Neglected SC Colony in Banakat Faces Development Challenges Lack of Basic Amenities जर्जर सड़क और पेयजल संकट बढ़ा रहा वार्ड 41 के लोगों का दर्द, Motihari Hindi News - Hindustan
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जर्जर सड़क और पेयजल संकट बढ़ा रहा वार्ड 41 के लोगों का दर्द

नगर निगम बैरिया के बनकट वार्ड 41 में अनुसूचित जाति बस्ती के 45 परिवारों के लोग विकास की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन तीन साल बीतने पर भी बस्ती में पक्की सड़क, शुद्ध पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्ट्रीट लाइट...

Newswrap हिन्दुस्तान, मोतिहारीFri, 18 April 2025 06:51 PM
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जर्जर सड़क और पेयजल संकट बढ़ा रहा वार्ड 41 के लोगों का  दर्द

नगर निगम के बैरिया बनकट वार्ड 41 स्थित अनुसूचित जाति बस्ती में 45 परिवारों के करीब तीन सौ लोग निवास करते हैं। बनकट के नगर निगम में शामिल होने के बाद बस्ती के लोगों में विकास की उम्मीद जगी थी मगर निगम में शामिल होने के तीन वर्ष बीत जाने के बावजूद इस बस्ती तक विकास की किरण नहीं पहुंच पायी है। बस्ती के लोग पक्की सड़क, शुद्ध पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्ट्रीट लाइट व शौचालय की सुविधा से वंचित हैं। बस्ती के मुन्ना कुमार चौधरी, निशू राम, प्रमोद राम, कालीचरण राम, रवन राम, जानकी देवी, लीला देवी, परमशीला देवी, ध्रुपलाल राम व शम्भू चौधरी कहते हैं कि एनएच से लेकर रेलवे लाइन तक करीब एक हजार फीट कच्ची सड़क के किनारे बस्ती के 45 लोगों का घर है। ये लोग पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं। पर आज तक सड़क नहीं बन सकी है। बरसात के मौसम में कच्ची सड़क कीचड़ से भर जाती है और इनलोगों को घर से निकलना मुश्किल हो जाता है। इनका कहना है कि वर्षों से ये लोग एनएच से रेलवे लाइन किनारे तक नाला युक्त पीसीसी सड़क निर्माण की मांग कर रहे हैं पर, प्रशासनिक अधिकारी व जनप्रतिनिधि सड़क की समस्या पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

बस्ती में स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र नहीं : बनकट महादलित बस्ती में शिक्षा का अभाव है। तीन सौ की आबादी वाली बस्ती में मात्र तीन युवकों ने ही मैट्रिक तक की शिक्षा प्राप्त की है। बस्ती के बच्चे अलसुबह फुलवारी में खेलने निकल जाते हैं। घर की माली हालत खराब होने के कारण बच्चों के होश संभालते ही अभिभावक उन्हें छोटे छोटे काम में लगा देते हैं। अभिभावकों में शिक्षा का अभाव होने के चलते वे अपने बच्चों की शिक्षा पर ध्यान नहीं देते। बस्ती के मुन्ना कुमार चौधरी, निशू राम, प्रमोद राम, कालीचरण राम, ध्रुपलाल राम व शम्भू चौधरी कहते हैं कि सरकारी स्कूल घर से करीब डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर एनएच किनारे है। एनएच किनारे होकर छोटे-छोटे बच्चों को स्कूल भेजने में डर लगता है। इसके कारण बचपन में ही बच्चे स्कूली शिक्षा से विमुख हो जाते हैं। बस्ती में मिनी आंगनबाड़ी केन्द्र भी रहता तो बच्चों को स्कूल जाने की आदत हो जाती। स्कूल व आंगनबाड़ी केन्द्र अगर बस्ती में होती तो बच्चे जरूर पढ़ने जाते। बस्ती में शिक्षा का माहौल बनता। शिक्षा का माहौल नहीं होने से बच्चे दिनभर खेलते-कूदते हैं। उन्हें मजदूरी के लिए खेतों में भेज दिया जाता है।

अधिकतर घरों में नहीं है शौचालय : नगर निगम में शामिल होने के बाद से बाहर के लोग इस बस्ती के आसपास जमीन खरीद कर मकान बनाने लगे हैं। पहले लोग खुले में शौच जाने के आदि थे। अगल-बगल फुलवारी व खाली जमीन होने से कभी इन्हें शौचालय की आवश्यकता महसूस नहीं हुई। हाल के दिनों में बस्ती के अगल बगल बाहरी लोगों की बसावट शुरू होने से अब इन्हें परेशानी होने लगी है। परेशानी तो बस्ती के पुरुष सदस्यों को भी है, पर महिलाओं को शौच जाने के लिए रात के अंधेरे का इंतजार करना पड़ता है। इनकी मांग है कि बस्ती में दो सार्वजनिक शौचालय का निर्माण कराया जाये।

मजदूरी व पशुपालन से होता है जीविकोपार्जन : महादलित बस्ती के सभी लोग जीवन यापन के लिए मजदूरी पर आश्रित है। अधिकांश खेतिहर मजदूर हैं। जिन्हें सालोभर काम नहीं मिलता। कुछ लोग राजमिस्त्री के साथ लेबर का काम करते हैं। जबकि घर की महिलाएं मवेशी व बकरीपालन कर घर खर्च में सहयोग करती हैं।

-बोले जिम्मेदार-

ढाई वर्ष में नगर निगम से वार्ड को मात्र 15 लाख की एक योजना मिली है। पीसीसी सड़क का निर्माण कराया गया है। बनकट महादलित बस्ती में पीसीसी सड़क, नाला व पुलिया प्रस्तावित है। राशि आवंटन व प्रशासनिक स्वीकृति मिलते ही काम शुरू होगा। स्ट्रीट लाइट के लिए भी नगर निगम को प्रस्ताव भेजा गया है। नल-जल रिपेयरिंग के लिए निगम प्रशासन व पीएचडी विभाग को लिखा गया है। वार्ड में नियमित रूप से सफाई व कूड़ा उठाव का कार्य कराया जाता है।

कांति कुंअर, वार्ड पार्षद, वार्ड नं - 41

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