Tribute to Gopal Singh Nepali Celebrating the Legacy of a Renowned Poet and Nationalist संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी, बांग्ला पर एकाधिकार था नेपाली का, Muzaffarpur Hindi News - Hindustan
Hindi NewsBihar NewsMuzaffarpur NewsTribute to Gopal Singh Nepali Celebrating the Legacy of a Renowned Poet and Nationalist

संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी, बांग्ला पर एकाधिकार था नेपाली का

मुजफ्फरपुर में कवि गोपाल सिंह नेपाली की पुण्यतिथि पर काव्य-संध्या का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उनके जीवन और साहित्य के माध्यम से उनकी देश सेवा को याद किया गया। साहित्यकारों ने उनकी कविताओं और उनके...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरThu, 17 April 2025 10:16 PM
share Share
Follow Us on
संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी, बांग्ला पर एकाधिकार था नेपाली का

मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। लोकतंत्र के प्रहरी, प्रेम और प्रकृति के अनुपम गायक कवि गोपाल सिंह नेपाली की पुण्यतिथि पर गुरुवार को स्थानीय हरीतिमा में उन्हें याद करते हुए काव्य-संध्या आयोजित की गई।

इस अवसर पर उनके जीवन, रचना और साहित्य के माध्यम से उनकी देश सेवा को याद किया गया। प्रसिद्ध साहित्यकार नंदकिशोर नंदन ने कहा कि स्वाध्याय के बल पर संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी, बांग्ला, गुजराती, मराठी आदि कई भाषाओं एवं उनके साहित्य पर उनका अधिकार था। वह हिन्दी के सुप्रसिद्ध प्रगतिशील कवि, गीतकार, कथाकार एवं पत्रकार रहे। साहित्य में उनका विशेष योगदान उनकी गीत की नई एवं अनूठी शैली के प्रवर्तक के रूप में है। इनकी नैसर्गिक काव्य प्रतिभा के प्रशंसकों में प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, निराला, और सुमित्रानंदन पंत रहे हैं। सैनिक पिता के साथ कभी देहरादून तो कभी मसूरी और कभी नेपाल की मनोरम घाटियों में वे रहे। प्रकृति की सौंदर्यमयी गोद मसूरी में ही प्रकृति के अनुपम चितेरे नेपाली का कवि-कंठ फूटा। भोजपुरी के प्रसिद्ध कवि कुमार विरल ने गोपाल सिंह नेपाली की जनता के बीच की ख्याति और लोकप्रियता का ज़िक्र करते हुए उनकी कविता भाई-बहन को याद किया। कवि रमेश ऋतंभर ने कहा कि बचपन से हमलोगों की चेतना का विकास किया है नेपाली जी की कविताओं ने। कवि वीरेंद्र कुमार सिंह ने उनकी कविताओं को बचपन से सुनते सीखते हुए बड़े होने की बात कही। प्रो. कौशल किशोर चौधरी ने नेपाली जी की पुण्यतिथि पर कहा कि कवियों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। नेपाली जी ने बहुत सरल कविताओं की रचना की है। प्रसिद्ध रंगकर्मी स्वाधीन दास ने कहा कि आजादी के पहले आजादी के लिए कवि आये, फिर आजादी के बाद का जो संघर्ष था उसके लिए आवाज उठाने के लिए कवि लेखक आये। समापन नेपाली जी की कविता का सस्वर पाठ कर नंदकिशोर नंदन ने किया। धन्यवाद ज्ञापन मनोरम नंदन ने किया।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।