शहरी क्षेत्र के स्कूलों में 30 से 50 फीसदी शिक्षक हो गए कम
मुजफ्फरपुर में शहरी स्कूलों में शिक्षकों की संख्या 30 से 50 फीसदी तक घट गई है। पिछले एक साल में मिडिल और हाई स्कूलों में शिक्षक कम हुए हैं। कई स्कूलों में विज्ञान और गणित के शिक्षक नहीं हैं। शिक्षण...

मुजफ्फरपुर। प्रमुख संवाददाता शहरी क्षेत्र के स्कूलों में 30 से 50 फीसदी तक शिक्षक कम हो गए हैं। मिडिल और हाईस्कूलों में पिछले एक साल में शिक्षकों की संख्या घटती गई है। टीआरई एक से तीन तक की नियुक्ति में शहरी क्षेत्र में शिक्षकों का पदस्थापन नहीं हुआ। शहरी क्षेत्र में पदस्थापित शिक्षक भी बीपीएएसी की तीनों चरण की परीक्षा में शामिल हुए और बड़ी संख्या में सफल भी हुए। ऐसे में बड़ी संख्या में शहरी क्षेत्र के शिक्षक भी ग्रामीण स्कूलों में चले गए। स्थिति यह कि शहर में जिन स्कूलों में पहले 11 से 12 शिक्षक थे, अब 5 से 6 बचे हैं।
जिले के 150 से अधिक मिडिल और हाई स्कूलों में यही हाल है। मिडिल स्कूल में तीन से चार विषयों के अब शिक्षक नहीं हैं। विज्ञान व गणित के शिक्षक अधिकतर मिडिल स्कूल में नहीं : विज्ञान व गणित के शिक्षक अधिकतर मिडिल स्कूल में नहीं हैं। वहीं, इन स्कूलों में एक-दो शिक्षक से ही काम चल रहा है। यही नहीं, कई स्कूल ऐसे भी जहां मिडिल में एक भी विषय के शिक्षक हैं ही नहीं। म.वि. गोशाला में तीन शिक्षक हैं। ये तीनों प्राइमरी के हैं। मिडिल में एक भी शिक्षक नहीं हैं। म.वि. नया टोला में प्राइमरी के चार और मिडिल में महज एक शिक्षक हैं। म.वि. अभ्यासशाला चंदवारा में प्राइमरी में तीन शिक्षक हैं, लेकिन मिडिल में एक भी नहीं है। खादी भंडार नई तालीम विद्यालय में पहले 11 शिक्षक थे, वहीं अब महज प्रभारी मिलाकर सात शिक्षक हैं। म.वि. रेलवे कॉलोनी में प्राइमरी के पांच शिक्षक हैं, पर मिडिल में एक भी विषय के शिक्षक नहीं हैं। यही स्थिति कमोबेश सभी स्कूलों की है। कई स्कूलों में शिक्षण सेवियों से चल रहा काम प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रधान सचिव राजीव रंजन ने कहा कि शहरी क्षेत्र के मिडिल स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए काफी दिक्कत है। कई जगह स्थिति यह कि शिक्षण सेवियों के भरोसे कक्षा चल रही हैं। बीपीएससी से हुई अब तक की तीनों नियुक्ति में शहरी क्षेत्र में शिक्षकों की पदस्थापना नहीं करना विभाग की लापरवाही है। इसका खामियाजा बच्चे भुगत रहे हैं।
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