बॉर्डर पर मुश्किल में लोग, 144 करोड़ बांटे लेकिन समाधान नहीं मिला; बोले CM उमर अब्दुल्ला
- सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा कि सीमा पर रह रहे लोगों की मुश्किलें कम करने के लिए 144 करोड़ बांटे जा चुके हैं, लेकिन अभी तक समाधान नहीं निकला। उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द इसका हल निकाला जाएगा।

जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोग कई तरह की कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को इस समस्या को स्वीकार करते हुए कहा कि सरकार जल्द ही समाधान निकालेगी। उन्होंने घोषणा की कि अप्रैल में सभी सीमावर्ती विधायकों के साथ बैठक आयोजित की जाएगी ताकि उनकी समस्याओं को समझकर उचित कदम उठाए जा सकें।
सीमा सुरक्षा के लिए फेंसिंग
केंद्र सरकार ने 200 किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा और 744 किमी लंबी नियंत्रण रेखा (LoC) पर एंटी-इंफिल्ट्रेशन बाधा प्रणाली स्थापित की है, ताकि घुसपैठ को रोका जा सके। हालांकि, इस बाड़बंदी के कारण सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों को कृषि, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं की कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
मुआवजे में देरी, सीएम ने दिया आश्वासन
सीएम उमर अब्दुल्ला ने बताया कि सरकार ने सीमा बाड़ के लिए अधिग्रहित भूमि के बदले 155.08 करोड़ रुपये का मुआवजा आवंटित किया था, जिसमें से 144.12 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं। शेष राशि अभी टाइटल वेरिफिकेशन के कारण अटकी हुई है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जल्द ही शेष 11 करोड़ रुपये भी वितरित किए जाएंगे और सरकार इस प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने के निर्देश देगी।
बीएसएफ ने 113 गांवों में अधिग्रहित की 13,415 कनाल भूमि
राजस्व मंत्री सकीना इत्तो ने जानकारी दी कि जम्मू, सांबा और कठुआ जिलों के 113 गांवों में बीएसएफ ने 13,415 कनाल भूमि अधिग्रहित की है। यहां 135 फीट चौड़ी सीमा सुरक्षा बाड़ बनाई गई है, जिससे स्थानीय लोगों की कृषि भूमि प्रभावित हुई है।
विधायकों में बहस
बीजेपी विधायक विजय कुमार, सुरजीत सिंह सलाथिया, देविंदर कुमार मन्याल और बलवंत सिंह मनकोटिया ने भूमि मुआवजा, खेती के अधिकार और सीमावर्ती गांवों की दयनीय स्थिति पर चिंता जताई। वहीं, सीपीआई (एम) विधायक एमवाई तारिगामी और बलवंत मनकोटिया के बीच तीखी बहस भी हुई। मनकोटिया ने सवाल उठाया कि कुलगाम क्षेत्र से होने के बावजूद तारिगामी को सीमावर्ती क्षेत्रों पर सवाल उठाने का अधिकार नहीं है। इस पर तारिगामी ने जवाब दिया, "मैं किसी भी क्षेत्र का मुद्दा उठा सकता हूं, जम्मू केवल आपका नहीं है।"
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों की समस्याएं किसी एक विधायक की नहीं, बल्कि पूरे जम्मू-कश्मीर की सामूहिक चिंता का विषय हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि सरकार अप्रैल में बैठक के बाद आवश्यक कदम उठाएगी।
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