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अब अमेरिका-चीन के बीच छिड़ा एक और गुप्त युद्ध, क्या है ये 'शिप वॉर'; जिसमें ड्रैगन ने US को पछाड़ा

चीन के सबसे बड़े शिपयार्ड चाइना स्टेट शिपबिल्डिंग कॉरपोरेशन ने 2024 तक टन भार के हिसाब से उतने कॉमर्शियल जहाज बना लिए हैं, जितने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से आजतक अमेरिका ने नहीं बनाए हैं।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 20 March 2025 03:47 PM
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अब अमेरिका-चीन के बीच छिड़ा एक और गुप्त युद्ध, क्या है ये 'शिप वॉर'; जिसमें ड्रैगन ने US को पछाड़ा

दुनिया की दो आर्थिक महाशक्तियां अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक प्रतिद्वंद्विता कोई नई बात नहीं है लेकिन इस साल जनवरी में जब से डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर दूसरा कार्यकाल संभाला है, तब से दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध गहरा गया है। दोनों देश एक दूसरे पर टैरिफ को लेकर वार-पलटवार कर रहे हैं। पहले ट्रम्प ने 1 फरवरी को चीन पर 10 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाने का ऐलान किया। इसके एक महीने बाद ट्रम्प ने चीन पर लगाए गए 10% टैरिफ को बढ़ाकर 20% कर दिया। इस पर पलटवार करते हुए चीन ने अमेरिका से आने वाले LNG पर 15 और बाकी कई सामानों पर 10 फीसदी का कर लगा दिया। टैरिफ वॉर के बीच चीन ने चेतावनी दी है कि ट्रंप की टैरिफ टैक्टिस अमेरिकी अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचाने वाला साबित हो सकता है।

क्या है 'शिप वॉर'

अब चीन ने अमेरिका के खिलाफ एक और गुप्त युद्ध छेड़ दिया है। इसे 'शिप वॉर' कहा जा रहा है। इसका तात्पर्य जहाजों और युद्धपोतों के निर्माण में प्रतिद्वंद्विता से है। दरअसल, चीन ने शिप यानी युद्धपोतों के निर्माण में अब अमेरिका को पछाड़ दिया है। चीन के सरकारी स्वामित्व वाले सबसे बड़े शिपयार्ड चाइना स्टेट शिपबिल्डिंग कॉरपोरेशन ने 2024 तक टन भार के हिसाब से उतने कॉमर्शियल जहाज बना लिए हैं, जितने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से आजतक अमेरिका ने नहीं बनाए हैं। यानी चीन ने जहाज निर्माण में अमेरिका को पछाड़ दिया है। साल 2024 में कॉमर्शियल जहाजों के निर्माण में वैश्विक योगदान में अमेरिकी हिस्सेदारी घटकर अब सिर्फ 0.11 फीसदी रह गई है।

अमेरिका से 9 गुना आगे चीन

यूरेशियन टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका में केवल चार ही पब्लिक शिपयार्ड फंक्शन कर रहे हैं, जबकि चीन में करीब नौ गुना ज्यादा यानी 35 शिपयार्ड सक्रिय हैं, जो उनकी उत्पादन दक्षता को लगातार बढ़ाते जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने जहाज उत्पादन के लिए ऐसी नीतियां लागू की हैं जो अमेरिका और उसके सहायक देशों के जहाज निर्माण उद्योग के लिए हानिकारक साबित हुई हैं। इस नीति की वजह से जापान और दक्षिण कोरिया को भी भारी घाटा उठाना पड़ा है, जो कभी जहाज निर्माण में विश्व बाजार में दबदबा रखते थे लेकिन अब ये दोनों देश चीन के साथ जहाज निर्माण क्षेत्र में तालमेल बिठाने की कोशिशें कर रहे हैं।

अमेरिका से कितना ज्यादा युद्धपोत चीन के पास

'फॉरेन अफेयर्स' मैग्जीन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दो दशक पहले तक अमेरिकी नौसेना के पास चीनी नौसेना के 220 युद्धपोतों के मुकाबले 282 युद्धबल जहाज थे, लेकिन 2010 के मध्य तक अमेरिकी बढ़त गायब हो गई और चीन आगे निकल गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि आज के समय न केवल चीनी नौसेना सबसे बड़ी नौसेना है बल्कि उसके बेड़े में 370 से ज्यादा युद्धपोत और पनडुब्बियों समेत कुल 400 जहाज हैं, जबकि अमेरिकी नौसेना के पास सिर्फ 295 युद्धक जहाज हैं। हालांकि, अभी भी अमेरिकी नौसेना को गाइडेड मिसाइल क्रूजर और विध्वंसक युद्धपोतों के मामले में बढ़त हासिल है। इसके साथ ही उसके पास 11 विमानवाहक युद्धपोत हैं, जो उसे सबसे ताकतवर बनाता है। इसका टन भार चीन से ज्यादा है।

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सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) ने अपनी हालिया रिपोर्ट 'शिप वॉर' में कहा है कि 20230 तक चीन के पास 425 जहाजों के एक मजबूत बेड़ा होगा, जबकि अमेरिकी नौसेना के पास 300 जहाज ही होंगे। CSIS ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीनी नौसेना के पास 2024 तक 234 युद्धपोत हैं जबकि अमेरिकी नेवी के पास 219 युद्धपोत हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने हाल के दशकों में अपनी समुद्री ताकत में इजाफा किया है,इसी का परिणाम है कि उसके जहाज निर्माण क्षेत्र में तेजी आई है और उसने अमेरिका को भी इसमें पछाड़ दिया है।

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