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नुकसान हो रहा है... मदद मांगिए; भारत की सख्ती से बांग्लादेशी निर्यातकों में हड़कंप, बनाने लगे यूनुस सरकार पर दबाव

भारत ने बांग्लादेश के रेडीमेड गारमेंट्स के लिए अपने सभी स्थलीय बॉर्डर बंद कर दिए हैं, जिससे बांग्लादेशी निर्यातकों में हड़कंप मच गया है। उन्होंने तुरंत यूनुस सरकार से भारत से राहत की मांग करने के लिए खत लिखा है।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानFri, 23 May 2025 06:10 PM
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नुकसान हो रहा है... मदद मांगिए; भारत की सख्ती से बांग्लादेशी निर्यातकों में हड़कंप, बनाने लगे यूनुस सरकार पर दबाव

भारत सरकार के ताजा फैसले ने बांग्लादेश के रेडीमेड गारमेंट्स उद्योग की चिंता बढ़ा दी है। नई दिल्ली ने साफ कर दिया है कि अब से बांग्लादेशी रेडीमेड पोशाकें किसी भी स्थल मार्ग यानी लैंड पोर्ट्स से भारत में प्रवेश नहीं कर सकेंगी। सिर्फ मुंबई और कोलकाता के समुद्री बंदरगाहों के जरिए ही इन वस्त्रों का आयात संभव होगा। इस फैसले से बांग्लादेशी गारमेंट उद्योग को बड़ा झटका लगा है।

भारत के ऐक्शन से बांग्लादेश में हड़कंप

इस निर्णय के विरोध में बांग्लादेश के रेडीमेड पोशाक निर्माताओं की संस्था बीकेएमईए (बांग्लादेश निटवेयर मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स असोसिएशन) ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से भारत से बातचीत करने की मांग की है। बीकेएमईए के अध्यक्ष मोहम्मद हातेम ने यूनुस सरकार के वाणिज्य मंत्रालय को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि भारत सरकार से तीन महीने के लिए इस रोक को स्थगित करने का आग्रह किया जाए।

बांग्लादेशी निर्यातकों को हो रहा घाटा

बीकेएमईए के मुताबिक, भारत के इस फैसले से सीमावर्ती व्यापार पर सीधा असर पड़ा है। हजारों करोड़ रुपये का सामान सीमा पर अटक गया है और कई कारखानों में उत्पादन बंद हो गया है। बताया गया कि बांग्लादेश के लगभग 80% रेडीमेड गारमेंट्स बेंनापोल लैंड पोर्ट के जरिए भारत पहुंचते हैं। पिछले 10 महीनों में बांग्लादेश से भारत को करीब 12,000 करोड़ रुपये के वस्त्रों का निर्यात हुआ है। बीकेएमईए ने यह भी मांग की है कि भारत सरकार कम से कम फिलहाल प्रॉसेसिंग में लगे हुए माल को इस प्रतिबंध से बाहर रखे, ताकि उद्योगों को और नुकसान न उठाना पड़े।

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भारत सरकार की तरफ से पिछले शनिवार को एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा गया कि रेडीमेड कपड़ों के अलावा फल-फूल, चिप्स, कोल्ड ड्रिंक्स, प्लास्टिक उत्पाद और फर्नीचर जैसे कई उत्पाद भी असम, त्रिपुरा, मिजोरम और पश्चिम बंगाल के स्थलीय बंदरगाहों से भारत में प्रवेश नहीं कर पाएंगे। बांग्लादेशी पक्ष ने इसे भारत-बांग्लादेश द्विपक्षीय व्यापार पर गंभीर असर डालने वाला कदम बताया है और इसके पीछे कूटनीतिक बातचीत की जरूरत जताई है।

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