छात्र कर रहे मांग, विश्वविद्यालय कॉलेजों में कराए छात्रसंघ चुनाव
समस्तीपुर में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से संबद्ध 10 से अधिक कॉलेजों में छात्र संघ चुनाव नहीं हो रहे हैं। छात्र संगठनों ने प्रशासन पर आरोप लगाया है कि चुनाव न कराकर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं...
समस्तीपुर। जिले में ललित नारायण मिथिला विवि से संबद्ध 10 से अधिक अंगीभूत कॉलेज हैं। इनमें एक लाख से अधिक छात्र-छात्राएं विभिन्न विषयों में पढ़ाई करते हैं। इन कॉलेजों में दिसंबर 2019 के बाद से छात्र संघ का चुनाव नहीं हुआ है। कॉलेज के विभिन्न छात्र संगठनों ने अपनी समस्याओं पर चर्चा करते हुए कहा कि विवि प्रशासन कॉलेज में छात्र संगठनों का चुनाव नहीं करा रहे हैं। इससे कॉलेज में कई तरह की समस्याओं का निराकरण नहीं हो रहा है। कॉलेजों में पढ़ाई सही तरीके से नहीं हो रही है। कॉलेजों के विद्यार्थी एलएनएमयू प्रशासन से छात्र संघ चुनाव चाहते हैं। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अधीन आने वाले जिले के दस प्रमुख अंगीभूत कॉलेज है। इसमें जिला मुख्यालय में चार कॉलेज समस्तीपुर कॉलेज, महिला कॉलेज, बीआरबी कॉलेज, आरएनएआर कॉलेज शामिल है। वहीं पटोरी में दो, मोहिउद्दीननगर में एक, रोसड़ा में एक, दलसिंहसराय में एक व विभूतिपुर में एक कॉलेज सिर्फ शिक्षा के केंद्र नहीं, बल्कि युवा ऊर्जा और सामाजिक चेतना के गढ़ हैं। इन कॉलेजों में करीब एक लाख छात्र-छात्राएं स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर पढ़ाई कर रहे हैं। इन महाविद्यालयों में बिहार के लगभग सभी प्रमुख छात्र संगठन सक्रिय हैं। ये संगठन छात्र-छात्राओं की समस्याओं को उठाने, समाधान की मांग करने और एक जीवंत कैंपस माहौल बनाए रखने में लगातार सक्रिय रहते हैं। छात्र संगठन नियम के अनुरूप प्रत्येक वर्ष छात्र संघ चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं। चुनाव नहीं होने से छात्रों की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं।
ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन (एआईएसएफ) के जिला सचिव कुमार गौरव का मानना है कि छात्रों की समस्याओं पर सीधे बात रखने का एक महत्वपूर्ण मंच छात्रसंघ होता है। यह छात्रों को प्रतिनिधित्व का अधिकार देता है। लेकिन विडंबना यह है कि मिथिला विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव लंबे समय से नहीं हो रहा है। आखिरी बार दिसंबर 2019 में चुनाव हुए थे, तब जिले के दसों कॉलेजों के छात्र-छात्राओं ने उत्साह के साथ अपने प्रतिनिधियों को चुना था। छात्रसंघ चुनाव छात्रों को न सिर्फ प्रतिनिधि चुनने का अवसर देता है, बल्कि उन्हें सही-गलत के बीच फर्क करने की समझ भी देता है। यह मंच उन्हें सवाल पूछने की ताकत देता है, सिस्टम से संवाद करने का आत्मविश्वास देता है और एक जिम्मेदार नागरिक बनने की दिशा में पहला कदम होता है।
विवि कर रहा अनदेखी : रौशन कुमार बताते हैं कि लिंगदोह कमेटी के नियम साफ कहते हैं कि हर विश्वविद्यालय में हर साल छात्रसंघ चुनाव अनिवार्य है। यह न सिर्फ लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है, बल्कि नैक ग्रेडिंग जैसे शैक्षणिक मूल्यांकन के लिए भी आवश्यक है, लेकिन एलएनएमयू लगातार इस नियम की अनदेखी कर रहा है। पिछले पांच वर्षों से छात्रसंघ चुनाव नहीं हुए हैं। नतीजा यह है कि छात्रों से जुड़ी समस्याएं जैसे कैंपस में मूलभूत सुविधाओं की कमी, पढ़ाई की गुणवत्ता, परीक्षा की प्रक्रिया सहित अन्य समस्याओं पर विश्वविद्यालय प्रशासन का रवैया उदासीन है। चुनाव न होने की वजह से न सिर्फ छात्रों की आवाज दब रही है, बल्कि कैंपस में संवादहीनता बढ़ रही है। आज जब देश युवा नेतृत्व की मांग कर रहा है, तब विश्वविद्यालयों को चाहिए कि वे अपने भीतर से ही इस नेतृत्व को निकलने का मौका दें। छात्रों के अंदर ऊर्जा है, विचार हैं, नेतृत्व की क्षमता है। उन्हें सिर्फ मंच चाहिए और वह मंच है छात्रसंघ चुनाव। ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा) के सुनील कुमार कहते हैं कि जब प्रत्येक नामांकन सत्र में छात्र-छात्राओं से छात्र संघ चुनाव के नाम पर एक तय राशि ली जाती है। इसके बावजूद छात्र संघ चुनाव नहीं करवाना नैतिक और कानूनी दोनों तरीके से गलत है। साथ ही छात्रसंघ चुनाव नहीं होने की वजह से विश्वविद्यालय प्रशासन की मनमानी बढ़ गई है। छात्रों का मानसिक और आर्थिक शोषण विभिन्न तरीकों से किया जा रहा है।
बोले-जिम्मेदार
छात्र संघ चुनाव कराए जाने के लिए विभिन्न छात्र संगठनों से भी ज्ञापन प्राप्त हुआ है। जिसे विश्वविद्यालय को भेजा जा चुका है। छात्रसंघ चुनाव की प्रक्रिया व उसकी रूपरेखा विश्वविद्यालय द्वारा ही तैयार की जानी है। विश्वविद्यालय से निर्देश प्राप्त होते ही चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
-घनश्याम राय, प्राचार्य, यूआर कॉलेज
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