Let him go to jail We will not let go without punishment next CJI got very angry Over Deputy Collector आप होंगे सरकार के करीब; हम तो ऐसे नहीं छोड़ेंगे, सजा देकर रहेंगे; DC पर बुरी तरह भड़के अगले CJI, India Hindi News - Hindustan
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आप होंगे सरकार के करीब; हम तो ऐसे नहीं छोड़ेंगे, सजा देकर रहेंगे; DC पर बुरी तरह भड़के अगले CJI

जस्टिस बीआर गवई 14 मई को देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ लेने जा रहे हैं। उनसे पहले के सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना 13 मई को रिटायर हो रहे हैं। जस्टिस गवई ने मौजूदा केस में डीसी पर सख्त ऐक्शन लेकर कई संदेश दिए हैं।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 6 May 2025 05:12 PM
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आप होंगे सरकार के करीब; हम तो ऐसे नहीं छोड़ेंगे, सजा देकर रहेंगे; DC पर बुरी तरह भड़के अगले CJI

देश के अगले मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई को आज (मंगलवार को) एक याचिकाकर्ता पर बुरी तरह भड़कते हुए देखा गया। इस दौरान उन्होंने याचिकाकर्ता से कहा कि आज आप अपने छोटे-छोटे बच्चों की दुहाई दे रहे हैं लेकिन जिनका घर आपने उजाड़ा, उनके भी तो बच्चे थे। दरअसल, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की पीठ आंध्र प्रदेश के एक डिप्टी कलेक्टर(DC) की उस अर्जी पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अधिकारी ने हाई कोर्ट द्वारा अवमानना के मामले में दी गई सजा के खिलाफ अपील की थी।

आरोपी अधिकारी ने तहसीलदार के पद पर रहते हुए हाई कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना की थी और गुंटूर जिले में गरीबों की झुग्गी-झोपड़ियों पर बुलडोजर चलवा दिया था। इस हरकत से नाराज आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने उस अधिकारी को अवमानना का दोषी करार देते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई है। अधिकारी ने उस सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था कि उसे यहां से राहत मिलेगी लेकिन हुआ ठीक उलटा।

पदावनत करने पर डीसी ने जताया विरोध

सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारी की हरकत और रवैये पर नाराजगी जताते हुए उसे पदावनत करने की बात कही तो याचिकाकर्ता ने उसका विरोध किया और कहा कि वह न्यायालय की अवमानना ​​के लिए सजा के रूप में पदावनत को स्वीकार नहीं करेंगे। इस पर पीठ ने एक दिन पहले भी याचिकाकर्ता के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता देवाशीष भारुका से पूछा था कि वह अपने मुवक्किल से निर्देश प्राप्त करें कि क्या उसे पदावनत की सजा मंजूर है और वचन देने के लिए तैयार हैं? शीर्ष न्यायालय ने डिप्टी कलेक्टर को पदावनत कर फिर से तहसीलदार बनाने की बात कही थी, जबकि याचिकाकर्ता शीर्ष अदालत से बेदाग छूटने की उम्मीद कर रहा था।

आज, (मंगलवार को) जब फिर से इस मामले की सुनवाई शुरू हुई तो वरिष्ठ अधिवक्ता ने पीठ को याचिकाकर्ता की अनिच्छा से अवगत कराया कि वह पदावनत की सजा के लिए तैयार नहीं है। याचिकाकर्ता आज खुद अदालत में सशरीर मौजूद था। उसने अदालत से दया की भीख मांगी और अपने बच्चों का हवाला दिया। इस पर पीठ नाराज हो गई। जस्टिस गवई ने कहा कि यह याचिकाकर्ता के बच्चों और उसके भविष्य को ध्यान में रखते हुए उसके प्रति नरमी बरती जा रही है। लेकिन उनकी जिद इस बात को बयां करती है कि हाईकोर्ट के आदेशों के प्रति उनका क्या रवैया रहा होगा।

जब गरीबों के घर गिरा रहे थे, तब भगवान की याद नहीं आई

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस गवई ने टिप्पणी की, "हम उनका करियर बचाना चाहते थे। लेकिन अगर वह नहीं चाहते, तो हम कुछ नहीं कर सकते। इससे पता चलता है कि हाईकोर्ट के आदेशों के प्रति उनका क्या रवैया रहा होगा।" जब याचिकाकर्ता ने फिर दया की प्रार्थना की, तो जस्टिस गवई ने कहा, "जब 80 पुलिस वाले लेकर गरीबों के घर गिरा रहे थे, तब भगवान की याद नहीं आई आपको?" जस्टिस गवई ने आगे कहा, “आपके बच्चों के बारे में सोचते हुए, हम आपको जेल जाने से बचाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन अगर आप जाना चाहते हैं, तो जाइए… 2 महीने तक वहीं रहिए। आपकी नौकरी भी चली जाएगी। हाईकोर्ट की चेतावनी के बाद, अगर कोई इस तरह की हरकत करता है...चाहे वह कितना भी बड़ा क्यों न हो, वह कानून से ऊपर नहीं है। हम अपने हाईकोर्ट के आदेशों की इस तरह अवमानना ​​नहीं होने देंगे। हम इसे सजा दिए बिना नहीं छोड़ेंगे।”

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ऐसे तो नहीं छोड़ेंगे, सजा देकर रहेंगे

हालांकि, कोर्ट ने आज भी भरुका को याचिकाकर्ता को समझाने के लिए 10 मिनट का समय दिया। इसके बाद जस्टिस गवई ने कहा, "अगर वह अड़े हुए हैं, तो हम मदद नहीं कर सकते। हम नहीं चाहते...उनका रवैया बिल्कुल साफ है।" जब याचिकाकर्ता अड़े रहे, तो कोर्ट ने याचिका खारिज करने की इच्छा जताई। भड़के कोर्ट ने कहा, "हम उनके खिलाफ ऐसी सख्त टिप्पणियां करेंगे कि कोई भी नियोक्ता उन्हें काम पर रखने की हिम्मत नहीं करेगा। वे प्रोटोकॉल के निदेशक हैं। उन्हें लगता होगा कि वे सरकार के करीब हैं...हम कभी इतने सख्त नहीं होते, लेकिन यहां हम उनकी बातों को समझ सकते हैं। उनकी जिद बहुत कुछ बयां करती है। अगर वे जिद पर अड़े रहे, तो हम न केवल उन्हें बर्खास्त करेंगे, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें फिर से बहाल न किया जाए। हम इससे ज्यादा नरम नहीं हो सकते।" जस्टिस गवई ने कहा, "ऐसे तो नहीं छोड़ेंगे। सजा तो देकर ही रहेंगे। उसे जेल जाना ही पड़ेगा।"