Hiswa Ward 16 Faces Development Challenges Despite Being Part of Urban Council वार्ड 16 : मुख्य पार्षद के गृह वार्ड में भी समस्याओं का अम्बार , Nawada Hindi News - Hindustan
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वार्ड 16 : मुख्य पार्षद के गृह वार्ड में भी समस्याओं का अम्बार

हिसुआ नगर परिषद का वार्ड 16, जो पुराने नगर पंचायत का हिस्सा रहा है, अब नए परिसीमन के तहत जर्जर स्थिति में है। यहाँ शिक्षा, नल-जल, और गली-नाली की मूलभूत सुविधाओं की कमी है। स्थानीय निवासियों की...

Newswrap हिन्दुस्तान, नवादाTue, 15 April 2025 03:11 PM
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वार्ड 16 : मुख्य पार्षद के गृह वार्ड में भी समस्याओं का अम्बार

हिसुआ, संवाद सूत्र। नगर परिषद हिसुआ का वार्ड 16 भी पुराने नगर पंचायत का हिस्सा रहा है, जिसे अब नए परिसीमन के तहत वार्ड 16 का स्वरूप दिया गया है। शहर के अन्य वार्डों की तरह ही यहां की भी स्थिति जर्जर है। जिसे दूर करने में नगर परिषद और स्थानीय प्रतिनिधि अब तक नाकाम रहे हैं। विडंबना इस बात की है कि नगर परिषद के मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद का गृह वार्ड होने के बावजूद भी यह वार्ड विकास कार्यों के मामले में फिलहाल अन्य वार्डों की तुलना में कछुए के चाल चल रहा है। वार्ड की वर्तमान स्थिति देखा जाए तो यहां स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र, नल-जल सहित नाली और गली की भी बेहतर सुविधा उपलब्ध नहीं है। वार्ड की आबादी लगभग 07 हजार के करीब है, जबकि मतदाताओं की संख्या यहां 23 सौ के आसपास है। यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है, जबकि हिंदू जनसंख्या भी ठीक-ठाक है। वर्गीकरण के लिहाज से देखा जाए तो यहां हिंदू मतदाताओं में अति पिछड़ा एवं महादलित मतदाताओं के अलावा मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी खासी तादाद है। वार्ड का सीमांकन पूरब में हिसुआ का प्रवेश द्वार कहे जाने वाले रानी पोखर पर निर्मित बड़की पुल से लेकर पश्चिम में बीच बाजार जाने वाली सड़क के पूर्वी छोर तक है। जबकि उत्तर में गया-नवादा मेन रोड से लेकर दक्षिण में नाला तक है। मजदूरी और व्यवसाय इस वार्ड के लोगों का मुख्य पेशा है। यहां के अधिकांश लोग खुद के छोटे-बड़े व्यवसाय से जुड़े हैं जबकि कुछ लोग मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते हैं। बैंकिंग व्यवस्था सही, अन्य सुविधाएं नदारद वार्ड में सिर्फ बैंकिंग व्यवस्था को छोड़कर यहां एक भी मूलभूत सुविधाएं मौजूद नहीं हैं। शिक्षण के लिए एक भी सरकारी विद्यालय का नहीं होना और जनसंख्या के लिहाज से आंगनबाड़ी केन्द्र का नहीं होना यहां के निवासियों को काफी कचोटता है। यहां बड़ी आबादी होने के बावजूद भी एक ही आंगनबाड़ी केंद्र है और यह भी सरकारी जमीन के अभाव में भवनहीन है। इसका संचालन किराए के भवन में किसी तरह कर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है। स्थानीय लोग काफी अर्से से यहां जनसंख्या के हिसाब से एक आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन मुस्लिम टोले में भी किए जाने की मांग करते आ रहे हैं। इसके बावजूद भी आजतक यह मांग अधूरी है। ले-दे कर अगर किसी मामले में यह वार्ड सुदृढ़ है तो वह है बैंकिंग व्यवस्था। यहां गया-नवादा मेन रोड के बगल में ही बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब नैशनल बैंक की शाखा और एटीएम मौजूद है। जबकि कई बड़े और छोटे व्यवसायिक प्रतिष्ठान भी यहां मौजूद है, इस कारण वार्ड में हमेशा लोगों की चहल-पहल रहती है। इस वार्ड में स्थित बैकों