समय पर वेतन नहीं, कैंपस में सुरक्षा तो दूर, सुविधा को मोहताज
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के शिक्षकों को महीने की पहली तारीख को वेतन नहीं मिलता है, जिससे उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। शिक्षकों का कहना है कि वेतन में देरी के कारण बैंक की ईएमआई और...
मुजफ्फरपुर। बीआरएबीयू के शिक्षकों को कभी महीने की पहली तारीख को तनख्वाह मिल जाए, यह किसी आश्चर्य से कम नहीं होगा। अभी हाल यह है कि तीन से चार माह पर वेतन भुगतान के कारण ये आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। इनका कहना है कि निजी संस्था तक में महीने की पहली तारीख तो वेतन मिल जाता है। महीनों देरी से वेतन मिलने के कारण बैंक की ईएमआई, बच्चों की पढ़ाई से लेकर दवाई तक के पैसे जुटाना मुश्किल होता है। विवि में करीब 700 नियमित शिक्षक विभाग से लेकर कॉलेजों में काम कर रहे हैं। सिर्फ वेतन में देरी ही नहीं, कैंपस में सुरक्षा और सुविधाओं का अभाव भी इनकी परेशानियों का सबब है। इनका कहना है कि पिछले दिनों कैंपस में ही एक वरिष्ठ शिक्षक पर जानलेवा हमला हुआ था, लेकिन अब तक मामले में ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इनकी अपेक्षा है कि विवि प्रशासन इनकी समस्याओं के समाधान की पहल करे, ताकि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नए बदलाव की इबारत लिख सकें।
बीआरएबीयू में पढ़ाने वाले शिक्षक समय पर वेतन चाहते हैं। उनका कहना है वेतन उनकी मूलभूत जरूरत है। यह हर महीने की पहली तारीख को हर हाल में मिल जाना चाहिए। एलएस कॉलेज की शिक्षिका और सीनेट सदस्य डॉ. साजिदा अंजुम का कहना है कि वेतन में देरी का मुद्दा उन्होंने सीनेट में उठाया था। पीजी मनोविज्ञान विभाग की डॉ. तूलिका ने बताया कि जिन लोगों ने लोन पर घर या गाड़ी ली है, वे समय पर ईएमआई नहीं दे पा रहे हैं। आरबीबीएम कॉलेज की शिक्षिका व डिप्टी कंट्रोलर सह सीनेट सदस्य डॉ. रेणु बाला ने बताया कि वेतन में देरी से हमें बैंक को ब्याज देना पड़ता है। अगर सरकार देर से वेतन देती है तो इंटरेस्ट के साथ दे।
शिक्षकों ने बताया कि बिहार विवि में सुरक्षा भी एक बड़ा मुद्दा है। डॉ. रेणु बाला ने कहा कि कैंपस में महिला और पुरुष दोनों शिक्षकों को सुरक्षा मिलनी चाहिए। कैंपस में सुरक्षा गार्ड के साथ पुलिस लगातार सक्रिय रहनी चाहिए। अगर कोई दुर्घटना होती है तो तुरंत अपराधियों को पकड़कर सजा दी जाये, जिससे शिक्षक सुरक्षित महसूस करें। रसियन विभाग के डॉ. दिव्यम प्रकाश ने कहा कि हमारा सारा डाटा विवि के पास ऑनलाइन है, मगर वह सुरक्षित नहीं है। इससे शिक्षकों के साथ साइबर फ्रॉड होते रहता है। विवि को अपने शिक्षकों को पोर्टल का लॉगिन आईडी और पासवर्ड देना चाहिए, ताकि उनका डाटा सुरक्षित रह सके। विवि को जब हमने एक बार सारा डाटा दे दिया तो वह हर तीन महीने पर हमसे फिर इतनी ही जानकारी क्यों मांगता है।
कॉलेज से लेकर विभाग तक में नियमित सफाई नहीं :
होम साइंस विभाग की शिक्षिका डॉ. विदिशा मिश्रा ने बताया कि कॉलेज से लेकर पीजी विभाग तक में शौचालय की नियमित सफाई की जाये। कई पीजी विभागों में शौचालय बेहद गंदे हैं। इससे महिला शिक्षिकाओं को काफी परेशानी होती है। हिन्दी विभाग के शिक्षक डॉ. सुशांत कुमार ने बताया कि कई विभागों में पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं है। छात्र-छात्राओं को दूसरे विभाग में पानी पीने के लिए जाना पड़ता हैं। भीषण गर्मी में पेयजल की सुविधा सभी शिक्षक और छात्रों को मिलनी चाहिए। शिक्षकों ने कहा कि कई कॉलेजों और विभागों में महिला शौचालय की स्थिति खराब है। पीजी विभाग में भी शौचालय की स्थिति ठीक नहीं है। इस पर विवि प्रशासन को ध्यान देना चाहिए।
