बिहार में 5 साल में क्यों नहीं खुला बर्ड फ्लू जांच लैब, 14 करोड़ रुपये का हुआ था प्रावधान
- केंद्र से लैब खोलने पर सहमति नहीं मिलने के बाद राज्य सरकार ने अपने स्तर से लैब खोलने का निर्णय लिया। पिछले साल बर्ड फ्लू जांच सहित पशु और पक्षियों की विभिन्न बीमारियों की जांच के लिए चार लैब स्थापित करने का निर्णय लिया गया था। इसके लिए लगभग 14 करोड़ राशि का भी प्रावधान किया गया।

बिहार में बर्ड फ्लू जांच के लिए अभी तक लैब नहीं खुल सकी हैं। पिछले पांच साल से बर्ड फ्लू जांच के लिए लैब खोलने के लिए सिर्फ तैयारी की जा रही है। तीसरे कृषि रोडमैप में भी लैब खोलने का लक्ष्य रखा गया था। चार साल पहले बिहार पशु विज्ञान विवि में बर्ड फ्लू जांच के लिए दो लैब खोलने का प्रस्ताव राज्य सरकार के माध्यम से केंद्र को भेजा गया था।
केंद्र से लैब खोलने पर सहमति नहीं मिलने के बाद राज्य सरकार ने अपने स्तर से लैब खोलने का निर्णय लिया। पिछले साल बर्ड फ्लू जांच सहित पशु और पक्षियों की विभिन्न बीमारियों की जांच के लिए चार लैब स्थापित करने का निर्णय लिया गया था। इसके लिए लगभग 14 करोड़ राशि का भी प्रावधान किया गया। इसके बाद भी अब तक लैब तैयार नहीं किया जा रहा है।
बिहार में बर्ड फ्लू जांच की सुविधा नहीं होने के कारण मुर्गी सहित पक्षियों ब्लड सैंपल लेकर रीजनल डिजीज डायग्नोस्टिक लैब कोलकाता और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्युरिटी एनिमल डिजीज भोपाल भेजने की मजबूरी रहती है।
कोलकाता और भोपाल को सैंपल भेजने में कम से कम दो दिन लग जाते हैं। इसके साथ ही जांच कर रिपोर्ट मिलने में न्यूनतम 4 से 7 दिन लग जाते हैं। कई बार तो यहां से सैंपल जांच के लिए भेजने के एक पखवाड़े में रिपोर्ट मिली थी। दो वर्ष पूर्व कोरोना के समय बर्ड फ्लू जांच के लिए सैंपल भेजने और रिपोर्ट आने में एक पखवाड़ा से भी अधिक समय लग गया था। ऐसे में पशु पक्षियों में बर्ड फ्लू या अन्य संक्रामक रोग का फैलाव तेजी से होने का खतरा रहता है।
बर्ड फ्लू की जांच की सुविधा बिहार में नहीं होने के कारण पशुपालकों खास कर मुर्गी पालकों को अधिक नुकसान होता है। कई बार बर्ड फ्लू की आशंका मात्र से मुर्गी व्यवसायियों को भारी नुकसान होता है।