और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में भीड़ होने के कारण स्थानीय लोगों को सारा दिन जाम के भीषण संकट का सामना भी करना पड़ता है। मेन रोड के दोनों छोर पर अतिक्रमण का भी अधिभार है, जिससे भी जाम की समस्या बनी रहती है। नलजल की समुचित व्यवस्था नहीं, परेशानी बरकरार शहर का मुख्य वार्ड होने के बावजूद भी इस वार्ड में सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल रहे सात निश्चय योजना के तहत संचालित नल-जल योजना से यह वार्ड अब तक लगभग वंचित है। अपनी व्यथा सुनाते हुए स्थानीय पार्षद कहते हैं कि हमारे यहां तब के पुराने वार्ड का हिस्सा रहे नाला के समीप मंदिर परिसर के पास नल-जल आपूर्ति के लिए बोरिंग और टंकी लगाई गई थी, जो अब नए परिसीमन के तहत वार्ड 17 में चला गया है। जहां से फिलहाल हमारे वार्ड में नलजल की सप्लाई की जाती है। हालांकि उस अकेले बोरिंग से दो वार्डों में नियमित जलापूर्ति कर पाना असम्भव होता है। गर्मी के मौसम में भूजल स्तर गिरते ही बोरिंग से बहुत ही कम पानी निकलता है। मैंने कई दफा वार्ड की घनी आबादी को देखते हुए एक और बोरिंग कराने की मांग रखी, जिसे आजतक अनसुना किया जाता रहा है। हमारे वार्ड में भी अन्य वार्डों की ही तरह खुद का नलजल बोरिंग उपलब्ध कराया जाना चाहिए ताकि यहां के लोगों को कम से कम पेयजल जैसी मूलभूत समस्याओं से रूबरू नहीं होना पड़े। सरकारी स्कूल नहीं, आंगनबाड़ी केन्द्र भी भवनहीन शिक्षा व्यवस्था के लिहाज से भी इस वार्ड की स्थिति अन्य वार्डों के तुलना में काफी पीछे है। यहां के बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए पढ़ाई जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नदारद हैं। इस कारण यहां के बच्चों को मजबूरीवश शिक्षा ग्रहण करने किसी दूसरे वार्ड के सरकारी विद्यालय में दाखिला लेना पड़ता है या फिर निजी शिक्षण संस्थानों की ओर रुख करना पड़ता है। स्थानीय लोग अपनी व्यथा व्यक्त करते हुए कहते हैं कि हमलोग सिर्फ नाम के नगर वासी कहलाते हैं, जबकि नियमित टैक्स भुगतान करने के बावजूद भी हमलोगों से बेहतर स्थिति ग्रामीण इलाकों में है, जहां शिक्षा, स्वास्थ्य और नलजल की सुविधा हमारे शहरी क्षेत्र से बेहतर है। मुस्लिम समुदाय के बच्चों की पढ़ाई के लिए इस वार्ड में एक निजी मदरसा और एक शिक्षण संस्थान मुस्लिम टोले में मौजूद जरूर है, लेकिन आबादी के लिहाज से वह भी नाकाफी है। वार्ड की घनी आबादी होने के बावजूद भी जनसंख्या के लिहाज से वार्ड के नौनिहालों की आरंभिक शिक्षा के लिए आंगनबाड़ी केंद्र तक यहां मौजूद नहीं है। सात हजार से अधिक की आबादी पर मात्र एक आंगनबाड़ी केंद्र का होना और उस का भी भवन तथा संसाधनविहीन होना काफी निराशाजनक है। इस केन्द्र का किसी तरह से संचालन कर यहां मात्र खानापूर्ति की जा रही है। नाली और गली की समस्या है गंभीर, समाधान नहीं नगर परिषद के इस वार्ड में भी अन्य वार्डों की तरह ही नाली और गली की समस्या काफी गंभीर बनी हुई है। यहां रानी पोखर के आसपास के इलाके में काफी तीव्र गति से नई बसावट बस रही है, लेकिन नगर परिषद की लापरवाही के कारण नगर पालिका कानून का बिना अनुपालन किए ही मकान बना लेने के कारण इस वार्ड की भी गलियां संकीर्ण हो गई हैं। जबकि गली के साथ ही नाली की भी स्थिति ठीक नहीं रह गयी है। इस कारण कई जगहों पर गलियों में नाले का पानी बहता रहता है, जिससे गुजरकर लोगों को आने-जाने में मजबूरन फजीहत उठानी पड़ती है। मुख्य नाले और रानी पोखर के बदबू से लोगों का जीना बेहाल वार्ड की दक्षिणी सीमा से होकर हिसुआ शहर का मुख्य नाला बहते हुए रानी पोखर में गिरता है जो कभी हिसुआ बाजार के पुराने गुहिया पोखर का भाग