बिहार में रेप पीड़िता के खिलाफ ही पुलिस ने झूठे केस में कर दी चार्जशीट, आईजी से शिकायत
- झूठा मुकदमा दर्ज किए जाने की शिकायत रेप पीड़िता ने थानेदार से लेकर आइजी तक से की। धौंस, धमकी और मुकदमा वापस लेने के दबाव की वॉयस रिकार्डिंग तक अधिकारियों को सुनाई, मगर कोई न्याय नहीं मिला। पुलिस ने बगैर आधार के चार्जशिट तक कर दी।

महिलाओं के प्रति निष्ठुर रवैये से जुड़ा गया पुलिस का एक और कारनामा सामने आया है। बिहार के गया जिले में पुलिस पर आरोप है कि दुष्कर्म और धोखे की शिकार एक युवती के केस को कमजोर करने के लिए पुलिस ने अभियुक्तों की झूठी शिकायत के आधार पर पीड़ित लड़की और उसके वृद्ध माता-पिता पर ही केस दर्ज कर चार्जशिट दायर कर दी। पुलिस की इस कार्रवाई से पीड़ित लड़की और उसका परिवार सदमे में है। पीड़ित लड़की डोभी थाने के एक गांव की है। केस शेरघाटी थाने में दर्ज हुआ था।
थानेदार ने ही किया था मामले का सुपरविजन
पीड़ित किशोरी ने इस तरह की शिकायत सूबे के डीजीपी सहित कई पुलिस अधिकारियों से की है। किशोरी ने कहा है कि दिसम्बर 2023 तक कई बार उसके साथ दुष्कर्म किया गया था। दो महीने की भागदौड़ और पुख्ता सबूत उपलब्ध कराने के बाद फरवरी 2024 में उसकी शिकायत (108/24) शेरघाटी थाने में दर्ज की गई। कुछ महीने बाद झूठी शिकायत पर बगैर किसी साक्ष्य सबूत के उसके और परिवार वालों के खिलाफ शेरघाटी थाने में मुकदमा (516/24) दर्ज किया गया।
झूठा मुकदमा दर्ज किए जाने की शिकायत उसने थानेदार से लेकर आइजी तक से की। धौंस, धमकी और मुकदमा वापस लेने के दबाव की वॉयस रिकार्डिंग तक अधिकारियों को सुनाई, मगर कोई न्याय नहीं मिला। पुलिस ने बगैर आधार के चार्जशिट तक कर दी। इस कांड के अनुसंधानकर्ता धनंजय कुमार सिंह (पीटीसी) थे, जबकि सुपरविजन मुकदमा दर्ज करने वाले थानेदार अजीत कुमार ने स्वंय किया था।
क्या कहती है पुलिस
इस मामले में थानेदार अजीत कुमार ने कहा कि जहां तक उन्हें याद है, दुष्कर्म पीड़िता के खिलाफ चार्जशिट करने का आदेश उन्होंने नहीं दिया है। कांड के आइओ को पहले ही दूसरे मामले में लाइन क्लोज किया जा चुका है। इधर शेरघाटी के एएसपी शैलेंद्र सिंह ने इस इश्यू पर बात किए जाने पर कहा कि यदि इस तरह की शिकायत सामने आएगी तो उसकी तथ्यपरक ढंग से जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।