बोले बोकारो: बीएसएल का सहयोग मिले तो रामडीह बाजार में लौटेगी रौनक
1984 में स्थापित रामडीह मोड़ व्यावसायिक संघ के दुकानदार सुविधाओं के अभाव में परेशान हैं। जर्जर सड़कों, पानी की कमी, लचर बिजली व्यवस्था और शौचालय की अनुपस्थिति ने उनकी स्थिति को गंभीर बना दिया है।...
1984 में सेक्टर 9 स्थित रामडीह मोड़ व्यावसायिक संघ का गठन हुआ था। यहां 200 से अधिक दुकानें हैं। आज तक इस बाजार के दुकानदारों एवं यहां पहुंचने वाले लोगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो रही हैं। इस बाजार में सड़कों की हालत जर्जर है। पानी की उपलब्धता नहीं होने के कारण लोगों को काफी परेशानी होती है। गर्मी के मौसम में यह परेशानी ओर भी बढ़ जाती है। बिजली की लचर व्यवस्था से यहां के दुकानदार परेशान हैं। समय पर बिजली की गैरमौजूदगी से परेशान दुकानदारों ने जनरेटर का सहारा ले रखा है। पार्किंग के अभाव में लोग जहां-तहां सड़क किनारे ही वाहनों को पार्क कर देते हैं। ऑनलाइन बाजार का दौर प्रारंभ होने से बाजार में खरीद-बिक्री भी घटती जा रही है। नाली के अभाव में बारिश के मौसम में जलजमाव एक बड़ी समस्या के रूप में खड़ी हो जाती है। आवागमन में लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
हिन्दुस्तान बोले बोकारो संवाद कार्यक्रम के दौरान रामडीह मोड़ के दुकानदारों ने अपनी समस्याओं से अवगत कराया। कहा कि आम जीवन को सरल बनाने एवं जन समस्याओं को दूर करने के लिए बाजार की आश्यकता होती है। यह बाजार सेक्टर 9 एवं आसपास के गांवों में रहने वाले लोगों के लिए आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराता है। मगर यह बाजार आज अपनी दुर्दशा पर खुद ही आंसू बहा रहा है। किसी भी बाजार एवं शहर के विकास के लिए बिजली, सड़क आदि बेहद जरूरी है। लेकिन, इस बाजार की सड़कों की जर्जर स्थिति यहां की बदहाली की पहली गाथा सुनाती है। सड़क पर गड्ढे बताते हैं कि विकास का पहिया यहां पहुंचने से पहले ही थम गया है। बाजार के लोग सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। बारिश के मौसम में स्थित और भी बदतर हो जाती है। जब पानी गड्ढों में भर जाता है। लोग वाहन चलाते समय असंतुलित होकर कई बार गिरे हैं। चोटिल हो चुके हैं। बावजूद इसके यहां की सड़कों को बनाने के लिए ध्यान नहीं दिया जाता है। लोग बाजार की इस सड़क पर आने से कतराते हैं।
पेजयल व शौचालय की सुविधा का अभाव : व्यवसायियों ने कहा कि बाजार में पेयजल सुविधा के नाम पर एक मात्र चापानल है, उसकी भी स्थिति जर्जर है। पानी के लिए लोगों इधर-उधर भटकना पड़ता है। गर्मी के मौसम में लोगों को काफी दिक्कत होती है। एक ओर गर्मी के कारण लोगों को प्यास अधिक लगती है। वहीं, यहां पानी उपलब्ध नहीं होने से परेशानी बढ़ जाती है। कहा कि इसके साथ ही बाजार में एक सार्वजनिक शौचालय था, जो रख-रखाव के अभाव में ध्वस्त होने की कगार पर है। फिलवक्त वह शौचालय उपयोग करने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में बाजार करने आने वाले सहित यहां के दुकानदारों की परेशानी बढ़ गई है। खास कर महिलाओं को भारी मशक्कत का सामना करना पड़ता है। बाजार में एक सार्वजनिक शौचालय का जीर्णोद्धार किया जाना चाहिए अथवा नए सिरे से शौचालय का निर्माण होना चाहिए, ताकि यहां पहुंचने वाले लोग इस सुविधा का लाभ उठा सकें।
सुझाव
1. जर्जर सड़क नए सिरे से बनाई जाए। अन्य सड़क की समय-समय पर मरम्मत होनी चाहिए।
2. पानी की व्यवस्था हो। आवश्यक स्थानों पर डीप बोरिंग के साथ पेयजल की व्यवस्था की जाए।
3. बाजार में नालियों का निर्माण किया जाना चाहिए। वर्षा के पानी को दिशा देने की जरूरत है।
4. बीएसएल का बिजली विभाग इसपर ध्यान दे। निर्बाध बिजली देने का कार्य करे।
5. बाजार में शौचालय की व्यवस्था होने से बाजार के दुकानदारों व ग्राहकों को सुविधा होगी।
शिकायतें
1. सड़क जर्जर है। कुछ स्थानों पर गड्ढे बन गए हैं। वाहनों के आवागमन में परेशानी होती है।
2. बाजार में एक भी चापानल नहीं है। खरीदकर लोगों को पानी पीना पड़ता है।
3. नलियां का अभाव है। जिससे वर्षा एवं अन्य पानी की निकासी में परेशानी होती है।
4. असमय बिजली की कटौती। खासकर गर्मी के मौसम काफी कष्टमय होता है।
5. बाजार में सामुदायिक शौचालय की व्यवस्था नहीं है। क्रेता व विक्रेता को असुविधा होती है।
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