मर्डर केस में जिस दारोगा को उम्रकैद हुई, वो बन गया डीएसपी; बिहार पुलिस में गजब खेल
बिहार पुलिस का एक दारोगा बीते सालों में प्रमोशन पाकर डीएसपी बन गया। उसके खिलाफ 25 साल से फर्जी एनकाउंटर में युवक की हत्या करने का मामला चल रहा था। अक्टूबर 2024 में जब उसे उम्रकैद हुई तो पुलिस मुख्यालय के आला अधिकारी सन्न रह गए कि मर्डर केस के बावजूद वह प्रमोशन कैसे पाता रहा।

बिहार में हत्या के आरोप में एक दारोगा ने डीएसपी रैंक तक का सफर तय कर दिया। उस पर मर्डर का केस चल रहा था, बावजूद इसके वह प्रमोशन का लाभ लेता रहा। पिछले साल अदालत ने युवक की हत्या को एनकाउंटर बताने के मामले में आरोपी दारोगा दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा भी सुनाई। सीबीआई की विशेष अदालत ने जब डीएसपी रैंक में प्रमोट हुए पुलिस अफसर को सजा दी, तो पुलिस के आला अफसरों की आंखें खुली की खुली रह गईं।
यह मामला 26 साल पहले का है। पूर्णिया जिले के बिकौठी थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष मुखलाल पासवान को बीते अक्टूबर में अदालत ने फर्जी एनकाउंटर केस में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उस समय वह दरभंगा में स्पेशल ब्रांच के डीएसपी के रूप में तैनात था। मामला सामने आने के बाद पुलिस महकमा अब उन चेहरों की तलाश में जुटा है, जिन्होंने मुखलाल के खिलाफ चल रहे मर्डर केस को छिपाकर उसे प्रमोशन दिलाने में मदद की।
बिहार पुलिस मुख्यालय ने मामले की जांच का जिम्मा पूर्णिया रेंज के डीआईजी प्रमोद कुमार मंडल को दिया है। डीआईजी ने पूर्णिया के एसपी कार्तिकेय के शर्मा से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी है।
दरअसल, बिहार पुलिस सेवा की नियमावली के अनुसार पुलिसकर्मियों पर चल रही किसी भी स्तर की कार्रवाई को उनके सर्विस रिकॉर्ड में दर्ज करने का प्रावधान है। बताया जा रहा है कि बीकोठी के तत्कालीन एसएचओ पर दर्ज केस का उल्लेख उसके सर्विस रिकॉर्ड में नहीं था। इस कारण उसे अब तक प्रमोशन बोर्ड की ओर से पदोन्नति दी जाती रही। पुलिस मुख्यालय अब दारोगा के सर्विस रिकॉर्ड में मर्डर केस का उल्लेख नहीं करने वालों की जांच में लगा है।