कोई ठिकाना नहीं होता, लेकिन उसे तराशने के लिए संसाधन और अवसर जरूरी होते हैं। जिले में क्रिकेट का स्तर तभी ऊपर उठेगा जब बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जाएगा। अगर आज कदम नहीं उठाया गया तो कल कई सपने गुमनाम रह जाएंगे।
स्टेडियम में खिलाड़ी नहीं पानी
मधुबनी जिले का एकमात्र स्टेडियम अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। वहां अब खेल नहीं, बल्कि गंदा पानी जमा होता है। मैदान की यह स्थिति खेल प्रेमियों के लिए चिंता का विषय है। जहां-जहां खिलाड़ी अभ्यास करते हैं, वहां भी प्रशासनिक सहयोग नगण्य है। ऐसे में जिला क्रिकेट संघ ही अपने सीमित संसाधनों से मैदान तैयार कर, अभ्यास की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहा है।
बोले जिम्मेदार
शहर के जर्जर हो चुके स्टेडियम के अलावा कहीं और पर्याप्त सरकारी जमीन खाली नहीं है, जहां क्रिकेट मैदान तैयार किया जा सके। इसका असर खिलाड़ियों की तैयारी और खेल प्रदर्शन पर पड़ रहा है। प्रशासन इस समस्या को गंभीरता से ले रही है और समाधान की दिशा में प्रयास जारी है।
-नीतीश कुमार, खेल पदाधिकारी।
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