नपा-तुला चीन और सऊदी अरब भी... जब से भारत ने खोली पोल, पाकिस्तान के पुराने दोस्त हो रहे दूर
पहलगाम हमले के बाद जब से पाकिस्तान की दुनिया के सामने आतंकवाद को लेकर पोल खुली है। आज वो न सिर्फ अपनी विश्वसनीयता खो रहा है, बल्कि दोस्त भी। चीन नपा-तुला बयान दे रहा है तो सऊदी अरब आतंकवाद की कड़ी निंदा कर चुका है।

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत ने जब से आतंक समर्थित देश पाकिस्तान की दुनिया के सामने पोल खोली है। उसकी मुश्किल बढ़ गई है। युद्ध का साया पहले ही उस पर मंडरा रहा है और आर्थिक तंगी झेल रहे पाकिस्तान की और खटिया खड़ी होने वाली है। पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर जिस तरह से कड़ी प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ रहा है, वह हैरान करने वाला है। कभी जिन देशों को पाकिस्तान अपना अटूट मित्र मानता था—जैसे सऊदी अरब और चीन, वे अब संतुलित बयान देकर खुद को अलग कर रहे हैं। सऊदी अरब आतंकी हमले की कड़ी निंदा कर चुका है, जबकि चीन ने अब तक खुले समर्थन से परहेज किया है। ऐसे में पाकिस्तान की वैश्विक साख और पुराने रिश्ते दोनों ही डगमगाते नजर आ रहे हैं।
सऊदी अरब ने हमले की कड़ी निंदा की
खाड़ी देशों में सबसे ताकतवर मुल्क सऊदी अरब और यूएई ने हमले की "कड़ी निंदा" की है, वह भी तब जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसी समय सऊदी दौरे पर थे। सऊदी अरब और भारत की साझा प्रेस विज्ञप्ति में पहली बार आतंकवाद और नागरिकों को निशाना बनाए जाने के खिलाफ इतनी स्पष्ट भाषा का उपयोग किया गया।
नपा-तुला चीन
वहीं पाकिस्तान के पुराने और भरोसेमंद सहयोगी चीन ने भी इस बार संतुलित रुख अपनाया है। चीन ने न तो पाकिस्तान का खुला समर्थन किया और न ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद कोई प्रेस बयान जारी किया। उल्टा, उसने सभी पक्षों से संयम बरतने और निष्पक्ष जांच की बात कही।
यूएनएससी में पाकिस्तान को फटकार
पाकिस्तान ने यूएनएससी को भारत संग उसके तनाव को लेकर हल निकालने के लिए चर्चा की मांग की गई थी। यूरोप में बैठक भी हुई, लेकिन यह दाव भी पाकिस्तान पर ही भारी पड़ गया। यूएनएससी ने पाकिस्तान के उस दावे को खारिज कर दिया कि यह हमला भारत ने ही करवाया था। यूएन ने पाकिस्तान से यह जवाब मांगा है कि क्या इसमें लश्कर का हाथ था? यूएनएससी की बंद कमरे में हुई चर्चा में पाकिस्तान की "फॉल्स फ्लैग" और परमाणु चेतावनी जैसी बयानबाज़ी को कई सदस्यों ने नकार दिया। इससे पाकिस्तान और भी ज्यादा अलग-थलग पड़ता नजर आ रहा है।
भारत-पाक रिश्तों की यह कड़ी तनावपूर्ण स्थिति कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार जो बदला है, वह है वैश्विक प्रतिक्रिया। 2008 के मुंबई हमलों के समय जहां पाकिस्तान के लिए "गैर-राज्य तत्वों" जैसे शब्दों का प्रयोग होता था, वहीं आज सीधे-सीधे "आतंकवाद" कहा जा रहा है।
अफगानिस्तान भी पाकिस्तान से परेशान
यहां तक कि अफगानिस्तान ने भी पहलगाम हमले की निंदा करते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं क्षेत्रीय स्थिरता को कमजोर करती हैं, जबकि अतीत में तालिबान और हक्कानी नेटवर्क को पाकिस्तान का समर्थन मिलता रहा है। वहीं, तुर्की अब भी पाकिस्तान के साथ खड़ा नजर आता है। हमले के ठीक बाद तुर्की का युद्धपोत कराची पहुंचा और पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अंकारा में राष्ट्रपति एर्दोआन से मिलकर कश्मीर मुद्दे पर समर्थन मांगा।
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