Wheat Procurement Slows in Samastipur Due to Low Government Rates सरकारी स्तर पर गेहूं खरीद में पिछड़ रहा जिला, Samastipur Hindi News - Hindustan
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सरकारी स्तर पर गेहूं खरीद में पिछड़ रहा जिला

समस्तीपुर में सरकारी स्तर पर गेहूं की खरीद धीमी हो गई है। 1 से 9 अप्रैल तक केवल 22 किसानों से 25.700 मैट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई है। कुल 917 किसानों ने ऑनलाइन पंजीकरण कराया है, लेकिन केवल 2.5% ने ही...

Newswrap हिन्दुस्तान, समस्तीपुरThu, 10 April 2025 08:16 PM
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सरकारी स्तर पर गेहूं खरीद में पिछड़ रहा जिला

समस्तीपुर। सरकारी स्तर पर जिले में गेहूं की खरीद की रफ्तार कुंद हो गई है। पहली अप्रैल से 9 अप्रैल तक जिलेभर में केवल 22 निबंधित किसानों से कुल 25.700 मैट्रिक टन गेंहू की खरीद हुई है। जबकि गेहूं बेचने के लिए कुल 917 किसानों ने ऑनलाइन मोड में अपना निबंधन (आवेदन ) कराया है। इस लिहाज से देखा जाए तो करीब ढाई फीसदी किसानों ने ही गेहूं खरीदी है। इस खरीद के प्रति किसानों का बहुत कम झुकाव की वजह धान की सरकारी दर का बाजार दर से कम होना बताया जा रहा है। गेहूं खरीद की इस रफ्तार से इस बार जिला का गेहूं खरीद का लक्ष्य फेल कर जाने की संभावना प्रबल है। पिछले साल भी बहुत कम गेहूं की खरीद हुई थी जिससे जिला का लक्ष्य पूरा नहीं हुआ था। उस बार भी बाजार दर से सरकारी दर कम रहना ही था।

इस बारे में जब किसानों से बात की गई तो उनका कहना था कि कोई किसान कम दर में क्यों अपना घाटा सह कर गेहूं बेचेगा। सरकार ने जान बूझकर बाजार दर से सरकारी दर कम रखा है। ऐसे में तो सरकारी गेहूं की खरीद फेल ही होगी। उनके खेत व घर पर ब्यापारी खाली बोरा लेकर गेहूं लेने आ रहे हैं। पैसा भी हाथोंहाथ देते हैं। फिर हम सरकारी पेंच में क्यों फंसे। एक तो कम दर पर घर से अपना खर्चा कर क्रय केंद्र पर गेहूं ले जाएं और पैसा भी 48 घन्टे के बाद मिलेगा।

इस दौरान पैक्स व व्यापार मंडलों के अध्यक्ष से बात की गई तो उनका कहना था कि वे गेहूं लेने के लिए अपना क्रय केंद्र खोल कर रखे हैं। किसान बेचने आए तब तो। इक्के दुक्के किसान आ रहे हैं। सरकारी दर ही तो कम है बाजार दर से। कहां से किसान उनके यहां पहुंचेंगे। लगता नहीं है गेहूं खरीद इस बार अधिक हो पाएगी। पिछले साल भी यही हुआ था।

इस बारे में डीसीओ अरुण कुमार ने बताया कि हमने सर्वे कराया है, जिसमें पाया गया है गेहूं खरीद का बाजार दर 2500 से साढ़े 2500 सौ प्रति क्विंटल चल रहा है। जबकि सरकारी दर 2425 रुपए प्रति क्विंटल निधारित है। रेट के इस अंदर का असर सरकारी गेहूं खरीद पर पड़ रहा है। सामान्य बात है कि किसान को जहां अधिक दर मिलेगा, वहीं अपना गेहूं बेचेगा। वैसे, हमलोग इंतजार कर रहे हैं कि बाजार दर कम होने का। तब सरकारी खरीद की रफ्तार बढ़ने लगेगी।

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