युद्ध लड़ा तो कब्र में पहुंच जाएगा पाकिस्तान, कब तक झेल पाएगा भारत की मार? डरावनी है हकीकत
पाकिस्तान की नाजुक आर्थिक हालात और आईएमएफ पर निर्भरता इसे भारत के साथ लंबे संघर्ष के लिए असमर्थ बनाते हैं। यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान के लिए इस तनाव का आर्थिक और रणनीतिक प्रभाव कहीं अधिक गंभीर होगा।
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और ऑपरेशन सिंदूर के बाद, यह सवाल उठ रहा है कि क्या आर्थिक रूप से कमजोर पाकिस्तान भारत के साथ लंबे समय तक चलने वाले संघर्ष को वहन कर सकता है। भारत द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों पर किए गए सटीक हमलों ने पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को और अधिक नाजुक बना दिया है। यह सवाल तेजी से उठ रहा है कि क्या पाकिस्तान मौजूदा आर्थिक हालात में भारत के साथ किसी बड़े सैन्य टकराव का बोझ उठा सकता है? आइए, पाकिस्तान की हकीकत को विस्तार से समझते हैं।
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बहुत नाजुक
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की ओर से हालिया सैन्य कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान के शेयर बाजार में जोरदार गिरावट देखी गई है। कराची स्टॉक एक्सचेंज (KSE 100) में सिर्फ दो दिनों में 9% की गिरावट दर्ज की गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर पाकिस्तान ने सैन्य टकराव बढ़ाया, तो इसका सबसे बड़ा नुकसान उसकी कमजोर होती अर्थव्यवस्था को होगा।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लंबे समय से संकट में है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के बेलआउट पैकेज पर निर्भर यह देश कम विकास दर, बढ़ती महंगाई, और भारी कर्ज के बोझ से जूझ रहा है। 2023 में, पाकिस्तान ने 7 अरब डॉलर का आईएमएफ बेलआउट प्राप्त किया था, और मार्च 2024 में जलवायु परिवर्तन के लिए 1.3 अरब डॉलर का अतिरिक्त पैकेज मिला। पाकिस्तान इस वक्त IMF के 7 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज पर टिका हुआ है। दिसंबर 2024 तक पाकिस्तान का विदेशी कर्ज 131 अरब डॉलर के पार जा चुका है, जबकि उसके पास महज 10 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है, जो केवल तीन महीनों के आयात की जरूरतों को पूरा कर सकता है।
पाकिस्तान का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) लगभग 384 अरब डॉलर है, जो भारत के 4.2 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के मुकाबले बहुत कम है। इसके अलावा, उच्च रक्षा खर्च और आतंकवाद को समर्थन देने के आरोपों ने पाकिस्तान की वित्तीय स्थिति को और कमजोर किया है। मूडीज रेटिंग ने चेतावनी दी है कि भारत के साथ लंबे समय तक तनाव पाकिस्तान की विकास दर, राजकोषीय स्थिरता और समग्र अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकता है।
भारत ने भी बढ़ाए आर्थिक दबाव
भारत ने तीसरे देश के माध्यम से या डाक सेवाओं के जरिए पाकिस्तान से होने वाले हर प्रकार के आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही पाकिस्तान-रजिस्टर्ड जहाजों को भारतीय बंदरगाहों पर रोक दिया गया है, और भारतीय जहाजों को पाकिस्तान के बंदरगाहों पर प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि इस फैसले से पाकिस्तान के उन उत्पादों पर बड़ा असर होगा जो अब तक तीसरे देशों के जरिए भारत पहुंचते थे। सूत्रों के अनुसार, करीब 500 मिलियन डॉलर के सूखे मेवे और रसायन जैसे उत्पाद पाकिस्तान से तीसरे देशों के माध्यम से भारत आते हैं।
IMF फंडिंग भी संकट में
भारत अब पाकिस्तान के लिए IMF से मिलने वाले 1.3 अरब डॉलर के नए ऋण की राह में भी अड़चन डाल सकता है। 9 मई को IMF बोर्ड बैठक में पाकिस्तान के लिए जलवायु-लचीलता कार्यक्रम के तहत इस ऋण पर चर्चा होनी है। वहीं पहले से जारी 7 अरब डॉलर के पैकेज की प्रगति की भी समीक्षा की जाएगी। अगर भारत इस प्रस्तावित ऋण का विरोध करता है, तो IMF की ओर से मिलने वाले अगली किस्त पर भी असर पड़ सकता है।
खतरे में कृषि और बाहरी सहयोग
भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने का असर पाकिस्तान की कृषि पर भी पड़ सकता है, जो वहां की 40% आबादी को रोजगार देती है। इसके अलावा पाकिस्तान की चीन पर बढ़ती निर्भरता और अमेरिका एवं अन्य पश्चिमी देशों के साथ तनावपूर्ण संबंध, उसे अंतरराष्ट्रीय मदद से भी दूर कर सकते हैं।
ऑपरेशन सिंदूर और आर्थिक असर
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 नागरिक मारे गए। इसके जवाब में भारत ने 7 मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया। इस ऑपरेशन में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया। इस कार्रवाई ने पाकिस्तान के शेयर बाजार को हिलाकर रख दिया। कराची स्टॉक एक्सचेंज का केएसई-100 इंडेक्स 6% से अधिक गिर गया, जिसके कारण व्यापार को अस्थायी रूप से रोकना पड़ा। केएसई-30 इंडेक्स में भी 7% से अधिक की गिरावट देखी गई। भारत के आर्थिक उपायों ने पाकिस्तानी वित्तीय बाजारों में निवेशकों का विश्वास डगमगा दिया है। इसके परिणामस्वरूप, पाकिस्तान के शेयर बाजार में विदेशी पूंजी का बहिर्वाह बढ़ गया है, और संस्थागत निवेशकों की भागीदारी कम हो गई है।
क्या पाकिस्तान युद्ध को वहन कर सकता है?
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान के लिए भारत के साथ पूर्ण पैमाने का युद्ध आर्थिक रूप से विनाशकारी हो सकता है। एक लंबे संघर्ष के लिए पाकिस्तान को अपने रक्षा खर्च में भारी वृद्धि करनी होगी, जिसके लिए संसाधनों को स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों से हटाना पड़ेगा। युद्ध की अनुमानित लागत 100-150 मिलियन डॉलर प्रतिदिन हो सकती है, जो पाकिस्तान की वर्तमान आर्थिक स्थिति के लिए असहनीय है।
मूडीज के अनुसार, भारत के साथ बढ़ता तनाव पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव डालेगा और बाहरी वित्तपोषण तक उसकी पहुंच को सीमित करेगा। इसके विपरीत, भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था, जो दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, इस तरह के तनाव को झेलने में सक्षम है।
चीन की भूमिका और वैश्विक प्रतिक्रिया
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया में चीन की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है, क्योंकि चीन ही एकमात्र देश है जो पाकिस्तान को सार्थक समर्थन प्रदान कर सकता है। हालांकि, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि ट्रंप के नेतृत्व में वैश्विक व्यापार नीतियों और उच्च टैरिफ के दौर में, चीन ने इस बार पाकिस्तान का खुलकर समर्थन नहीं किया, क्योंकि भारतीय बाजार उसके लिए भी अधिक महत्वपूर्ण है। अमेरिका ने भी इस मामले में तटस्थ रुख अपनाया है। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा कि यह संघर्ष "मूल रूप से अमेरिका का मामला नहीं है," और उन्होंने दोनों देशों से तनाव कम करने की अपील की।
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