Rampant Mismanagement at Ayodhya Transport Depot Commuters Face Daily Struggles बोले अयोध्या:रोडवेज की मेहरबानी पर भारी चालकों की मनमानी, Ayodhya Hindi News - Hindustan
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बोले अयोध्या:रोडवेज की मेहरबानी पर भारी चालकों की मनमानी

Ayodhya News - रोडवेज की मेहरबानी पर भारी चालकों की मनमानी अयोध्या। परिवहन निगम अयोध्या डिपो की

Newswrap हिन्दुस्तान, अयोध्याTue, 6 May 2025 04:41 PM
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बोले अयोध्या:रोडवेज की मेहरबानी पर भारी चालकों की मनमानी

रोडवेज की मेहरबानी पर भारी चालकों की मनमानी अयोध्या। परिवहन निगम अयोध्या डिपो की कुल 143 बसें विभिन्न मार्गों पर यात्रियों को सुगम सफर कराने के लिए सड़कों पर फर्राटा भर रही हैं। बस स्टेशन से अयोध्या डिपो की बस यात्रियों के अलावा अन्य डिपो की बसों से लगभग 20 हजार यात्री प्रतिदिन सफर तय करते हैं। परिवहन निगम अयोध्या डिपो सहित अन्य डिपो के बस चालकों की मनमानी राहगीरों पर भारी पड़ रही है। सिविल लाइन स्थित बस स्टेशन के सामने रामपथ पर रोडवेज बसों का दिनभर जमावड़ा होने से जाम के अलावा हादसे की आशंका बनी रहती है। सड़क पर अनाधिकृत तरीके से घंटों खड़ी रोडवेज बसों पर कार्रवाई के लिए कोई हाथ नहीं उठ रहा है और राहगीरों की समस्याएं जस की तस लंबे समय से बरकरार है।

