भला है, बुरा है, जैसा है, मेरा पति मेरा देवता है; कांग्रेस से एकतरफा प्यार में पप्पू यादव
एक साल से कांग्रेस की लाइन-लेंथ पर चल रहे पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव अब यह महसूस करने लगे हैं कि पार्टी में उनको मनोवांछित भाव नहीं मिल रहा है।

पूर्णिया के निर्दलीय सांसद और बाहुबली नेता राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव लोकसभा चुनाव के पहले से कांग्रेस की लाइन-लेंथ पर चल रहे हैं, लेकिन अब शायद उनको लगने लगा है कि पार्टी गले नहीं लगा रही है। लोकसभा चुनाव से पहले पप्पू यादव ने अपने दल जन अधिकार पार्टी का पवन खेड़ा की मौजूदगी में कांग्रेस में विलय का ऐलान किया था, लेकिन उसके बाद कांग्रेस और पप्पू का रिश्ता तेल और पानी की तरह ही चल रहा है। विधानसभा चुनाव से पहले भाव मिलने का इंतजार कर रहे पप्पू यादव अब कांग्रेस के रवैए से निराश दिखने लगे हैं और मन का दुख खुलकर रखने लगे हैं।
पप्पू यादव का एक इंटरव्यू वायरल है जिसमें वो कह रहे हैं- “भला है, बुरा है, जैसा है, मेरा पति मेरा देवता है।” पप्पू यादव कह रहे हैं कि पप्पू यादव का परिवार, कांग्रेस परिवार है। कांग्रेस माने या ना माने, हम मानते हैं। पप्पू इस इंटरव्यू में कांग्रेस को लेकर कह रहे हैं कि उनका दो पति नहीं है, एक ही पति ठीक है। उन्होंने कहा कि जब लात मार देगा तो जरूरी नहीं है कि नया पति खोजें, उनका नाम लेकर जिएंगे। पप्पू यादव आगे कहते हैं कि इंसान दर्द के लिए ही बना है, जिस इंसान के जीवन में दर्द ना हो, उसका क्या लाइफ है।
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याद दिला दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सीट रही पूर्णिया से 2024 में लड़ने के मकसद से पप्पू यादव कांग्रेस के पास चले गए थे। लेकिन राजद अध्यक्ष लालू यादव और तेजस्वी यादव ने वहां जेडीयू की विधायक बीमा भारती को तोड़कर अपना कैंडिडेट बना लिया और सीट भी कांग्रेस से ले ली। राजनीतिक हलकों में माना गया कि राजद का यादव परिवार किसी ऐसे नेता को आगे नहीं बढ़ने देना चाहता जो उसी बिरादरी से हो। पप्पू यादव इसके बावजूद जीतकर आए और बीमा भारती ना सिर्फ तीसरे नंबर पर गईं बल्कि जमानत तक जब्त करा बैठीं।
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बिहार कांग्रेस में जब अखिलेश प्रसाद सिंह की विदाई की चर्चा शुरू हुई तो पप्पू यादव की आस जगी। राहुल गांधी इस साल जब पहले बिहार दौरे पर आए तो पप्पू ने पूरे पटना को होर्डिंग से भर दिया लेकिन मुलाकात तक नहीं हो पाई। कांग्रेस के अंदर प्रियंका गांधी के नजदीक माने जाने वाले पप्पू को फिर निराशा हुई जब पार्टी ने दलित नेता राजेश कुमार को प्रदेश अध्यक्ष बनाया। पप्पू को विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आगे का रास्ता समझ नहीं आ रहा है। कांग्रेस नेतृत्व पूछ नहीं रहा है और जो पार्टी थी, उसके विलय की घोषणा कर चुके हैं। लोकसभा में कांग्रेस के लिए बैटिंग कर रहे पप्पू यादव के लिए बिहार में पार्टी नेतृत्व फील्डिंग नहीं सजा रहा है। इसका परिणाम क्या होगा, ये बिहार में एक अबूझ राजनीतिक पहेली बनी हुई है।