गर्मी, बाढ़, सूखा और आग; अगले 5 साल में टूटेंगे सभी रिकॉर्ड, UN की चौंकाने वाली रिपोर्ट
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पहले से ही विश्व भर में दिखाई दे रहे हैं। 2024 में तूफान, बाढ़, सूखा और जंगल की आग ने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया और अरबों डॉलर का आर्थिक नुकसान पहुंचाया।

संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि अगले पांच वर्षों (2025-2029) में वैश्विक तापमान में कोई राहत की उम्मीद नहीं है। बुधवार को जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अवधि के दौरान औसत वैश्विक तापमान के 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने की 70 प्रतिशत संभावना है, जो पेरिस समझौते के लक्ष्य से ऊपर है। इसके साथ ही, 80 प्रतिशत संभावना है कि अगले पांच वर्षों में से कम से कम एक वर्ष 2024 के रिकॉर्ड-तोड़ गर्म वर्ष से भी अधिक गर्म होगा। यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब दुनिया लगातार दो सबसे गर्म वर्षों (2023 और 2024) का सामना कर चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार, धरती पर तापमान ऐतिहासिक रूप से उच्च स्तर पर बने रहने की संभावना है।
10 सबसे गर्म साल अब तक के रिकॉर्ड में दर्ज
WMO की उप महासचिव को बैरेट ने कहा, "हमने अभी-अभी रिकॉर्ड के 10 सबसे गर्म वर्षों का अनुभव किया है। दुर्भाग्य से, इस रिपोर्ट में आने वाले वर्षों में किसी राहत का संकेत नहीं है। इसका अर्थ है कि हमारी अर्थव्यवस्थाओं, हमारे दैनिक जीवन, हमारी पारिस्थितिकी प्रणालियों और पूरे ग्रह पर इसका नकारात्मक प्रभाव बढ़ेगा।"
पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्य खतरे में
2015 के पेरिस जलवायु समझौते के तहत वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे, और यदि संभव हो तो 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने का लक्ष्य रखा गया था। यह तुलना 1850-1900 के औसत तापमान से की जाती है, जब इंसानों ने कोयला, तेल और गैस का औद्योगिक पैमाने पर इस्तेमाल शुरू किया। लेकिन अब वैज्ञानिकों का मानना है कि 1.5 डिग्री सेल्सियस का लक्ष्य "लगभग असंभव" हो गया है क्योंकि कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का उत्सर्जन अभी भी तेजी से बढ़ रहा है।
2025-2029 में तापमान 1.2C से 1.9C के बीच
WMO की नई भविष्यवाणियां ब्रिटेन के मौसम विभाग द्वारा तैयार की गई हैं, जो दुनियाभर के कई मौसम केंद्रों के डेटा पर आधारित हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 2025 से 2029 के बीच हर साल का औसत तापमान 1.2 से 1.9 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है। मयूनोथ यूनिवर्सिटी के जलवायु विश्लेषण विशेषज्ञ पीटर थॉर्न ने कहा, "यह अनुमान इस बात के बेहद करीब है कि हम 2020 के अंत या 2030 की शुरुआत तक 1.5 डिग्री सेल्सियस की दीर्घकालिक सीमा पार कर लेंगे। दो से तीन वर्षों में यह संभावना 100 प्रतिशत हो सकती है।" WMO का यह भी कहना है कि 2025 से 2029 के बीच एक साल ऐसा होगा जो अब तक के सबसे गर्म वर्ष 2024 से भी ज्यादा गर्म होगा। इसकी 80 प्रतिशत संभावना है।
दीर्घकालिक तापमान औसत: 1.44C
WMO के जलवायु सेवा निदेशक क्रिस्टोफर ह्युइट ने बताया कि दीर्घकालिक तापमान वृद्धि का आकलन कई तरीकों से किया जाता है, जिनमें पिछले 10 वर्षों के डेटा और अगले दशक की भविष्यवाणियां शामिल होती हैं। इसके अनुसार, 2015-2034 की 20 वर्षीय औसत वृद्धि 1.44 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है।
2 डिग्री तक भी पहुंचने की चेतावनी
हालांकि इसकी संभावना फिलहाल एक प्रतिशत ही है, लेकिन पहली बार भविष्यवाणियों में अगले पांच वर्षों में किसी एक साल में 2 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान होने की आशंका देखी गई है। मौसम विभाग के एडम स्काइफ ने कहा, "यह चौंकाने वाला है। यह पहली बार है जब हमने अपने कंप्यूटर मॉडल में ऐसा परिणाम देखा है।"
हर अंश के साथ बढ़ रहा है खतरा
हर अतिरिक्त तापमान वृद्धि का अर्थ है और भी अधिक हीटवेव, मूसलधार बारिश, सूखा और ध्रुवीय क्षेत्रों की बर्फ पिघलना। इस वर्ष भी जलवायु कोई राहत नहीं दे रही है। पिछले सप्ताह चीन के कुछ हिस्सों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया, संयुक्त अरब अमीरात में 52 डिग्री तक पहुंच गया और पाकिस्तान में एक घातक लू के बाद तेज हवाएं चलीं। इंपीरियल कॉलेज लंदन की जलवायु विज्ञानी फ्रेडरिक ओटो ने कहा, "हम पहले ही खतरनाक स्तर की गर्मी तक पहुंच चुके हैं। ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, अल्जीरिया, भारत, चीन और घाना में बाढ़, कनाडा में जंगलों में आग- ये सभी इसके संकेत हैं। 2025 में तेल, गैस और कोयले पर निर्भर रहना अब पूरी तरह से पागलपन है।"
आर्कटिक क्षेत्र तेजी से गर्म हो रहा है
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले पांच वर्षों में आर्कटिक क्षेत्र वैश्विक औसत से कहीं अधिक तेजी से गर्म होगा। मार्च 2025-2029 के लिए समुद्री बर्फ की भविष्यवाणियों से संकेत मिलता है कि बारेंट्स सागर, बेरिंग सागर और ओखोटस्क सागर में बर्फ की मात्रा में और कमी आ सकती है। भविष्यवाणियों के अनुसार, दक्षिण एशिया में अगले पांच वर्षों में सामान्य से अधिक बारिश होगी। इसके अलावा, साहेल क्षेत्र, उत्तरी यूरोप, अलास्का और उत्तरी साइबेरिया में भी सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है, जबकि अमेजन क्षेत्र में सूखा पड़ सकता है।
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