हुआ करता था। श्ह शहर के गांधी टोला और प्रोफेसर कॉलनी के समीप से मैथिली टोला होते हुए ब्रह्मापिशाच से गुजरते हुए खनखनापुर के समीप रानी पोखर में मिलती थी, लेकिन आधुनिकता के इस दौर में बढ़ते शहरीकरण की मार से हिसुआ का गुहिया पोखर अब नाले में तब्दील हो चुका है जबकि इसका बहुत ही चौड़ा पाट आज भी सिंचाई विभाग के पीछे मौजूद है, जो अब साफ-सफाई नहीं कराए जाने से दलदल में तब्दील हो गया है। वहीं, अतिक्रमण के कारण अब मैथिली टोला से लेकर ब्रह्मापिशाच तक इसका अस्तित्व ही मिट चुका है। इसी गुहिया पोखर के बचे कुछ भाग, जो नाला में तब्दील हो चुका है, उसे स्टेशन रोड शिवाला से लेकर नाला चौक तक नाले के ऊपर ढलाई कर सड़क का स्वरूप दे दिया गया है। लेकिन नाला चौक से लेकर रानी पोखर तक इस बड़े नाले की स्थिति काफी भयावह है, जिससे निकलने वाले दुर्गन्ध और उसकी गंदगी से उसके आसपास बसे महादलित समुदाय के लोगों का जीना दूभर है। स्थानीय लोग वार्ड 15 की ही तरह वार्ड 16 में भी नाले के ऊपर सड़क बनाने की मांग कर रहे हैं। स्थानीय लोग कहते हैं कि अगर बड़की पुल के समीप से रानी पोखर के किनारे से लेकर बीच बाजार नाला चौक तक बाकी बचे इस नाले पर भी सड़क बना दिया जाए तो शहर वासियों को जाम की भी समस्या से जूझना नहीं पड़ेगा। -------------------- आम लोगों की व्यथा : वार्ड पुराने से नए परिसमीन में पहुंच कर बदल गया लेकिन विकास कार्य की स्थिति जस के तस बनी हुई है। नगर परिषद और स्थानीय पार्षद को इस ध्यान देना चाहिए। जिस गति से वार्ड का विकास होना चाहिए, उतनी गति से नहीं हो पाया है। यह निराशाजनक है। -मो. सद्दाम, वार्डवासी। वार्ड में नाली और गली के साथ ही नलजल की गंभीर समस्या है। अन्य वार्डों की तरह ही हमारे वार्ड में भी सारी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए। टैक्स देने के बाद भी शहरी सुविधाओं से वंचित रहना हम सभी वार्डवासियों का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा। -मो. शमशेर आलम, वार्डवासी। वार्ड की आबादी के लिहाज से कम से कम एक आंगनबाड़ी केंद्र और बढ़ाया जाया जाना चाहिए जबकि अभी जो एक है, उसका भवन निर्माण जल्द कराया जाना चाहिए। इसके साथ हीं नाली और गली का निर्माण कराया जाना जरूरी है। यह वार्डवासियों का हक है। -पवन कुमार, वार्डवासी। नल-जल के सुचारु संचालन के लिए अलग बोरिंग कराया जाए। वर्तमान बोरिंग से गर्मी के दिनों में पानी बहुत ही कम निकलता है अथवा पानी आता ही नहीं है, जिससे वार्ड में पीने के पानी की गंभीर समस्या उत्पन्न हो जाती है। इसका समाधान जल्द से जल्द से निकाला जाना चाहिए। -शिवदानी चौधरी, वार्डवासी। ------------------- क्या कहते हैं जिम्मेदार : यह सच है कि वार्ड के विकास को अबतक रफ्तार नहीं दिया जा सका है। वार्ड में शुरू से ही मूलभूत सुविधाओं का घोर आभाव था, जो अब भी बरकरार है। हालांकि इसे दुरुस्त करने के प्रयास जारी हैं। नलजल के लिए मैंने कई बार अलग बोरिंग कराने का मांग किया है, जिसपर अबतक ध्यान नहीं दिया गया है। गर्मी में भूजल स्तर गिर जाने के बाद उपलब्ध बोरिंग से पानी बहुत कम निकलता है। आबादी के लिहाज से मुस्लिम टोला में एक आंगनबाड़ी केंद्र और होना चाहिए। इसकी भी मांग मैंने कई दफा किया, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। अबतक पार्षद मद से कुल दो योजनाओं पर कार्य किया गया है, जिसके तहत नाली, पीसीसी ढलाई और पेवर ब्लॉक बिछाने का कार्य कराया गया है। राज्य मद से राशि आने पर वृहद कार्य कराए जाने की उम्मीद है। -मो. इबरार आलम, वार्ड पार्षद, वार्ड 16, हिसुआ नगर परिषद, नवादा।

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