Munger University Faces Delay in Establishing Promised Academic Chairs मुंगेर विश्वविद्यालय में धूल फांक रहीं श्रीकृष्ण सिंह, दिनकर और कर्पूरी पीठों की फाइलें, Munger Hindi News - Hindustan
Hindi NewsBihar NewsMunger NewsMunger University Faces Delay in Establishing Promised Academic Chairs

मुंगेर विश्वविद्यालय में धूल फांक रहीं श्रीकृष्ण सिंह, दिनकर और कर्पूरी पीठों की फाइलें

मुंगेर विश्वविद्यालय में शिक्षा के क्षेत्र में तीन विशिष्ट पीठों के गठन की घोषणा लगभग ढ़ाई वर्ष पूर्व की गई थी, लेकिन अब तक कोई प्रगति नहीं हुई है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रस्तावों पर कोई कार्य...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुंगेरThu, 17 April 2025 02:55 AM
share Share
Follow Us on
मुंगेर विश्वविद्यालय में धूल फांक रहीं श्रीकृष्ण सिंह, दिनकर और कर्पूरी पीठों की फाइलें

मुंगेर, एक संवाददाता। मुंगेर विश्वविद्यालय में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव की दिशा में जिस उम्मीद के साथ लगभग ढ़ाई वर्ष पूर्व तीन विशिष्ट पीठों, श्रीकृष्ण सिंह, रामधारी सिंह दिनकर और कर्पूरी ठाकुर पीठ के गठन की घोषणा की गई थी, वह आज तक सिर्फ घोषणा तक ही सीमित रह गई है। ज्ञात हो कि, 22 नवंबर 2023 को आयोजित एकेडमिक सीनेट की पहली बैठक में जब स्वयं कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने विश्वविद्यालय के शैक्षणिक विस्तार और गुणवत्ता को प्राथमिकता देने की बात कही थी, तब लगा था कि एमयू एक नई दिशा की ओर बढ़ेगा। उसी बैठक में कुलपति प्रो श्यामा राय ने इन तीनों पीठों के गठन का औपचारिक ऐलान भी किया था।

लेकिन अब, अप्रैल 2025 में खड़े होकर देखें तो इन घोषणाओं का कोई ठोस रूप सामने नहीं आया है। हिंदी, राजनीति विज्ञान और इतिहास विभागों ने बाकायदा प्रस्ताव तैयार कर विश्वविद्यालय को सौंप दिए थे, मगर विश्वविद्यालय प्रशासन अब तक इन प्रस्तावों पर एक कदम भी नहीं उठा सका है। इससे यहां के छात्रों एवं शोधार्थियों में निराशा छाई हुई है। यदि यह तीनों पीठ है आज गठित हो गई होतीं तो तीनों विभूतियों के नाम पर बनने वाली पीठें न केवल इन महापुरुषों के विचारों और कार्यों पर शोध को बढ़ावा देतीं, बल्कि विद्यार्थियों को भी अपनी जड़ों से जुड़ने का अवसर देतीं। देश की राजनीति, साहित्य और इतिहास के इन स्तंभों पर अध्ययन-शोध से मुंगेर विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय पटल पर नई पहचान मिल सकती थी। लेकिन, विश्वविद्यालय की सुस्त प्रक्रिया एवं उदासीन रवैया के कारण यहां प्रगति की जगह प्रतीक्षा ही नियति बन कर रह गई है।

इस संबंध में विश्वविद्यालय सूत्र ने बताया कि, इन पीठों से संबंधित स्नातकोत्तर विभागों से विश्वविद्यालय को तो बहुत पहले प्रस्ताव प्राप्त हो चुके हैं, लेकिन अब तक इनके गठन की दिशा में कोई भी कार्य नहीं किया गया है। इस दौरान विश्वविद्यालय ने कई अन्य फैसले लिए हैं, जिन पर चर्चा भी हुई और स्वीकृति भी मिल गई, लेकिन यह अहम पहलू उपेक्षित रह गया।

घोषणाएं कब बनेंगी हकीकत:

यहां यह प्रश्न उत्तर लाजमी है कि, क्या ये तीनों पीठें भी बिहार एवं मुंगेर विश्वविद्यालय की कई अन्य शैक्षणिक योजनाओं की तरह घोषणा के बाद ठंडे बस्ते में ही चली जाएंगी या विश्वविद्यालय प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए इन्हें जल्द- से- जल्द धरातल पर लाने का प्रयास करेगा? इन प्रश्नों के बीच मुंगेर विश्वविद्यालय के छात्र, शिक्षक और शोधार्थी अब बस यही उम्मीद कर रहे हैं कि, विश्वविद्यालय सिर्फ ईमारतों तक सीमित न रहे, बल्कि बौद्धिक निर्माण में भी अग्रणी भूमिका निभाए।

कहते हैं कुलपति:

मुझे इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। आपके द्वारा यह मामला मेरे संज्ञान में आया है। इस संबंध में मैं जानकारी लूंगा और आवश्यक कदम उठाऊंगा।

-प्रो संजय कुमार, कुलपति, मुंगेर

विश्वविद्यालय, मुंगेर

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।