इसके अलावा अन्य डिपो की बसें बस स्टेशन तक न आकर हाइवे से शहर के बाहर से ही गंतव्य को चनली जाती हे। इसलिए यात्रियों को जेबें ढीली करके अन्य सवारी पकड़कर ठौर तक जाना मजबूरी होती है। परिवहन निगम अयोध्या डिपो के अलावा दिल्ली, आगरा, कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज, गोरखपुर, बहराइच व अन्य जिले के लिए संचालित बसों के चालकों की मनमानी पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। रोडवेज की अधिकांश बसें अयोध्या डिपो परिसर के बाहर मुख्य मार्ग पर घंटों खड़ी करके चालक सवारियां भरते हैं। बसों के सड़क पर सवारियां भरने से दिनभर जाम की स्थिति बनी रहती है और मार्गों पर संचालित अन्य वाहनों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा मार्ग पर कब्जा जमाने वाली बसें हादसे का भी सबब बनी रहती हैं। बस स्टेशन के बाहर सवारियां न भरने के लिए परिवहन विभाग के उच्चाधिकारियों का कार्रवाई का फरमान जारी है, लेकिन यहीं पर यातायात पुलिस और रोडवेज के अफसर भी होते हैं पर कार्रवाई के लिए किसी का हाथ नहीं उठ रहा है। यातायात पुलिस के सामने ही घंटों बसें खड़ी रहती हैं। बगल ही पुलिस चौकी है, लेकिन कार्रवाई के लिए मूकदर्शक बने रहते हैं। बस स्टेशन पर रोडवेज के चालक- परिचालक व अन्य कर्मियों का अपना एक भवन नहीं है। रेस्ट रूम न होने से चालक-परिचालकों को डयूटी करने के बाद भी बसों की सीटें ही आराम का ठिकाना होती हैं। ठहरने के लिए कोई इंतजाम नहीं हैं। अयोध्या सहित विभिन्न डिपो के कर्मचारियों को होटल और बस में भोजन के बाद सोने को मजबूर होना पड़ता है। गर्मी का मौसम शुरू हो गया है, लेकिन एक वातानुकूलित प्रतीक्षालय नहीं है। अधिकतर बसें सड़कों पर खड़ी करके यात्रियों को बैठाते हैं और गर्मी, बरसात या ठंड के मौसम में खुले आसमान के नीचे खड़े होकर बसों का इंतजार करना पड़ता है, क्योंकि कोई यात्री शेड नहीं हैं। वेटिग हाल में पंखे तो लगे हैं, लेकिन सभी चालू हालत में नही हैं। कैंटीन या फूड स्टॉल न होने से यात्रियों और कर्मचारियों को बस स्टेशन के बाहर सजी दुकानों का सहारा लेना पड़ता है। दुकानों पर खाद्य पदार्थ की उपलब्धता की गारंटी है, लेकिन शुद्वता की कोई गारंटी नहीं होती है। यात्री खाद्य सामग्री दुकानों से अधिक दामों पर खरीदकार उपयोग करने को मजबूर हैं। यात्रियों को बसों के आवागमन के शेडयूल की जानकारी के लिए काउंटर तक भटकना पड़ता है। साफ- सफाई का आलम यह है कि महज एक दैनिक कर्मचारी के कंधे पर पूरे परिसर की जिम्मेदारी है। लंबे समय से सफाई के ठेके के लिए निविदा होना बताया जा रहा है, लेकिन रेट होने से कोई ठेकेदार सफाई का ठेका लेने को राजी नहीं हो रहा है। इसलिए परिसर में जगह- जगह सफाई का अभाव है। शौचालय की समस्या से जूझ रहे मुसाफिर : परिवहन निगम अयोध्या डिपो परिसर में शौचालय की समस्या से मुसाफिर जूझ रहे हैं। बस स्टेशन पर वर्तमान में यात्रियों लिए एक भी शौचालय नहीं है। एक शौचालय था जो निर्माणाधीन है। इसलिए यात्रियों को शौचालय के लिए काफी दुश्वारियों को सामना करना पड़ता है। यात्रियों को मजबूरी में बस स्टेशन के सामने नगर निगम के सुलभ काम्प्लेक्स का सहारा लेना पड़ता है और साथ की जेबें ढीली करनी पड़ती है। जबकि महिला यात्रियों के लिए परिसर में यूरिनल तक की सुविधा नहीं है। यात्रियों को चालक और परिचालक सुलभ काम्प्लेक्स में जाने की सलाह दी जाती है। रुदौली में बसों का संचालन ठप, परेशान:रुदौली नगर और आसपास के गांवों की दो लाख से अधिक आबादी के लिए परिवहन निगम की एक भी बस संचालित नहीं हो रही है। नगर पालिका परिसीमन में आसपास के 25 गांवों को भी शामिल कर दिया गया है, जिससे नगर पालिका की जनसंख्या लगभग दो लाख पहुंच गई है। रुदौली शहर व आसपास बस अड्डा तो दूर बस स्टॉप भी नहीं है। यात्रियों की माने तो रोडवेज बसों का सफर हमेशा सुरक्षित और सुहाना रहा है। प्राइवेट बस,जीप और टैक्सी के बजाय लोग अब भी रोडवेज बस में सफर करने को प्राथमिकता देते हैं। प्राइवेट वाहनों में सीट पर बैठने के बजाय रोडवेज बस में खड़ा होकर सफर करना पड़े,तब भी लोग बस में ही जाना पसंद करते हैं। लगभग दो दशक पूर्व रुदौली नगर से कई रोडवेज बसों का संचालन हो रहा था लेकिन लगातार बसों संख्या कम होती गई हालत ये है कि यहां से अब एक भी सरकारी बस का संचालन नहीं हो रहा है। यहां के लोगों का सफर करना मुश्किल हो रहा है। रुदौली से प्रतिदिन लखनऊ, बाराबंकी, फैज़ाबाद, अयोध्या एवं कानपुर जाने वाले श्रद्धालुओं, व्यापारियें, शिक्षकों व अस्पताल जाने वाले लोगों की संख्या हजारों में हैं। फिर भी रुदौली में सरकारी बसों का कोई इंतजाम नहीं है। रुदौली विधायक रामचंद्र यादव के प्रयास से दो बसों का संचालन शुरु हुआ जो ज्यादा दिन चल सका। कुछ माह बाद परिवहन निगम की बसें बंद हो गई। रुदौली शहरवासियों को 5 किलो मीटर दूर राष्ट्रीय मार्ग पर भेलसर से बस पकड़ना पड़ता है: राष्ट्रीय मार्ग पर बसों के ठहराव का स्थान तय न होने से रूदौली के यात्रियों को बस पकड़ने के लिए 5 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय मार्ग पर भेलसर से बस पकड़ना पड़ता है। बस पकड़ने के लिए यात्रियों को सड़क पर इधर से उधर भागना पड़ता है। राष्ट्रीय राजमार्ग किनारे बसे गांव भी अब कस्बे का रूप लेते जा रहे हैं। मार्केट भी बढ़ती जा रही है। लोगों का आवागमन भी बढ़ रहा है। यात्री सड़क किनारे खड़े होकर वाहनों का इंतजार करते हैं। कई बार तो बस आती है और यात्री बसों को रोकने का इशारा करते रहते है पर बस तेजी से बिना रुके निकल जाती है। यात्री दूसरी बस आने का इंतजार करते रहते हैं। अक्सर बसें सड़क पर कभी आगे रुकती है तो कभी पीछे और सवारियों को उतार कर चली जाती हैं। कुछ यही हाल बीकापुर,मिल्कीपुर क्षेत्र मे भी है जहां बस के इंतजार मे लोग राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे रोडवेज बसों के इंतजार मे खड़े रहते हैं। लोगों के इसारे पर चालक बस रोक कर बिठा लेते हैं और कभी बिना बिठाए ही चले जाते हैं मजबूरी मे लोगों को गंतव्य तक पहुंचने के लिए निजी बसों का सहारा लेना पड़ता है। बोले जिम्मेदार: अयोध्या डिपो के एआरएम आदित्य प्रकाश का इस बारे में कहना है कि बस स्टेशन परिसर से बाहर सवारी न भरने के निर्देश दिए गए हैं। निर्दश जारी किया गया है कि कोई सवारी भरते मिलेगा तो चालक के वेतन से कटौती की जाएगी। जो बसें बाहर सवारी भरती होंगी वे अन्य डिपो की बसें रहती हैं जो यात्रियों को उतारकर या भरकर चली जाती हैं। अयोध्या डिपो परिसर में यात्रियों के लिए जो सुविधाएं नहीं होती है उन्हें स्थानीय स्तर से उपलब्ध कराया जाता है। बड़े प्रोजेक्ट के बारे में मुख्यालय को प्रस्ताव भेजा जाता है। बस स्टेशन का जीर्णोद्वार प्रस्तावित है।

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