कर्मचारी अटका रहे काम, महीनों लगाने पड़ते चक्कर :
आरबीबीएम कॉलेज के शिक्षक डॉ. रामेश्वर राय का कहना कि विवि में कर्मचारी शिक्षकों का काम अटकाते हैं। एक फाइल पर साइन करने में महीनों लगा देते हैं। मेरे एरियर भुगतान पर कुलपति के हस्ताक्षर हुए दो महीने बीत गये, लेकिन फाइल अब तक विवि में ही घूम रही है। आरबीबीएम की शिक्षिका डॉ. अंजू सिंह ने बताया कि शिक्षकों को समय पर प्रमोशन नहीं मिल रहा है। जिन शिक्षकों का प्रमोशन हुआ, उनका लाभ अब तक उन्हें नहीं मिला। आरबीबीएम कॉलेज की हिन्दी विभाग की डॉ. हेमा कुमारी ने बताया कि पीएचडी इंक्रीमेंट भी अब तक शिक्षकों को नहीं मिला है। विवि प्रशासन को जल्द इसका भुगतान करना चाहिए।
मुद्दे ये भी :
1. इंटरनल की राशि का भुगतान नहीं
आरबीबीएम कॉलेज के शिक्षक डॉ. रामेश्वर राय का कहना है कि सीबीसीएस कोर्स में सालोंभर परीक्षा होती है और इंटरनल का काम होता है, लेकिन शिक्षकों का भुगतान नहीं होता है। शिक्षक पढ़ाने के अलावा अतिरक्त काम करते हैं। विवि और कॉलेज प्रशासन को इस इंटरनल मूल्यांकन का भुगतान करना चाहिए। शिक्षकों ने कहा कि लैबोरेट्री मद में कंटीजेंसी का पैसा नहीं आता है। यह भी विवि को देना चाहिए।
2. सहायक नहीं, कैसे कराएं प्रैक्टिकल
एमपी सिन्हा साइंस कॉलेज के डॉ. आशुतोष सिंह का कहना है कि कॉलेजों की लैबोरेट्री में सहायक नहीं हैं। कई उपकरण खराब हैं। ऐसे में शिक्षकों को प्रैक्टिकल कराने में काफी परेशानी होती है। प्रैक्टिकल के लिए छात्रों से फीस लेने के बाद भी लैबोरेट्री के लिए सामान नहीं है। एमपी सिन्हा साइंस कॉलेज के शिक्षक सह सीनेट सदस्य डॉ. भरत भूषण ने कहा कि कम संसाधन में प्रैक्टिकल लेने में परेशानी होती है। जब हम प्रैक्टिकल ले लेते हैं उसके बाद विवि फिर से प्रैक्टिकल की तारीख बढ़ा देता है। ऐसे में एक ही प्रक्रिया बार-बार करनी पड़ती है।
3. विवि में शिक्षकों के आवास जर्जर
विवि में शिक्षकों के आवास जर्जर हैं। शिक्षकों ने कहा कि इसे विवि प्रशासन को ठीक कराना चाहिए। आवास जर्जर होने के कारण वे उसमें नहीं रह सकते हैं। उन्हें कैंपस से बाहर किराये के घर में रहना पड़ता है। जर्जर होने के कारण बीआरएबीयू के कई आवास खाली पड़े हुए हैं। कई आवास ऐसे भी हैं, जो जर्जर हैं और उसमें शिक्षकों को रहना पड़ रहा है। शिक्षक इन आवासों के लिए राशि का भी भुगतान करते हैं। बरसात में कई आवासों के बाहर पानी जमा हो जाता है तो कई के छज्जे टूटकर गिर जाते हैं।
बोले जिम्मेदार :
शिक्षकों की समस्याओं के समाधान के लिए काम किया जा रहा है। सुरक्षा को लेकर विवि प्रशासन गंभीर है। पीजी विभागों में जहां पेयजल की समस्या है, उसे लेकर इंजीनियरिंग सेक्शन को निर्देश दिया जा चुका है। शौचालय की सफाई के लिए भी निर्देश जारी है। पालनाघर खोलने की प्रक्रिया हो रही है।
-प्रो. संजय कुमार, रजिस्ट्रार, बीआरएबीयू
कॉलेज के हर ब्लॉक में बाथरूम है। स्नातक की फीस में इंटरनल फीस लेने की व्यवस्था नहीं है। विवि से मांग की है कि इंटरनल की फीस की व्यवस्था की जाये। विवि जब पैसा देगा तो वह दिया जायेगा। जिन विभागों से मांग की गई, वहां जर्नल आ रहा है।
-प्रो. ममता रानी, प्राचार्या, आरबीबीएम कॉलेज
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